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Updated: 28 सितम्बर, 2015 08:41 PM
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'पिछली रात जब मैं अपनी दोस्त के घर से आ रही थी एक विद्यार्थी अपनी खिड़की से मुझ पर चिल्लाया "You Indian piece of shit!" और अपनी ड्रिंक मुझ पर और मेरे दोस्तों पर फेंक दी.' ये शब्द हैं अमेरिका में रहने वाली 21 वर्षीय रिनी संपत के जिन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर उन्होंने अपने साथ हुए इस व्यवहार का जिक्र किया है.

रिनी संपत भारतीय मूल की हैं और पिछले 16 सालों से ऐरिजोना में रह रही हैं. वो यूनी‍वर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी) की स्टूडेंड प्रेसीडेंट भी हैं. अपने साथ हुए भेदभाव के इस कड़वे अनुभव से रिनी बहुत आहत हुईं. हालांकि जब उन लोगों को इस बात का अहसास हुआ कि ये हरकत यूएससी की स्टूडेंड प्रेसीडेंट के साथ की गई तो उन्होंने रिनी से माफी भी मांगी. लेकिन मांफी मांगने पर रिनी और भी आहत हो गईं. उन्होंने इस बात का जवाब अपनी फेसबुक वॉल पर ऐसा दिया कि उनकी पोस्ट कुछ ही देर में वायरल हो गई और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें सपोर्ट मिला.

रिनी कहती हैं कि- मेरे अंदर एक अजीब सा खालीपन है, लेकिन अपनी बात मैं सार्वजनिक तौर पर इसलिए कह रही हूं कि ये अब और नहीं चल सकता. कुछ लोगों को लगता है कि नस्‍लभेद जैसी चीज़ उनके कैंपस में हो ही नहीं सकती. कुछ लोग तो इस बात पर भी शक करते हैं कि हमें सुरक्षित जगहों की ज़रूरत है, सांस्कृतिक संसाधन केंद्रों की ज़रूरत है, अलग अलग लिंग के हिसाब से बाथरूम की जरूरत है, और हमारे पाठ्यक्रम में विविधता की ज़रूरत है, हमारे प्रोफेसरों में विविधता की ज़रूरत है या फिर बातचीत में विविधता की ज़रूरत है. और वो लोग जो इस बात को मानते हैं कि हम केवल एक 'रेस' कार्ड से खेल रहे हैं, तो मैं उनसे पूछती हूं-'यहां जीतने से क्या मिलेगा? सम्मान ? मानवता ? दूसरों के लिए प्यार और दया भले ही वो कैसे ही दिखते हैं?'

रिनी कितनी आहत थीं इस बात का अंदाजा उनके इन शब्दों से लगाया जा सकता है-

ये सिर्फ एक घटना नहीं है, ऐसा हर जगह होता है. मेरे जैसे दिखने वालों के साथ आज क्या होगा कौन जाने? “You Indian piece of shit” एक इस तरह की भाषा है जिसे हमला करने वाले किसी की निर्मम हत्या करने से पहले बोलते होंगे. ये वो शब्द हैं जिससे आप किसी को नीचा दिखाते हैं. ये शब्द मेरे कानों में इतनी जोर से सुनाई दे रहे हैं कि मैं इससे निकल नहीं पा रही. चाहे नस्‍लभेद या लिंगभदे इंटरनेट पर हो या फिर बंद दरवाजों के पीछे, चाहे वो छोटे स्तर पर हो, या फिर सिर्फ मज़ाक में हो, ये सही नहीं है, ये कभी भी सही नहीं रहा है.'

और अंत में उन्होंने कहा कि-

मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं, पर ये मेरी सार्वजनिक याचिका है. मुझे नहीं पता कि जो कुछ भी मैंने यहां लिखा है वो काफी है, क्योंकि मेरे जैसे दिखने वाले लोग जो अनुभव करते हैं, और हर रोज उन पर क्या गुजरती है, उसे समझाने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. हम पिछली रात एक फुटबॉल मैच हार गए, लेकिन यहां उससे भी बड़ा कुथ है जो छूट रहा है, और हमें उसे वापस पाना है.'

रिनी की इस बात का समर्थन यूएससी इंटर फ्रेटरनिटी काउंसिल ने भी किया और पत्र लिखकर रिनी के साथ हुई इस घटना की निंदा की और रिनी से इस मामले में लिखित शिकायत दर्ज करने को कहा।

रिनी ने अपनी पोस्ट में क्या लिखा आप भी पढ़ सकते हैं.

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                                                                रिनी द्वारा शेयर की गई पोस्ट
 
 

#नस्लभेद, #इंडियन, #अमेरिका, नस्लभेद, भारतीय, अमेरिका

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