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Updated: 02 सितम्बर, 2016 06:20 PM
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हाल में रियो ओलंपिक के बाद जब भारतीय एथलीट स्वदेश लौटे तो खबर आई कि एथलीट सुधा सिंह जीका वायरस से पीड़ित हो गई हैं. खैर, बाद में उनका टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आया. ये खबर राहत वाली जरूर थी. लेकिन जीका वायरस की भारत में एंट्री को लेकर चिंता अब भी है.

भारत या इसके जैसे कई एशियाई देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि में अगर ये बीमारी फैलती है तो दुनिया की एक बड़ी जनसंख्या प्रभावित होगी. दरअसल, हमारे साथ समस्या भी यही है कि कई ऐसी बीमारियां आती तो बाहर से हैं, लेकिन हमारे यहां आते ही ये महामारी बन जाती हैं. यही नहीं, खराब स्वास्थ्य सुविधायें, इंफ्रास्ट्रक्चर, अशिक्षा, गरीबी सब मिलकर उस हमेशा के लिए यहां बसा देते हैं.

तभी बर्ड फ्लू से लेकर डेंगू, चिकनगुनिया, दिमागी बुखार जैसी बीमारियां हमारे लिए रुटीन जैसी हो गई हैं. इन्हें किस मौसम में आना, कितना कहर बरपायेंगी..ये सब कुछ फिक्स जैसा हो गया है. नया खतरा जीका वायरस का है और अगर ये भारत आता है तो इससे निपटना और भी मुश्किल होगा.

जीका का खतरा..

दो दिन पहले सिंगापुर से जो खबर आई है, वो भी कान खड़े कर देने वाली है. पिछले एक हफ्ते में एक के बाद एक सिंगापुर से जीका वायरस संक्रमण के कई मामले सामने आए हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि कर दी है सिंगापुर में जीका वायरस के जो मामले सामने आए हैं, उसमें 13 भारतीय भी शामिल हैं. अब तक सिंगापुर में कुल 115 मामले सामने आए हैं और इसमें 57 विदेशी हैं.

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भारत समेत समूचे एशिया के लिए खतरे की घंटी.

दरअसल, पिछले साल मई में ब्राजील में सब पहली बार जीका वायरस से जुड़ा मामला सामने आया तभी से ये आशंका जताई जा रही है कि अगला खतरा एशियाई या अफ्रीकी देशों पर मंडरा रहा है. कारण यहां का मौसम और मच्छरों का पैटर्न. जानकारों के मुताबिक भारत, चीन, फिलिपींस, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देश खतरे के रडार पर सबसे ऊपर हैं.

मेडिकल जर्नल 'द लानसेट इंफेक्शस डीसिजेज' में जो अध्ययन छपे हैं इसने इस बहस को और तेज कर दिया है कि भारत या दूसरे एशियाई देश किस हद तक खतरे में हैं. गौरतलब है कि अफ्रीका, एशिया में करीब 2.6 अरब लोग यानी दुनिया की एक तिहाई से ज्यादा आबादी रहती है.

मतलब सीधा है. हमलोग विश्व के उन हिस्सों में रह रहे हैं, जो फिलहाल तो अप्रभावित हैं लेकिन जहां मच्छर भारी संख्या में हैं. यहीं नहीं, यहां का मौसम जीका के पनपने, फैलने के लिहाज से उपयुक्त है.

भारत में पहले भी आ चुका है जीका वायरस!

जीका वायरस का जिक्र सबसे पहले 1947 में मिलता है, जब वैज्ञानिक 1947 में यूगांडा में डेंगू पर रिसर्च कर रहे थे. वहीं, यूगांडा के जीका नाम के जंगल में एक बंदर में ये वायरस पहली बार मिला. इसके कुछ ही साल बाद यूगांडा, तंजानिया और नाइजीरिया जैसे देशों में मानवों में जीका वायरस का संक्रमण देखने को मिला. 1060 से 1980 के बीच अफ्रीका सहित कुछ एशियाई देशों जैसे भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और पाकिस्तान में जीका वायरस का संक्रमण फैला. लेकिन तब शायद यह उतना नहीं फैला.

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इसलिए वैज्ञानिक आज के दौर को उस वक्त से भी जोड़ कर देख रहे हैं. यह देखना होगा कि अफ्रीका और एशिया में जीका के जो छुटपुट मामले सामने आए थे, वे इतने व्यापक तौर पर फैले कि लोगों ने इसके लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर ली हो. ये अभी कोई नहीं जानता.

2012 में वैज्ञानिकों यह पता लगाने में कामयाब रहे कि जीका वायरस दो तरह के हैं. आसाना शब्दों में समझिए तो वो दो वंशों के हैं. एक एशियाई और दूसरा अफ्रीकी. पिछले साल जीका का जो भयावह रूप दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में दिखा वो एशियाई जीका वायरस के कारण था.

कैसे फैलता है जीका

जीका वायरस मुख्य रूप से एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है. इसके लिए एडीज इजीप्टिाई मच्छर भी जिम्मेदार हैं जिनसे डेंगू भी फैलता है. इसके अलावा जीका वायरस यौन संबंधों के जरिए भी फैलता है.

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 जीका के निशाने पर भारत!

इसके अलावा जीका के साथ सबसे बड़ा खतरा ये है कि अगर ये गर्भवती महिलाओं को होता है तो ये सीधे-सीधे होने वाले बच्चे को प्रभावित करता है. इसका असर ये होगा कि मां के पेट में बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो सकेगा. इसका सबसे खराब असर मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमागी विकास पर होता है.

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जीका, डेंगू, चिकनगुनिया...एक जैसे, फर्क कैसे करोगे?

ये सवाल सबसे अहम है क्योंकि ऐसी सभी बीमारियों के लक्षण करीब-करीब एक जैसे होते हैं. जोड़ों में तेज दर्द, तेज बुखार, बदन दर्द, शरीर पर रैशेज ये सब लक्षण तीनों ही बीमारियों में है. इसलिए आम आदमी के लिए ये फर्क करना बेहद मुश्किल होता है उसे हुआ क्या है.

ब्राजील में ही जब जीका के मामले सामने आए तो बीमारियों में भेद करने की मुश्किल सामने आई थी. कई ऐसे मरीजों का मामला सामने आए जिन्हें शुरुआत में डेंगू का मरीज बता दिया गया. हां, साफ फर्क ब्लड टेस्ट के बाद ही किया जा सकता है.

कितना तैयार भारत

इसी साल फरवरी में ये खबर आई थी कि हैदराबाद की भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के वैज्ञानिकों ने जीका वायरस के लिए टीका तैयार कर लिया है. हालांकि यह अभी भी परिक्षण और जांच के दौर में है. भारत सरकार भी दावा करती रही है कि जीका वायरस के लिए जो टेस्ट किए जाते हैं, उसका किट हासिल करने और उसे पूरे देश में मुहैया कराने की तैयारी जारी है. लेकिन अभी ये फिलहाल दावे ही हैं.

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भारत में हर साल डेंगू और चिकनगुनिया की कहानी सामने आती है. लेकिन फर्ज कीजिए, तब क्या होगा जब इस सूची में जीका का नाम भी शामिल हो जाए? सरकार कह रही है कि उसकी तैयारी पूरी है. लेकिन क्या वाकई सरकार के दावों पर भरोसा किया जा सकता है क्योंकि पहले के उदाहरण देखिए, तो विश्वास जमता नहीं. हम अब भी सुस्त हैं, और शायद तब जागें जब कोई पहला मामला सामने आ जाए!

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