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Updated: 22 जनवरी, 2021 10:39 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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Brisbane Gabba test के दैरान जो हुआ वो एक खेल के रूप में क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो चुका है. जैसी परफॉर्मेंस थी, वाक़ई Team India ने कमाल कर दिया है. हर तरफ जश्न का माहौल है. भारतीय टीम की शान में जयकारे लग रहे हैं. क्या देश क्या विदेश हर कोई मुश्किल हालात में खेली और ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर हराकर लौटी टीम इंडिया की शान में कसीदे पढ़ रहा है. पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक भी गाबा में भारतीय टीम का प्रदर्शन देख गदगद हैं और सारा श्रेय उन्होंने टीम इंडिया के कोच Ravi Shastri को दे दिया है. इंजमाम का मानना है कि शास्त्री जीत के लिए समान श्रेय के हक़दार हैं. इंजमाम ने कहा है कि एक फैक्टर, जिसका लोग जिक्र नहीं कर रहे हैं वह रवि शास्त्री हैं. उन्होंने टीम के निदेशक के रूप में शुरुआत की और मुख्य कोच के रूप में वापसी की, उन्होंने अनुभव के साथ साथ खेल भावना को न केवल महसूस किया बल्कि उसका नमूना भी दिखाया जिससे गाबा में भारतीय टीम के खिलाड़ियों को काफी मदद मिली. भले ही भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री अपने जमाने में एक उम्दा क्रिकेटर राह चुके हैं मगर क्या इस जीत में अकेले उन्हीं की भूमिका है?

Team India, India vs Australia test series, Brisbane Gabba test,Inzmam Ul Haq, Rahul Dravidटीम इंडिया मिली जीत के बाद सवाल ये भी है कि इस जीत का असल फैक्टर क्या है

गाबा में ब्रिस्बेन टेस्ट के दौरान जिस तरह का प्रदर्शन युवा मगर अनुभवहीन भारतीय टीम ने किया उसका क्रेडिट किसी एक को देना इस जीत के साथ नाइंसाफी है. कहना गलत नहीं है कि इतनी ऐतिहासिक जीत पर विश्लेषक गुणा भाग लगा रहे हैं कि इस जीत का क्रेडिट किसे दिया जाए? सवाल है कि क्या इस कामयाबी की वजह राहुल द्रविड़ हैं? या फिर इसके लिए जिम्मेदार रवि शास्त्री का अनुभव और कप्तान विराट कोहली का मार्गदर्शन है?

टीम इंडिया की इसबार की जीत इसलिए भी खास है क्योंकि द्रविड़ की ट्रेंनिग से लेकर रवि शास्त्री का अनुभव और कोहली का जोश एक दिसचस्प कॉम्बिनेशन दिखा रहा है जिसमें किसी एक की नहीं बल्कि सबकी अपनी अपनी अलग भूमिका है.

ध्यान रहे कि जब टीम इंडिया ने अपने प्रदर्शन की बदौलत उदास चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी हो क्रिकेट के मैदान और क्रिकेट एक्सपर्ट्स के बीच सिर्फ रवि शास्त्री ही नहीं हैं जो चर्चाओं के बाज़ार को गर्माहट दे रहे हैं. जिक्र राहुल द्रविड़ का भी हो रहा है और भरपूर हो रहा है. कहा जा रहा है कि ब्रिस्बेन ने जिन लोगों ने अपने प्रदर्शन से क्रिकेट प्रेमियों को हैरत में डाला वो सभी लोग राहुल द्रविड़ के धुरंधर थे.

एक ऐसे समय में जब क्रिकेट से जुड़े लोग अपनी रिटायर्ड लाइफ जी रहे हों. अपने रिटायरमेंट के बाद जिनका फोकस पैसों पर हो और जो अपने बिजनेस को बढ़ा रहे हों वाक़ई जो राहुल द्रविड़ ने कर दिया है वो नमन करने योग्य है. ऐसे समय में राहुल द्रविड़ चुपचाप खामोशी से अपना काम कर रहे थे और उस नई पौध को खाद पानी दे रहे थे जो क्रिकेट के मैदान पर थी.

इन बातों के बाद चूंकि जिक्र इंजमाम की बातों से रवि शास्त्री का हुआ है तो अब जबकि रवि शास्त्री टीम इंडिया के हेड कोच हैं जाहिर है जब जब टीम इंडिया उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगी तब तब जिक्र उनका होगा और सारा क्रेडिट उनके खाते में जाएगा. इसके अलावा चूंकि रवि शास्त्री कप्तान विराट कोहली के चहीते है तो एक केमिस्ट्री भी है जो टीम इंडिया और रवि शास्त्री के बीच दिखाई देती है और जिसका जिक्र क्रिकेट के ग्राउंड पर हो ही जाता है.

टीम इंडिया बीजेपी तो 'संघ' हैं राहुल द्रविड़, अमित शाह हैं शास्त्री

क्रिकेट के ग्राउंड से निकल कर यदि हम देश की राजनीति की तरफ आएं और उसे बतौर उदाहरण रखें तो टीम इंडिया ने जो ब्रिस्बेन में किया उसके बाद कहा जा सकता है कि ये जीत उस चुनाव की तरह है जिसमें अगर भाजपा जीतती है तो उसका जिम्मेदार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ होता है. इस सूत्र पर अगर हमें तमाम बातों को यदि फिट करना हो तो कह सकते हैं कि टीम इंडिया यदि भाजपा है तो जीत का कारण संघ की भूमिका में राहुल द्रविड़ हैं.

वहीं कप्तान कोहली अगर नरेंद्र मोदी बन टीम को संभाल रहे हैं तो इस टीम के लिए रवि शास्त्री की भूमिका अमित शाह वाली है.

इंजमाम ने भले ही इस शानदार जीत का जिम्मेदार रवि शास्त्री को मान लिया हो लेकिन हम फिर वही बात कहेंगे कि इस बार किसी एक को क्रेडिट तो दिया ही नहीं सकता. यदि जीत सबकी है तो फिर अवश्य ही क्रेडिट भी सभी का है. यानी इस बार मिली जीत के लिए यदि जिम्मेदार कप्तान कोहली और रवि शास्त्री हैं तो इस जीत में उतनी ही बड़ी भूमिका राहुल द्रविड़ और अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत की भी है.

इस बार की जीत में जो एक बात हमें सबसे अच्छी लगी वो ये कि इस बार टीम इंडिया न केवल एक 'टीम' की तरह खेली बल्कि वो कर दिखाया जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया का 32 साल का गुरूर छू मंतर हो गया है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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