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Updated: 21 जनवरी, 2020 07:13 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पिछले दिनों एक खबर को लेकर खूब चर्चा हुई कि 100 साल का एक कछुआ 800 बच्चों का बाप बना है. डिएगो नाम के इस कछुए (Diego the tortoise aged 100 years) ने गैलापागोस (Galapagos) प्रजाति के कछुओं को न सिर्फ विलुप्त होने से बचाया, बल्कि गैलापागोस आइलैंड पर ढेर सारे कछुए पैदा कर दिए. कछुओं की गैलापागोस प्रजाति खुशकिस्मत थी कि उन्हें डिएगो (Diego) जैसा नर कछुआ मिला, जिसने पूरी प्रजाति को बचा लिया, लेकिन उत्तरी सफेद गेंडे (Northern White Rhino) की प्रजाति इतनी किस्मत वाली नहीं है. उसे बचाने के का बीड़ा जिस सफेद नर गेंडे सूडान (Sudan) को दिया था, वह अपनी प्रजाति को बचाने के लिए प्रजनन नहीं कर सका. अब सफेद गेंडों की इस प्रजाति के सामने विलुप्त होने का संकट आ गया है, क्योंकि दुनिया में अकेला बचा नर सूडान भी ओल पजेटे कंजरवेंसी (ओल पेजेटा कंजरवेंसी (Ol Pejeta Conservancy) में मार्च 2018 में ही मर चुका है और अब सिर्फ दो मादा गेंडे बचे हैं. खैर, अब इस प्रजाति को बचाने की जिम्मेदारी इंसान ने उठाई है. जो काम नर गेंडा सूडान नहीं कर सका, वो काम अब इंसान करेगा. दोनों मादा गेंडों से प्रजनन कराया जाएगा, ताकि कुछ और गेंडे पैदा हो सकें और ये प्रजाति विलुप्त होने से बच जाए. इसके लिए इंसान उस तकनीक (Artificial Insemination यानी कृत्रिम गर्भाधान) का इस्तेमाल करेंगे, जो जब नई-नई आई थी तो उस पर तमाम उंगलियां उठी थीं. कई सवालिया निशान खड़े किए गए थे. यहां तक कह दिया गया था कि ये प्रकृति के साथ छेड़छाड़ है. बता दें कि वैज्ञानिक IVF (In vitro fertilisation) तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

Northern White Rhino near Extinctionडिएगो कछुए ने तो अपनी गैलापागोस प्रजाति को बचा लिया, लेकिन सूडान अपनी उत्तरी सफेद गेंडे की प्रजाति के लिए वैसा योगदान नहीं दे सका.

IVF तकनीक से उत्तरी सफेद गेंडे पैदा करने की हो रही कोशिश

दुनिया के अकेले बचे नर गेंडे सूडान की मौत के साथ ही वैज्ञानिकों ने IVF तकनीक से गेंडे पैदा करने की कोशिशें शुरू कर दी थीं. खुशखबरी ये है कि वैज्ञानिकों सफलतापूर्वक तीन भ्रूम यानी एम्ब्रियो (embryo) तैयार भी कर लिए हैं. इन्हें मादा गेंडों से मिले एग यानी अंडों और मर चुके नर गेंडों से एकत्र किए गए फ्रोजन स्पर्म से तैयार किया है. सभी भ्रूण को लिक्विड नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा गया है, जिन्हें आने वाले महीनों में सरोगेट मदर दक्षिणी सफेद गेंडों में आरोपित किया जाएगा. केन्या वाइल्डलाइफ मंत्री नाजिब बलाला ने कहा है कि ये देखकर बहुत ही खुशी हो रही है कि एक बड़े नुकसान से खुद को बचाने में लगभग सफ हो चुके हैं और विज्ञान के जरिए हम एक पूरी प्रजाति को विलुप्त होने से बचा पाएंगे. फिलहाल कोशिश ये हो रही है कि कम से कम 5 गेंडे तो पैदा किए ही जा सकें, जिन्हें अफ्रीका के उनके असली पर्यावरण में छोड़ दिया जाएगा.

