सचिन को खुद भारत रत्न वापस कर देना चाहिए
इतिहास में जब सचिन का नाम लिखा जाएगा तो उसकी शुरुआत भारत रत्न सचिन तेंदुलकर से न होकर महान बल्लेबाज एवं क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से होगी. आप इससे ऊपर हैं, लौटा दीजिए इसे.
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4 फरवरी 2014. सचिन तेंदुलकर ने पहली बार बिना क्रिकेट खेले एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था - सबसे कम उम्र में भारत रत्न सम्मान पाने का, इस सम्मान को पाने वाले पहले खिलाड़ी बनने का. निश्चित तौर पर सचिन के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी. तब उन्होंने कहा था, 'मैं और क्या कह सकता हूं, यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है.' यह और बात है कि इस सम्मान पर तब भी सवाल उठे थे और अब तो खैर मामला कोर्ट में पहुंच चुका है.
राजनीति जहां भी होती है, सवालों-विवादों से परे नहीं रहती. यह पहला मौका नहीं है, जब भारत रत्न दिए जाने पर सवाल उठे हैं. जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, एम.जी. रामाचंद्रन, के. कामराज, बी.आर. आंबेडकर को दिया गया भारत रत्न सम्मान भी विवादों से अछूता नहीं रहा था. अब आपके (सचिन) द्वारा भारत रत्न लौटाने या सरकार द्वारा आपसे उसे छीन लेने के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. तर्क दिया गया है कि आप भारत रत्न के कारण फेमस हुए और अब ऐड करके पैसे कमा रहे हैं!
आपको शायद पता न हो सचिन लेकिन भारत रत्न से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद सुभाष चंद्र बोस के नाम है. शायद आपको यह भी पता न होगा कि कोलकाता हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में यह मामला चला गया था. और तो और, बोस के परिवार वालों ने भी उनके नाम पर यह सम्मान लेने के इनकार कर दिया था. इसके पीछे दो वजहें थीं - एक थी तकनीकी वजह, जिसमें उन्हें मरणोपरांत (सुभाष चंद्र बोस के मृत होने का कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं) सम्मान देने की बात थी. दूसरी वजह इससे ज्यादा बड़ी थी - कोलकाता हाई कोर्ट में दायर याचिका में सुभाष चंद्र बोस को भारत रत्न सम्मान से ज्यादा बड़ी शख्सियत बताया गया था. तर्क दिया गया था कि भारत रत्न सम्मान से सुभाष चंद्र बोस और देश के सबसे बड़े सम्मान दोनों का अपमान होगा. यही दूसरा तर्क आप जैसी शख्सियत पर भी लागू होता है.
सचिन तेंदुलकर. यह सिर्फ एक नाम नहीं है. यह पहचान है. अगर क्रिकेट ने आपको बनाया है तो आपने भी क्रिकेट की कम सेवा नहीं की है. भारतीय क्रिकेट की बात करें तो गावस्कर और कपिल के समय के बाद अगर किसी शख्स ने इसके प्रचार-प्रसार में सबसे अधिक भूमिका निभाई है तो वह आप ही हैं. जब कभी इतिहास में आपका नाम लिखा जाएगा तो यकीन मानिए उसकी शुरुआत भारत रत्न सचिन तेंदुलकर से न होकर महान बल्लेबाज एवं क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से की जाएगी.
सचिन आप भारत रत्न हैं - सम्मान से पहले भी थे, इसे स्वीकार करने के बाद भी हैं, और हमेशा बने रहेंगे. यूपीए सरकार ने आपको यह सम्मान दिया था. इसे लौटा कर अब आप यह सम्मान अर्जित कर सकेंगे - उनके दिलों में भी, जो आप पर भारत रत्न के बाद फेमस होने और ऐड करके पैसे कमाने का आरोप लगा रहे हैं, याचिका दायर कर रहे हैं. क्रिकेट का इतिहास आपके कारनामों से भरा पड़ा है. यकीन मानिए भारत रत्न लौटा कर आप भारतीय राजनीति में भी एक मिसाल कायम करेंगे. एकदम अपने स्ट्रेट ड्राइव की माफिक...

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