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Updated: 27 मई, 2015 05:28 AM
जितेंद्र कुमार
जितेंद्र कुमार
  @JeetuJourno
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आपके सामने किसी का एक्सीडेंट हो गया हो. ऐसे में आप क्या करेंगे. ज्यादातर लोग आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन कुछ हैं जो पीड़ित व्यक्ति को हॉस्पिटल भी पहुंचाते हैं. अब तक ऐसे लोगों को समाज में सम्मान के अलावा कुछ भी नहीं मिलता था, लेकिन अब ऐसे लोग अपने अच्छे कामों को बैंक में जमा कर सकते हैं. चीन में यह प्रयोग हुआ है. वहां ऐसे कामों को जमा करने के लिए मोरालिटी बैंक खोला गया है.
 
मोरालिटी बैंक मतलब नैतिकता जमा करने का बैंक
कहा जाता है कि अच्छे कामों का फल अच्छा ही मिलता है. लेकिन नए जमाने में परोपकार पुरानी बातें हो गई हैं. लोग अब किसी की मदद करने में ज्यादा उत्सुक नहीं दिखते. नैतिकता जैसा मानवीय गुण धीरे धीरे गायब हो रहा है. ऐसे में इन मानवीय गुणों को बढ़ावा देने के लिए चीन ने एक मोरेलिटी बैंक खोला है. बैंकों में लोग रुपये पैसे ही जमा करवाते हैं लेकिन इस बैंक में अच्छे कामों को भी संपति के रूप में जमा किया जा सकता है. बदले में बैंक उन कामों के मुताबिक उनके खातों में पॉइंट्स जमा करेंगे. बैंको ने अलग अलग कामों के हिसाब से पॉइंट तय कर रखे हैं. जैसे स्टेम सेल डोनेशन करने पर 1000 पॉइंट्स, किसी की जान बचाने पर 300-500 पॉइंट्स, ब्लड डोनेशन से 200 पॉइंट्स, खोया पर्स लौटाने पर 50 पॉइंट्स और सड़कों से पॉलीथिन और कचरा हटाने जैसे कामों के लिए 10 पॉइंट्स. इनके बदले में खाताधारक फ्री हेयरकट, फ्री होमक्लीनिंग या फ्री हेल्थ चेकअप करवा सकेंगे. खासकर अगर आपके इस अकाउंट में 6000 से अधिक पॉइंट्स जमा हो गए तो आपको "कम्युनिटी हीरो" का ख़िताब दिया जायेगा.  

भारत में भी इस तरह के बैंक की जरूरत
भारत में इस तरह के बैंको के खुलने की बहुत जरूरत है. वैसे तो वसुधैव कुटुंबकम की बात हमारे शास्त्रों में हैं लेकिन एक दुसरे की मदद करना हम भूलते ही जा रहे हैं. निर्भया बलात्कार के मामले में पीड़ित कितनी ही देर तक सड़क के किनारे लोगों की मदद मांगते रहे, लेकिन उन्हें मदद काफी देर बाद मिली. सलमान खान के ऊपर भी फुटपाथ पर सोए लोगों पर गाड़ी चढ़ाकर भाग जाने का आरोप सिद्ध हो चूका है. अगर ऐसा बैंक हमारे यहाँ भी होता, तो उनके अकाउंट खाली रहता. सड़क हादसों में  हमारे देश में हर घंटे लगभग 16 लोगों की मौत होती है और 58 लोग घायल होते हैं. अगर उन्हें सही समय पर मदद मिल जाय तो कइयों की जान बच सकती है.

महिलाओं की मदद
भारत में महिलाओं के प्रति अपराध भी भारी संख्या में होते हैं. राह चलते महिलाओं के साथ छेड़खानी होती है. आज लोग आस पास में हो रहे इन छेड़खानियों को नजरअंदाज कर आगे चले जाते हैं. हालांकि इन अपराधों के खिलाफ हर किसी को मदद के लिए आगे आना चाहिए. लेकिन बेकार किसी पचड़े में न पड़ने की सोच उन्हें हस्तक्षेप करने से रोकती है. ऐसे में इनके प्रोत्साहन के लिए इस तरह का बैंक कारगर साबित हो सकता है.

ब्लड बैंक में रक्तदान
रक्तदान को लेकर वैसे तो बड़े शहरों में जागरूकता आई है लेकिन अभी भी जरूरत के वक़्त पर लोगों को दिक्कतें होती हैं. हालांकि ब्लड बैंक में भी रक्तदान कर आप जरूरत के समय वापस रक्त पा सकते हैं लेकिन छोटे शहरों में जागरूकता की कमी की वजह से या किसी खास ब्लड ग्रुप का रक्त कम होने से भी दिक्कत होती है. इस तरह के बैंक होने से सभी लोगों को प्रोत्साहन मिलता रहेगा और ब्लड बैंको में पर्याप्त आपूर्ति बनी रहेगी.  

स्वच्छ्ता अभियान
हमारे यहां अपने घरों को तो साफ रखने का चलन है लेकिन आस पास की गंदगी पर ध्यान नहीं देते. सड़कों पर कचरा पड़ा होता है और हम खुद भी कचरा फेक इसमें बढ़ावा देते हैं. कई सरकारों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाते रहते हैं, लेकिन फिर भी गन्दगी फैलाने की आदत जस की तस बनी हुई है. अगर इस तरह का बैंक हो तो शायद लोग अपने घरों के साथ साथ आसपास में भी सफाई रखने में उत्साह दिखाएं.  

आमतौर पर देखा गया है कि निःस्वार्थ मदद करने वाले लोगों में गरीब आगे रहते हैं. ऐसे में अगर उन्हें उनकी अच्छाई के बदले में पुरस्कार के रूप में कुछ मिले तो बुरा आइडिया नहीं है. आदमी की पहचान फिर आम बैंकों में जमा होने वाले रुपयों के अलावा उसके इस तरह के बैंकों में जमा हुए पॉइंट्स से भी की जा सकेगी. जिसके सबसे ज्यादा पॉइंट्स वो उतना ही परोपकारी इंसान.

लेखक

जितेंद्र कुमार जितेंद्र कुमार @jeetujourno

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप (डिजिटल) की वेबसाइट आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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