कुछ बातें नर गेंडे सूडान के बारे में भी जान लीजिए

सफेद गेंडों में बचे अकेले नर सूडान की मार्च 2018 में मौत हो चुकी है. उसका जन्म सूडान में ही हुआ था, इसलिए उसका नाम भी सूडान रख दिया गया. दिसंबर 2009 में उसे केन्या के ओल पेजेटा कंजरवेंसी में लाया गया था, जहां पर उसके अलावा उम्र से उससे छोटा एक अन्य नर था और दो मादाएं थीं. बता दें कि इन दो मादाओं में एक सूडान की बेटी नाजिन (Najin) है और दूसरी उसकी बेटी की बेटी यानी नातिन फाटू (Fatu) है. कुछ साल के बाद सूडान के अलावा जो नर गेंडा था उसकी मौत हो गई और फिर सूडान पूरी दुनिया में अकेला सफेद गेंडा बचा था. इस प्रजाति के लिए सूडान कितना अहम था, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सूडान को 24 घंटे हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में रखा जाता था, ताकि कम से कम शिकारियों के हाथों उसकी मौत ना हो जाए. आपको बता दें कि 1960 तक दुनिया में 2000 सफेद गेंडे थे, लेकिन इसकी सींघ कोकेन से भी महंगी बिकती है, इसलिए शिकारियों ने अपने फायदे के लिए इन्हें मारना शुरू कर दिया. अब नौबत ये आ गई है कि इस प्रजाति की सिर्फ दो मादा गेंडे बचे हैं, जिनसे कृत्रिम गर्भाधान के जरिए बच्चे पैदा कराने की कोशिश हो रही है. मार्च 2018 में सूडान को इच्छा मृत्यु दे दी गई, क्योंकि एक तो वह खड़ा नहीं हो पा रहा था और ऊपर से उसे कई चोट भी लग गई थीं. 45 की उम्र में सूडान की हालत 90 साल के इंसान जैसी हो गई थी.

जब सूडान 24 घंटे कड़ी सुरक्षा में रहता था, उस वक्त का ये वीडियो शायद उसकी आखिरी झलक है.

डिएगो ने बचा लिया अपनी प्रजाति को

डिएगो नाम के एक कछुए ने अपनी गैलापागोस प्रजाति को बचाने वाला काम किया है, जिसकी वजह से कुछ दिन पहले उसकी खूब चर्चा हुई. जब उसे गैलापागोस आइलैंड पर लाया गया था, उस समय वहां सिर्फ 2 नर कछुए और 12 मादा कछुए थे. डिएगो जिस प्रोग्राम का हिस्सा बना था, उसके तहत इस प्रजाति के कछुओं की संख्या को 15 से 2000 पहुंचा दिया गया है. इस प्रोग्राम में डिएगो को 1970 में शामिल किया गया था. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स पी गिब्स के अनुसार करीब 40 फीसदी आबादी यानी 800 कछुए अकेले डिएगो ने ही बढ़ा दिए हैं. बाकी की 60 फीसदी आबादी 'ई5' कछुए ने बढ़ाई है, जो डिएगो की तुलना में काफी कम आकर्षक है. बता दें कि कछुओं की ये प्रजाति वर्तमान में भी 'इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर' की सूची में संकटग्रस्त प्रजाति के तौर पर शामिल है.

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार डिएगो की लंबी गर्दन है, पीलापन लिए हुए चेहरा है और छोटी चमकदार आंखें हैं. वह करीब 5 फुट का है और उसका वजन लगभग 176 पाउंड यानी करीब 80 किलो है. इस प्रजाति के कछुओं को बचाने में उनकी गर्दन काफी मददगार होती है, जिसके जरिए वह ऊपर मुंह उठाकर अपने खाने की चीजों का इंतजाम कर पाते हैं. डिएगो 1928 से 1933 के बीच अमेरिका लाए गए कछुओं में से एक है.

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