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Updated: 18 सितम्बर, 2016 06:06 PM
पंकज शर्मा
पंकज शर्मा
  @pankajdwijendra
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पाकिस्तान एक देश की तरह कभी भारत का अच्छा पड़ोसी साबित नहीं हो सकता, कभी नहीं मतलब..कभी नहीं. ये बात हिंदुस्तान जितनी जल्दी समझ ले अच्छा है. इसका जो भी इलाज हो सकता है वो करे. परमाणु हमला अगर ज़रूरी है तो वो भी करे. क्योंकि पाकिस्तान के साथ टकराव दो देशों का नहीं दो सभ्यताओं का है. मध्यकालीन सोच वाले जंगली कबीलाई मुल्क और एक तरक्की पसंद लोकतांत्रिक मुल्क जैसा टकराव.

परमाणु हमले की पाकिस्तान की धमकी बार बार नहीं सुनी जा सकती और न ही इसके लिए विकसित देशों की ओर निरंतर ताका जा सकता है कि वो पाकिस्तान को कोई सलाह देंगे और पाकिस्तान उसे मानकर अपने व्यवहार में बदलाव लाएगा.

पाकिस्तान की बार बार परमाणु हमले की धमकी वैसे तो पूरी दुनिया के लिए खतरे का अलार्म है. लेकिन दुनिया ने तब उसे कुछ नहीं कहा जब उसके परमाणु वैज्ञानिक ने परमाणु बम की तकनीक एक पागल मुल्क के तानाशाह को चोरी-छिपे बेच दी. दुनिया ने तब कुछ नहीं कहा जब लादेन उसके घर में शरण लिए बैठा रहा. दुनिया ने तब कुछ नहीं कहा जब हाफिज, लखवी जैसे लोग खुले आम भारत के लिए ज़हर उगलते रहे. इसलिए अब भी दुनिया से कोई उम्मीद करना बेमानी है. समस्या भारत की है, भारत को ही निपटना होगा, इससे पहले कि देर हो जाए.

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हमने 1948 में जो घाव खुला रहने दिया वो अब नासूर बन चुका है. वो सड़ चुका है, जिसमें से अब मवाद बह रहा है. हमें इस घाव की सर्जरी के मौके मिले थे, लेकिन हमारी कमज़ोर इच्छाशक्ति ने उन्हें बेकार हो जाने दिया. वरना दुनिया में अब भी किसी देश के 90,000 सैनिकों का आत्मसमर्पण कराने की दूसरी कोई मिसाल नहीं मिलती. हमने न 1965 से सबक लिया, न 1971 से और न 1999 से, और न ही इतिहास के क्षल-कपट और मक्कारी के उदाहरणों से ही सबक ले सके.

यहां तक कि हमें तो अपना इतिहास भी याद नहीं रहा. अगर याद रहता तो हम ये भूलते नहीं कि हर बार बहादुरी औऱ निर्भीकता पृथ्वीराज चौहान के साथ नहीं रहेगी और मुहम्मद ग़ोरी को बस उसी एक अवसर की तलाश है. हम ये भी भूल गए कि ग़ोरी ने जाते जाते अपने गुलाम को भारत का राजा बना दिया और उस गुलाम के वंश ने करीब 84 साल तक इस देश पर शासन किया.

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 भारत को अब जरूरत कड़ा संदेश देने की..(फाइल फोटो)

पाकिस्तान परमाणु हमले की धमकी हमें दे रहा है क्योंकि उसे यकीन है कि पूर्ववर्ती सरकारों की तरह हो हल्ला होगा और भारत परमाणु हमले के दवाब में आकर फिर खामोश बैठ जाएगा या कम से कम कोई बड़ी कार्रवाई नहीं करेगा.

पाकिस्तान ने भारतीय राजनीति की इच्छाशक्ति को भली भांति समझ लिया है. लेकिन एक मुल्क की तरह हमें और आपको सोचना होगा, तैयार करना होगा खुद को. और ये एहसास दिलाना होगा पाकिस्तान कि अगर तुमने परमाणु हमला किया तो हम 5 लाख, 50 लाख, 5 करोड़ या 50 करोड़ लोग इस दुनिया से चले जाएंगे, लेकिन फिर भी हम कम से कम 75 करोड़ हिंदुस्तानी बाकी रह जाएंगे. लेकिन दुनिया पीढ़ियों को हमेशा ये कहानी सुनाया करेगी कि एक था पाकिस्तान. क्योंकि दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान का अस्तित्व हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो चुका होगा.

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मुझे यकीन है कि अब भी कम से कम 50 करोड़ लोग इस मुल्क में ऐसे बचे होंगे जिनकी रगों में पानी नहीं खून बहता होगा जो अपने देश के लिए बलिदान होने के लिए तैयार होंगे. यहां हम सबको ये भी समझना होगा कि हिंदुस्तान का मुकाबला सिर्फ एक पाकिस्तान से नहीं देश में पनप चुके कई छोटे-छोटे पाकिस्तानों से भी है जिन्हें सत्ता के लालचियों ने अपने अपने स्वार्थ के लिए जगह दे रखी है. उन्हें पहचानने की और चिन्हित करने की ज़रूरत है, क्योंकि ये देश आपका है, मेरा है. ये उनका नहीं हो सकता जो सिर्फ वोट पाने के लिए आतंकवादियों से रिश्तेदारी बताने में नहीं झिझकते, जो आतंकवादियों पर कार्रवाई के नाम पर दोगली बातें करते हैं, क्योंकि उनकी सत्ता का आधार ही कुछ पाकिस्तान परस्त लोग हैं. ये बात पाकिस्तान भी जानता है.

पाकिस्तान जानता है कि हिंदुस्तान में खद्दर की ओट में छुपे उसके हिमायती भी कम नहीं. कलम की स्याही में अपना चेहरा रंगे उसके साथी भी कम नहीं हिंदुस्तान में. एक गौरवशाली मुल्क के नागरिक होने के नाते हमें भारत की भ्रष्ट हो चुकी सत्ता के चरित्र को समझना ही होगा. हमें अपनी सरकारों के कॉलर पकड़ कर उन्हें ये बताना ही होगा कि हम तैयार हैं अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए. तुम हमारे नासूर का इलाज करो, वरना कुछ वर्षों बाद न हम होंगे, न हमारा ये मुल्क. दुनिया कहानियों में पीढियों को सुनाएगी कि एक था हिंदुस्तान जो सत्य और अहिंसा की आड़ में अपनी कायरता को छुपाता था.

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लेखक

पंकज शर्मा पंकज शर्मा @pankajdwijendra

लेखक आजतक न्यूज चैनल में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

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