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Updated: 25 जून, 2016 11:35 AM
कुणाल वर्मा
कुणाल वर्मा
 
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चैंपियंस ट्रॉफी रद्द होने बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि किसी नए टूर्नामेंट की घोषणा हो सकती है पर यह सब इतनी जल्दी होगा किसी ने सोचा नहीं था. अब बीसीसीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि जल्द ही मिनी आईपीएल करवाया जायेगा. फॉर्मेट वही होगा टी-20. मतलब ये कि हर साल क्रिकेट के चाहने वालों को आईपीएल के ग्लैमरस तड़के का डबल डोज मिलेगा.

धर्मशाला में बीसीसीआई के पिछले चार दिनों से चल रही बैठक के पहले ही स्पष्ट हो गया था कि इस बार क्रिकेट से जुड़े तमाम पहलुओं पर नई-नई बातें सामने आयेंगी. नये और युवा अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने भी इशारों-इशारों में बता दिया था कि कुछ दिन इंतजार कर लिजिए, सब कुछ बता दूंगा. अब जाकर उन्होंने सबकुछ बता दिया है. सबसे बड़ी बात आईपीएल के मिनी वर्जन की है.

बताया जा रहा है कि इस मिनी फॉर्मेट का आयोजन उन देशों में किया जाएगा जहां क्रिकेट का दूर-दूर से रिश्ता नहीं है. क्रिकेट को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रमोट करने के लिए इसका आयोजन यूरोपियन देशों के अलावा खाड़ी के देशों में किया जा सकता है.

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 आईपीएल का डबल डोज इसे नीरस न बना दे..

मिनी आईपीएल का आयोजन एक ऐसा फैसला है जो ऊपरी तौर पर बेहद उत्साहवर्द्धक है. लेकिन संस्कृत का श्लोक है अति सर्वत्र वर्जयेत्.

आईपीएल का आयोजन जिस ग्लैमरस अंदाज में होता है उसे देखने के लिए हर साल क्रिकेट के चाहने वाले इंतजार करते हैं. आयोजन भी ऐसे वक्त में होता है जब लोग आसानी से इसका मजा उठा पाते हैं. आयोजनकर्ताओं की कमाई अच्छी खासी होती है और युवा क्रिकेटर भी मालामाल होते हैं। पर अकूत कमाई के लालच में आईपीएल के डबल डोज को क्रिकेट लवर्स कितना स्वीकार कर सकेंगे? बताने की जरूरत नहीं कि क्रिकेट वर्ल्ड कप से जितनी कमाई होती है उतनी शायद किसी फॉर्मेट से नहीं होती. पर इसका आयोजन भी चार साल बाद ही होता है.

फुटबाल वर्ल्ड कप हो या ओलंपिक का आयोजन, सभी एक तयशुदा समय में ही किए जाते हैं. कारण खुद समझा जा सकता है. एक तय समय पर होने वाले आयोजन के लिए दर्शकों का भी क्रेज बना रहता है. इसीलिए क्वालिटी स्पोर्ट्स सामने आता है और दर्शक भी बोर नहीं होते हैं. अगर स्पोर्ट्स को सिर्फ कमाई की दृष्टि से देखना शुरू कर दिया जाए तो साल में कई बड़े-बड़े आयोजन होते ही रहेंगे. फिर एक दिन ऐसा आएगा कि कोई इसे नहीं देखेगा. क्यों बात वहीं आकर टिकेगी..अति सर्वत्र...

कमाई के लिए अगर इन सभी बड़े टूर्नामेंट को हर साल या साल में दो या तीन बार करवा दिया जाए तो इसका हश्र क्या होगा? न तो दर्शक क्वालिटी स्पोर्ट्स देख पाएंगे और न खिलाड़ी ही अपना सौ प्रतिशत मैदान में दे सकेंगे. ऐसे में बीसीसीआई को इस पर जरूर विचार करना चाहिए.

तमाम विडंबनाओं के बावजूद आईपीएल अब एक ब्रांड बन चुका है. जिस तरह इंगलैंड की काउंटी क्रिकेट से जुड़ना हर एक खिलाड़ी अपनी शान समझता है. ठीक उसी तरह अब आईपीएल भी अपना स्थान बना चुका है.

हर विदेशी खिलाड़ी की तमन्ना आईपीएल के किसी टीम का हिस्सा बनने की होती है. ऐसे में आईपीएल के बढ़ते ब्रांड वैल्यू को मिनी आईपीएल के जरिए झटका लग सकता है. क्रिकेट का डबल डोज कहीं ज्यादा ही न हो जाए. अगर वैश्विक स्तर पर क्रिकेट को प्रमोट करना इतना ही जरूरी है तो आईपीएल के कई मैच उन देशों में भी कराए जा सकते हैं, वह भी पूरी तैयारी के साथ. ऐसे में प्रमोट करने के लिए क्या मिनी आईपीएल ही एक मात्र रास्ता बचा हुआ था? डबल डोज या आपको तत्काल स्फूर्ति (कमाई) तो दे देगा, लेकिन धीरे-धीरे इतना सुस्त बना देगा कि आप उठ ही नहीं पाओगे.

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