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Updated: 07 अगस्त, 2016 10:59 AM
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कुछ ही दिन पहले दिल्ली जयपुर हाईवे पर लगे बड़े जाम के बाद सरकार गंभीर है कि आइंदा ऐसा ना हो. लिहाजा जब तक सड़कें चौड़ी ना हो पाएं उन्हें ऊंचा उठाना होता है. लेकिन अब सरकार आसमान का इस्तेमाल पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (पीआरटीएस) के लिए करने को तैयार है. यानी फ्लाईओवर से भी ऊपर यातायात चलेगा. हमारे देखते ही देखते मेट्रो पिछड़े और पिछले जमाने की सवारी हो जाएगी. हम आगे बढ़ जाएंगे.

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 दिल्ली जयपुर हाईवे पर लगा जाम

दिल्ली जयपुर हाईवे एनएच 8 पर अब जाम नहीं लगेगा. फर्राटे की उड़ान आसमान में होगी. लोग इस बात पर बहस करते हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत सुधरती नहीं. लेकिन ट्रैफिक कंजेशन दूर करने की सरकार बात करती है. वैसे भी ऑड इवन और कार फ्री डे के जरिए पॉल्यूशन कंट्रोल करने के प्रयास विफल रहे है. लेकिन अब सरकार मेट्रो जैसे पॉपुलर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आगे बढ़कर पर्सनल रैपिड ट्रांसपोर्ट की बात कर रही हैं. ये सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो अगले साल देश की पहली पीआरटीएस कैब एन-एच 8 ऊपर उड़ान भरती दिखेगी.

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 दिल्ली जयपुर एक्सप्रेसवे

दरअसल, पिछले हफ्ते ही झमाझम बारिश के बाद जो जाम लगा वो ऐतिहासिक तो था ही कई तरह की आशंका भी पैदा कर गया. रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मंत्रालय ने फौरन ऐसी योजना बनाई जो न केवल भविष्य में ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए थी साथ ही साथ सस्ती, सुंदर और टिकाऊ भी.

अब डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार है और विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट पर शहरी विकास मंत्रालय को मंजूरी देनी है.

नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के विशेषज्ञ तो उसी दिन का इंतजार कर रहे हैं कि कब मंजूरी मिले और इधर नारियल फोड़ें. दरअसल, पीआरटीएस का ये सिस्टम मजबूत ऊंचे खंभों पर चलेगा. इसमें गार्डर के ऊपर और नीचे दोनों तरह से सात से दस सवारियों वाली कैब चलाई जा सकेंगी.

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 ऐसी होंगी पीआरटीएस वाली कैब!

ये कैब ऐलिवेटेड रूट पर चलेंगे. स्टेशन धरती पर होंगे. स्टेशन के पास आते ही आपको विमान की लैंडिग जैसा रोमांच होगा. स्टेशन पर सवारियों को चढ़ाने उतारने के बाद फिर आप टेक ऑफ करेंगे.

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ये सिस्टम आर्थिक रूप से भी मेट्रो, मोनो रेल वगैरह से सस्ता और भरोसेमंद है. अब डीपीआर में पहले चरण का सवा बारह किलोमीटर का रूट यानी धौलाकुआं से बादशाहपुर तक में 850 करोड़ रुपये की लागत आएगी. एमबीएस मॉल, राजीव चौक और बादशाहपुर तक 15 स्टेशन होंगे. 50 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ये कैब चलाई जायेंगी. ये भविष्य का सिस्टम है. जनता को भी आसानी होगी. 

इस नये पर्सनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इसमें सरकार का टका भी खर्च नहीं होगा. क्योंकि इसे बीओटी के तर्ज पर अमली जामा पहनाया जाएगा. बीओटी यानी बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर. इसे निजी कंपनी बनाएगी. पच्चीस साल तक इसे चलाने के बाद फिर सरकार को सौंप देगी. एनएचएआई को उम्मीद है कि अगले महीने तक भी मंजूरी मिल जाती है तो आप कर सकते है स्काई फ्लाई या फिर रोप वे की तरह रोमांच भरे सफर के लिए.

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लेखक

संजय शर्मा संजय शर्मा @sanjaysharmaa.aajtak

लेखक आज तक में सीनियर स्पेशल कॉरस्पोंडेंट हैं.

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