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Updated: 08 नवम्बर, 2016 11:27 AM
डीपी पुंज
डीपी पुंज
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डिजिटल हिंदुस्तान आज बटा हुआ है दो ध्रुवों में, मोदी समर्थक और मोदी विरोधी. दोनों धुर्व अपना-अपना राग अलाप रहे हैं.  कुछ लोग जो न समर्थक है न विरोधी है वो पेंडुलम की तरह लटक रहे है.

ओवर एक्टिंग की हद हो गई है....

मोदी समर्थक सवाल पूछने पर ही भड़क जाते हैं. पर वो ये नहीं देखते ही उनके मोदी सवालों से परहेज नहीं करते. मोदी एक मजबूत नेता हैं. उनसे पक्ष और विपक्ष दोनों को काफी उम्मीदें है. एक नेता जिसको लोग इतना तवज्जो देते है चाहें उनके घोर आलोचक ही क्यों न हों. ये तो मोदी जी के लिए अच्छी बात है क्योंकि एक बड़े नेता को सवालों के घेरे में अच्छा प्रदर्शन करना होता है. उसको अपनी आकलन करने में सहूलियत होती है.

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मोदी विरोधी मोदी के नाम लेने पर ही भड़क जाते हैं जैसे उनकी जीभ पर कोई गरम लोहा का सरिया रख दिया गया हो और उसके बाद वो घंटो बड़बड़ाते रहते हैं. मोदी अगर देश हित का भी बात करते हैं तो लोग इसलिए विरोध करते हैं क्योंकि इसमें मोदी हैं. ये लोग मोदी और भारत में अंतर क्यों नहीं कर पा रहे हैं?

NDTV को बैन क्यों..?

NDTV ने अगर कोई गुनाह किया है तो उसको सजा मिलनी चाहिए. अगर उसको लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है तो उसको कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए. बेकार का प्रोपगेंडा नहीं करना चाहिए कि देश में आपातकाल आ गया है. ये आपातकाल नही आफ़तकाल चल रहा है. अपना देश मोदी समर्थन और मोदी विरोध में दब गया है.

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 फाइल फोटो: नरेंद्र मोदी

मेरा डर...

2014 के इलेक्शन के पहले जो मुझे डर थी वो आज मेरी आँखों के सामने है. उस वक़्त मैं ये सोच कर ही डर जाता था कि अगर मोदी जीत जाते हैं तो देश में कितना अशांति हो जाएगी? मैं मोदी समर्थक और विरोधी दोनों से डरता था. मैं जानता था कि गुजरात के CM के तौर पर जिस व्यक्ति को देश का एक बड़ा वर्ग स्वीकार नहीं करता उसको PM के तौर पर कैसे देख पाएगा? और मैं ये भी जनता था कि समर्थक जीतने पर कहीं अति उत्साही न हो जाएं. आज यही हुआ है.

मोदी के लागतार और धुआँधार कामों पर ये दोनों ध्रुवों ने पर्दा डाल रखा है. इनके शोर में मोदी के विकास कार्य दब कर रह गए है वार्ना क्या करण था कि जिस व्यक्ति का पूरा विश्व गान कर रहा है पाकिस्तान भी गुमान कर रहा कि उसके यहाँ भी मोदी जैसा प्रधानमंत्री होता तो कितना अच्छा होता वो आज दूसरे देश के मीडिया के ऊपर निर्भर है और देश के मीडिया उसके कामों के सबूत मांग रही है. पाकिस्तानी मीडिया मोदी के कारनामों के बखान में लगा पड़ा है और देश के मीडिया TRP में.

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आतंकवाद मिटाने की इतनी जल्दी क्यों?

भारत क्या-क्या देखेगा? एक वो दिन थे जब सरकार घोटालों के लिए जानी जाती थी आज एनकाउंटर के लिए जानी जा रही है. जब वर्षो से आतंकियों को पालपोष के रखा गया है तो आज उनलोग से हमे छुटकारा क्यों चाहिए. माना भारत के कोर्ट न्याय देने में देरी करती है और आतंवाद विरोधी मुहीम को धीमा कर रही है. हम कम से कम आतंकवादियों के लिए फ़ास्ट ट्रैक रखें और एक फांसी के लिए अलग से जेल भी रखें ताकि उनका केस जल्दी से निपटा कर उनको फांसी देकर उनका एनकाउंटर कर दिया जाए. क्या हम इतना भी नहीं कर सकते?

दुकानदारी चमकाने वाला मोदी...

मीडिया हो, नेता हो, अभिनेता हो, पत्रकार हो, छात्र संघ हो, या आम लोग हो आज मोदी का समर्थन देकर या विरोध कर के सब अपना दुकानदारी चमकाने में लगे हैं. जब कोई समर्थक ये देखता है कि मोदी के समर्थन में उसकी दुकानदारी ठीक नहीं चल रही है तो फट से विरोध में आ जाता है और जब कोई विरोधी अपने दुकानदारी के हालात से निराश होता है तो मोदी के समर्थन में आ जाता है और अपनी दुकानदारी चमका लेता है. हार्दिक से कन्हैया तक, केजरीवाल से राहुल तक, रीता बहुगुणा से नीतीश तक, गठबंधन से महागठबंधन तक सब तेज़ी से बदल रहा है. देश बदल रहा है दुकानदारी चमकाने को.

मेरा परिचय...

हम गरीब मजदूर किसान दबे कुचले लोग है जो पेंडुलम की तरह लटक रहे हैं. हम चिपकू लोग नहीं हैं. हम वहीं जाते जहाँ हमारी बात होती है. कोई गलतफहमी में न रहना कि तेरे डिजिटल वॉर में हम शामिल हो जाएंगे. हम अंध भक्ति और अंध विरोधी के शत्रु है क्योंकि हम आंख के साथ दिमाग भी खोल के रखते है.

हे भगवान मुझे सुरक्षित रखना समर्थकों से भी और विरोधियों से भी. मैं पैंडुलम की तरह लटक रहा हूँ तो अच्छा हूँ.

लेखक

डीपी पुंज डीपी पुंज @dharmprakashpunj

स्वतंत्र लेखक

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