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Updated: 15 जुलाई, 2017 07:56 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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लालू यादव ने दो टूक शब्दों में यह फैसला सुना दिया है कि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे. लालू के अनुसार एफआइआर को आधार बनाकर इस्तीफा नहीं लिया जा सकता. लालू के इस बयान के बाद गेंद अब नीतीश कुमार के पाले में हैं. नीतीश की पार्टी ने राजद को तेजस्वी पर फैसला लेने के लिए चार दिनों का समय दिया था. चार दिन की मियाद आज ख़त्म हो चुकी है.

अब नीतीश को ये फैसला करना है कि क्या भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भी नीतीश तेजस्वी को अपने मंत्रिमंडल में रखना पसंद करेंगे? नीतीश का यह फैसला बिहार में महागठबंधन के भविष्य के साथ ही इस गठबंधन से जुड़े तीनों दल- जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस का भी भविष्य तय करेगी. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कल होने वाले बैठक के बाद नीतीश कुमार कुछ चौंकाने वाला फैसला ले सकते हैं?

Nitish Kumar, Tejaswi Yadav, Lalu Yadavमिस्टर क्लीन को लेन होंगे कड़े फैसलेनीतीश कुमार के लिए भी इस मुद्दे पर फैसला करना आसान नहीं रहने वाला है. क्योंकि उनके लिए जहां एक तरफ गठबंधन धर्म है, तो दूसरी तरफ उनकी खुद की छवि. नीतीश कुमार का अब तक का रिकॉर्ड बताता है कि नीतीश ने अभी तक भ्रष्टाचार पर कभी भी नरमी नहीं बरती है. उन्होंने पूर्व में भी कई मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोप में बाहर कर दिया था. चाहे 2005 में जीतन राम मांझी को फर्जी डिग्री के मामले में बाहर करना हो या फिर 2009 में नागमणि को बाहर करना हो. और यही वजह है कि उन्होंने बिहार में अपने लिए सुशाशन बाबू की छवि गढ़ी है. इसी कारण से नीतीश कुमार पर तेजस्वी को निकालने के दबाव ज्यादा है.

मगर लालू के तर्क पर भी ध्यान दें तो उसे भी गलत नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि पूरे देश में ऐसे कम ही उदाहरण होंगे जहाँ नैतिकता के आधार पर किसी मंत्री ने एफआइआर दर्ज होने पर इस्तीफा दे दिया हो. तो ऐसे में सवाल यही है कि क्या नीतीश अपनी छवि के लिए महागठबंधन को संकट में डाल देंगे या तेजस्वी के आरोप के सिद्ध होने तक इंतजार करेंगे?

Nitish Kumar, Tejaswi Yadav, Lau Yadavपुराना गठबंधन होगा एक विकल्पअगर नीतीश महागठबंधन से अलग होने का फैसला करते हैं, तो उनके पास भाजपा के साथ जाने का भी विकल्प होगा. भाजपा के साथ जाना भी नीतीश के लिए नुकसानदायक नहीं है. भाजपा के साथ जाकर नीतीश कुमार अगले कुछ वर्षों तक बिहार की अपनी गद्दी बचा सकते हैं. मगर इसके साथ ही उनका प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब शायद ख्वाब ही रह जायेगा.

तो अब देखना होगा की नीतीश आगे क्या फैसला लेते हैं. हालांकि इसकी संभावना कम ही है कि वो महागठबंधन को छोड़ भाजपा का दामन थामें.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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