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Updated: 07 जून, 2017 08:52 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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उत्तर प्रदेश की हालत किसी से छुपी नहीं है. कभी अपराध और लचर कानून व्यवस्था तो कभी अपने नेताओं के बयानों और कृत्यों से राज्य लगातार देश भर में चर्चा का केंद्र बना रहता है. उत्तर प्रदेश, खास तौर से प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक बार फिर चर्चा में है. चर्चा की वजह योगी सरकार में महिला और समाज कल्याण विभाग की राज्यमंत्री (स्वतंत्रप्रभार) स्वाति सिंह हैं. पूर्व में बियर बार के उद्घाटन से चर्चित हुईं स्वाति इस बार भंडारे में 100 - 100 के नोट बांटने के चलते विवादों में हैं.

पूर्व की तरह इस बार पुनः स्वाति की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई है जिसमें वे एक भंडारे में खाने के साथ-साथ सौ-सौ रुपये का नोट बांटती दिख रही हैं. इस पर अपना रुख साफ करते हुए स्वाति सिंह ने स्पष्टीकरण दिया है कि उन्होंने भंडारे के दौरान नौ कन्याओं को पैसे बांटे, जिन्हें उन्होंने प्रसाद ग्रहण कराया था.

धर्म की दृष्टि से देखें तो भंडारे का आयोजन, कन्या भोज कराने के बाद आई हुई लड़कियों को उपहार देना बिल्कुल भी गलत नहीं है. निस्संदेह स्वाति ने एक बहुत अच्छा काम किया है. स्वाति इसके लिए बिल्कुल बधाई की पात्र होतीं, यदि ये आयोजन सार्वजनिक न होकर निजी होता. मगर जिस तरह उन्होंने पब्लिक प्लेस पर पैसे बांटे इसे कानून की दृष्टि से रिश्वत माना जायगा और साथ ही इसे एक जननायक की धारणा के विपरीत का लक्षण और सस्ती लोकप्रियता पाने का माध्यम कहा जायगा.

उत्तर प्रदेश, स्वाति सिंह, योगी आदित्यनाथ, लखनऊपैसे बांट के स्वाति ने दिया नए विवाद को जन्म

ज्ञात हो कि स्वाति उत्तर प्रदेश की कोई आम महिला नहीं हैं, वो एक जननायक हैं एक नेता है. लोगों ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है. इसके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें एक अहम जिम्मेदारी सौंपी है. मगर जिस तरह स्वाति का रुख है, वो ये साफ दर्शा रहा है कि अभी तक स्वाति इस मानसिकता से नहीं निकल पाईं हैं कि वो एक नेता हैं. और उनकी एक एक गतिविधि को न सिर्फ लोगों द्वारा बल्कि सत्ता पक्ष से लेके विपक्ष तक बारीकी से देखा जा रहा है. वो जो भी कर रही हैं उसपर केवल उनकी जवाबदेही है.

इसके अलावा अगर हम स्वाति के राजनैतिक उदय को देखें तो मिलता है कि इनका उदय खासा दिलचस्प है. स्वाति चर्चा में तब आईं जब उनके पति और भाजपा नेता दयाशंकर सिंह ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की तुलना एक वेश्या से करी थी.  पति के इस बयान के बाद न सिर्फ पार्टी ने उन्हें निकाला था बल्कि बसपा कार्यकर्ताओं ने भी उन्हें आड़े हाथों लिया था.

इस पूरे प्रकरण पर स्वाति का स्टैंड ही वो कारण था जिसके चलते न सिर्फ उन्होंने अपने पति को बचाया था बल्कि मीडिया में खासी लोकप्रियता हासिल की थी. इसके बाद न सिर्फ लोगों ने बल्कि पार्टी ने भी स्वाति को गंभीरता से लिया और उन्हें राजधानी लखनऊ की सरोजिनीनगर सीट से टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज की.   

गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पूर्व ही स्वाति तब चर्चा में थीं जब उन्होंने अपनी एक परिचित के बियर बार का उद्घाटन किया था. मामला मीडिया में आने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने घटना का संज्ञान लेते हुए स्पष्टीकरण मंगा था. इस घटना को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं और अब प्रसाद के नाम पर स्वाति का पैसे बांटना और माफ़ी मांगना ये साफ दर्शा रहा है कि स्वाति को मीडिया की चकाचौंध पसंद आ गयी है और वो लगातार ऐसा कुछ करते रहना चाहती हैं जिससे वो सुर्खियों में रहें.

स्वाति इस बात को जितना जल्दी समझ लें उतना अच्छा है कि अब वो एक आम गृहणी और एक नेता की पत्नी नहीं हैं बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण सूबे में जानता की प्रतिनिधि हैं. साथ ही उनको ये भी समझना होगा कि संविधान में एक नेता के लिए क्या - क्या कोड ऑफ कंडक्ट दिए गए हैं जिसका बारीकी से अधयन्न करते हुए उन्हें पालन करना होगा.

अंत में हम यही कहेंगे कि जिस तरह स्वाति लगातार चर्चा में बने रहने के लिए आए दिन नए नए विवाद उत्पन्न कर रही हैं वो न सिर्फ उनके बल्कि भाजपा और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के लिए भी भारी चुनौतियां खड़ी करेगा.  कहा जा सकता है कि ऐसे बयानों और कृत्यों से स्वाति तो बचकर निकल जाएंगी मगर विपक्ष इसके लिए मुख्यमंत्री से जवाब तलब करेगा. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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