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Updated: 05 अप्रिल, 2016 07:14 PM
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देश की सबसे तेज ट्रेन का उद्घाटन हो गया है. दिल्ली और आगरा के बीच चलने वाली गतिमान एक्सप्रेस का मंगलवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उद्घाटन किया. इसके साथ ही भारत ने फास्ट स्पीड रेल नेटवर्क की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं. बुलेट ट्रेन को हकीकत बनाने की कोशिशें शुरू हो गई है. लेकिन यह सपना कब हकीकत में बदलेगा कह पाना मुश्किल है. वजह, भारतीय ट्रेनों की रफ्तार जिस कदर सुस्त रही है, उससे तो अगले एक दशक में भी शायद ही भारत बुलेट ट्रेनों को चलाने का लक्ष्य पूरा कर पाए.

भले ही 160 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली गतिमान एक्सप्रेस को देश की सबसे तेज ट्रेन बताकर इसे भारतीय रेलवे के लिए मील के पत्थर के तौर पर प्रचारित किया जा रहा हो लेकिन हकीकत इससे अलग है.

अगर आप आजादी के बाद से भारतीय रेलवे की विकास और रफ्तार पर नजर डालेंगे तो हैरान रह जाएंगे. पिछले कई दशकों के दौरान भारतीय रेल ने रफ्तार तो छोड़िए बैलगाड़ी की रफ्तार से विकास किया है. आइए जानें क्यों गतिमान एक्सप्रेस की 160 किलोमीटर की रफ्तार गर्व करने की नहीं सोचने की बात है, दुनिया के बाकी देशों से तुलना तो खैर, आपकी सारी खुशिया काफूर कर ही देगी.

28 साल में बढ़ी सिर्फ 10 किलोमीटर/घंटे की रफ्तारः

जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा, भारतीय रेल की रफ्तार पिछले 28 वर्षों के दौरान महज 10 किलोमीटर ही बढ़ी है. गतिमान एक्सप्रेस से पहले देश की सबसे तेज रफ्तार से चलने वाली ट्रेन थी, दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस, जिसकी अधिकतम रफ्तार है 150 किलोमीटर/घंटा. इस ट्रेन को पहली बार नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश के झांसी स्टेशनों के बीच 1988 में चलाया गया था. बाद में इसे आगे बढ़ाकर पहले भोपाल और फिर भोपाल में ही स्थित हबीबगंज स्टेशन के बीच तक कर दिया गया.

मंगलावार को चलाई गई गतिमान एक्सप्रेस की अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर/घंटा है, यानी 1988 में चलाई गई देश की सबसे तेज ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस से महज 10 किलोमीटर ज्यादा. मतलब 28 वर्षों में भारतीय रेल की स्पीड बढ़ी महज 10 किलोमीटर/घंटा. अब आप खुद अनुमान लगाइए कि इस स्पीड से देश में बुलेट ट्रेन कब आएगी?

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गतिमान एक्सप्रेस देश की सबसे तेज रफ्तार से चलने वाली ट्रेन है

न सिर्फ रेल की स्पीड बल्कि अगर आप दुनिया के बाकी देशों से तुलना करेंगे तो इंटरनेट से लेकर मोबाइल कनेक्टिविटी तक किसी भी मामले में भारत की तुलना करेंगे तो सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी. देखिए दुनिया से कितना पीछे खड़ा है भारत.

रेल स्पीड में सबसे फिसड्डी भारतः

दुनिया की सबसे तेज ट्रेन जापान में पिछले साल चली थी. अपने ट्रायल रन में जापान की मैग्लेव ने 603 किलोमीटर/घंटा की अधिकतम रफ्तार हासिल करते हुए दुनिया की सबसे तेज स्पीड वाली ट्रेन होने का रुतबा हासिल कर लिया. दूसरे नंबर पर हमारे पड़ोसी चीन की शंघाई मैग्लेव है, जिसकी अधिकतम रफ्तार 430 किलोमीटर/घंटा की है. दुनिया के बाकी देशों में अमेरिका की एकेला एकेस्प्रेस की स्पीड 240 किलोमीटर/घंटा, ब्रिटेन की यूरोस्टार की स्पीड 300 किलोमीटर/घंटा, फ्रांस की LGV est की स्पीड 574 किलोमीटर/घंटा है, इन रफ्तारों के बीच भारत की सबसे तेज गतिमान एक्सप्रेस की 160 किमोटीर प्रति घंटा की रफ्तार कहां ठहरती है, आप ही सोचिए!

इंटरनेट स्पीड के मामले में भी पीछे भारतः

न सिर्फ रेलवे बल्कि इंटरनेट स्पीड के मामले में भी भारत दुनिया के बड़े देशों के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता है. अमेरिका में इंटरनेट की स्पीड 14.2 Mbps है तो साउथ कोरिया में ये 26.7 Mbps है, स्वीडन में 19.1 है तो वहीं भारत में महज 2.8 Mbps ही है. तो अब आपको समझ में आया कि बिना बफरिंग के कोई वीडियो आप क्यों नहीं चला पाते!

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इंटरनेट स्पीड के मामले में सबसे फिसड्डी है भारत

मोबाइल कनेक्टिविटी स्पीड के मामले में भी पीछे भारतः कॉल ड्रॉप की समस्या से सब परेशान हैं, होंगे भी क्यों नहीं, मोबाइल कनेक्टिविटी स्पीड के मामले में भी भारत काफी पीछे है. ब्रिटेन में मोबाइल कनेक्टिविटी स्पीड 26.8Mbps, कनाडा में 7.8 Mbps, साउथ कोरिया में 11.8 Mbps है, जबकि भारत में इसकी रफ्तार 2.7 Mbps ही है.

तो रेलवे हो या इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी किसी की भी गति पर आपको अभिमान करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बाकी दुनिया से अभी हमारा देश मीलों पीछे है.

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