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Updated: 26 जुलाई, 2017 08:10 PM
शुभम गुप्ता
शुभम गुप्ता
  @shubham.gupta.5667
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. यानी अब महागठबंधन ख़त्म हो गया है. मगर आखिर वो क्या कारण रहे जिनके चलते नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. नीतीश कुमार के इस्तीफा का सबसे बड़ा कारण तो यही है की वो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर किसी उद्घाटन तक यानी वो जहां भी जाते हैं लोग उनसे बिहार के विकास की नहीं बल्कि हमेशा ही तेजस्वी यादव और लालू यादव पर कार्यवाही को लेकर सवाल पूछते रहते थे. इसका उनके पास कोई जवाब नहीं रहता था.

1. मीडिया और विपक्ष दलों के प्रेशर को नीतीश कुमार नहीं झेल पाए. उनका कहना है की वो इस माहौल में काम नहीं कर सकते. वो जहां भी जाते हैं हर कोई उनसे तेजस्वी यादव और लालू यादव के बारे में पूछते हैं, वो शायद इसी माहौल की बात कर रहे हैं.

2. नीतीश कुमार ने राजयपाल को इस्तीफा देने के बाद कहा कि- 'उन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया. बेनामी संपत्ति वालों की भी जांच हो. मगर इसका लोगों ने गलत मतलब निकला. हमने ये बातें जनहित में कही थी.' यानी सीधे-सीधे उनका इशारा लालू यादव के परिवार की तरफ था.

3. पिछले कुछ महीनों से बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने बिहार की राजनीति में मुख्य किरदार निभाने वाले लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. जिसके बाद मीडिया में नीतीश कुमार से काफी जवाब मांगे गए.

4. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर फर्जी कंपनी के जरिए कथित तौर पर ‘बेनामी संपत्ति’ अर्जित करने के बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि- 'ये सब केंद्र की जांच के दायरे में आता है.' यानी उस वक़्त भी नीतीश के पास बोलने के लिए कुछ नहीं था. लिहाज़ा उन्होंने गेंद केंद्र के पाले में डाल दी. उस वक़्त भी सभी ने कहा की नीतीश कुमार ही जांच के ज़िम्मेदार हैं.

Nitish Kumar, Biharनीतीश कुमार का बम ब्लास्ट

जब हर कोई नीतीश कुमार से तेजस्वी यादव को लेकर लगातार सवाल पूछ रहा था. नीतीश कुमार जहां जाते वहां उनसे यही सवाल पूछा जाता की क्या आप तेजस्वी के खिलाफ कोई जांच करवाएंगे. उसके बाद नीतीश कुमार ने इशारों ही इशारों में जांच की चुनौती दे डाली थी. इसके बाद उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और लालू यादव काफी नाराज़ हो गए.

5. इस घटना के बाद तेजस्वी यादव ने दनादन ट्वीट किये थे. ट्वीट में उन्होंने कहा कि 'बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी पर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं हो?' यानी की उनका इशारा था कि मुझ पर जांच से पहले सुशील मोदी पर लगे आरोपों की जांच होनी चाहिए. इसका सीधा मतलब है कि उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधा थी और उन्हें ही कहा था कि मुझ पर जांच से पहले सुशील मोदी की जांच कीजिये.

6. इसी दौरान आयकर विभाग ने धड़ाधड़ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़े 22 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे. साथ ही ये कहा गया कि ये छापे लालू परिवार पर लगाए गए बेनामी संपत्ति बनाने के आरोपों के मामले में डाले गए हैं. नीतीश से इस पर भी सवाल पूछा गया मगर फिर से उनके पास कोई जवाब नहीं था.

7. नीतीश कुमार के इस्तीफे में सुशील कुमार की बड़ी भूमिका रही है. बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती पर देश की राजधानी दिल्ली में करोड़ों रुपये कीमत की ज़मीन को कौड़ियों के भाव खरीदने का आरोप लगाया था. सुशील कुमार मोदी का दावा था कि मीसा भारती ने अपने पति के साथ मिलकर शेल कंपनियों के जरिये यह जमीन खरीदी थी.

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मीसा भारती ने अपने पास मौजूद काले धन को अपनी कंपनियों मिशैल पैकर्स एंड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों की संदिग्ध खरीद-फरोख्त के जरिये सफेद बनाया. यह कंपनी वर्ष 2002 में एक लाख रुपये के निवेश से शुरू की गई थी. सुशील कुमार मोदी का आरोप है कि मीसा और उनके पति शैलेश कुमार ने अक्टूबर 2008 में अपनी कंपनी के 10 रुपये फेस वैल्यू वाले शेयर वीरेंद्र जैन की शालिनी होल्डिंग्स को 100 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर बेचे और 1.20 करोड़ रुपये हासिल किए.

8. सुशील कुमार मोदी ने मीसा की आय के स्रोत को चुनौती देते हुए सबसे बड़ा सवाल पूछ डाला. सुशील मोदी ने पूछा कि- 'मीसा भारती ने चुनाव आयोग को दिए अपने एफेडेविट में उसका ज़िक्र क्यों नहीं किया था?' यानी घूम फिरकर के बात नीतीश कुमार पर ही आती थी की वो जवाब दें.

9. नीतीश कुमार ने कहा है कि 'जिन्होंने आरोप लगाया है (सुशील मोदी) यदि उन्हें लगता है कि आरोप सही हैं तो उन्हें आगे बढ़ना चाहिये, कानून का सहारा लें, जांच कराएं, सिर्फ वक्तव्य न दें.' उन्होंने कहा कि- 'लगाए गए आरोप कंपनी कानून से संबंधित हैं जो केन्द्र सरकार के दायरे में आता है. सीबीआई ने 7 जुलाई को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज करने के बाद 12 स्थानों पर छापेमारी की. सीबीआई ने बताया कि यह पूरी साजिश 2004 से 2014 के बीच में रची गई थी. इसके तहत पुरी और रांची स्थित भारतीय रेलवे के बीएनआर होटलों के नियंत्रण को पहले आईआरसीटीसी को सौंपा गया और फिर इसका रखरखाव, संचालन और विकास का काम पटना स्थित ''सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड'' को दे दिया गया.

10. सीबीआई की सफाई को लेकर भी नीतीश चुप रहे. अब भले ही ये नीतीश की मजबूरी समझिये. सीबीआई का कहना था की- '2004 से 2014 के बीच निविदाएं देने की इस प्रक्रिया में धांधली की गई और निजी पक्ष (सुजाता होटल) को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा की शर्तों को हल्का कर दिया गया. इसके बदले में पूर्वी पटना में तीन एकड़ जमीन को बेहद कम कीमत पर 'डिलाइट मार्केटिंग' को दिया गया जो कि लालू यादव के परिवार के जानकार की है.'

यानी की नीतीश कुमार मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने में असमर्थ रहे. उनके पास कोई जवाब नहीं था. जिसके चलते उन्होंने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा. कम से कम अब उनसे कोई तेजस्वी और लालू को लेकर सवाल तो नहीं पूछेगा.

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शुभम गुप्ता शुभम गुप्ता @shubham.gupta.5667

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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