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Updated: 16 जून, 2016 08:10 PM
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पिछले साल नवंबर में पूरी दुनिया पेरिस में हुए आतंकी हमले से कांप गई थी. आईएस द्वारा किए गए इस हमले में करीब 130 लोगों की हत्याी कर दी गई थी. इन्हीं हमलों में मारी गई एक अमेरिकी लड़की नोहेमी के पिता रेनाल्डो गोंजालेज ने दिग्गज इंटरनेट कंपनियों गूगल, फेसबुक और ट्विटर के खिलाफ केस कर दिया है.

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 तीन बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ दर्ज किया केस

रेनाल्डों का मानना है कि दुनियाभर में फैल रहे आतंकवाद का कारण ये कहीं न कहीं ये सोशल मीडिया ही है. उनका दावा है कि ये कंपनियां इन आतंकी संगठनों को प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती हैं, और उनके सपोर्टर्स उनकी विचारधारा को इन प्लेटफॉर्मस पर फैलाते हैं.

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रेनाल्डो‍ की 23 साल की बेटी नोहेमी 13 नवंबर को अपने दोस्तों के साथ एक रेस्त्रां में डिनर कर रही थीं. तभी दो आतंकियों ने उस रेस्त्रां में ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं. इस हमले में नोहेमी के साथ-साथ रेस्टोकरेंट में बैठे 19 अन्‍य लोगों की भी मौत हो गई थी.

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 23 साल की नोहेमी रेस्त्रां में डिनर कर रही थीं

कंपनियों पर लगाए हैं संगीन आरोप-

रेनाल्डो ने इन कंपनियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये तीनों कंपनियां जानबूझकर इस्लामिक स्टेट ग्रुप को अपना प्रोपोगेंडा फैलाने, ज्यादा से ज्यादा सदस्यों को भर्ती करने और धन जुटाने की इजाजत दे रही हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि लोगों के सिर कलम करने के वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किए जा रहे थे, लेकिन इन्हेंन नजरअंदाज कर दिया गया. यू-ट्यूब पर पोस्ट किए गए वीडियोज के साथ-साथ गूगल का विज्ञापन भी चल रहा था, इसका मतलब ये है कि गूगल इन संगठनों के साथ रेवेन्यू भी साझा करता है.

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 नोहेमी के माता-पिता

बचाव में क्या कहा कंपनियों ने

इन सोशल मीडिया के इन दिग्गजों का कहना है कि इस केस में कोई दम नहीं है. उनका कहना है कि इस तरह की उग्रवादी सामग्री के खिलाफ हर कंपनी की अपनी अलग नीति होती है.

हालांकि इसपर रेनाल्डो के वकील का कहना है कि कंपनियों पर उनके रवैये की वजह से केस किया गया है, उनकी सेवाओं के माध्यम से प्रकाशित की गई किसी सामग्री की वजह से नहीं.

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इस मामले में फिलहाल दोनों ही पक्षों में बहस की स्थिति बनी हुई है. मारी गई बच्ची के पिता का नजरिया सोशल मीडिया के प्रति जाहिर है ऐसा ही होगा, वहीं ये भी भूलना नहीं चाहिए कि ये कंपनियां कोई छोटी मोटी कंपनियां तो हैं नहीं, इनके पास भी बचाने वालों की पूरी टीम मौजूद है. सोशल मीडिया पर भड़काऊ कंटेंट आग की तरह फैलता है, जाहिर है उनसे लोगों में आक्रेश भी बढ़ता है. ऐसे में देखना ये है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच का झण्डा बुलंद करती इन कंपनियों को अपनी पॉलिसी में बदलाव करने पड़ते हैं या नहीं.

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