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Updated: 22 जून, 2021 10:39 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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भारतीय शादी (Indian Marriage) का मतलब खूब रासी रस्में, डांस, गाना, बजाना और खूब सारा खाना. सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी भारतीय कल्चर की शादियों को खूब पसंद किया जाता है. भारत में शादी की तैयारी कई महीनों पहले से ही शुरू कर दी जाती है. शादी के दिन को यूनिक बनाने के लिए घरवाले और रिश्तेदार पहले से ही आइडिया सोच लेते हैं.

शादी के डेकोरेशन से लेकर मेन्यू तक सबकुछ खास होना चाहिए. कई महीनों पहले से ही घर में सेलिब्रेशन होने लगता है. हालांकि कोरोना काल ने बहुत कुछ बदल दिया. जिसमें शादियों का ट्रेंड भी बदल गया है. भले कोरोना काल में ही इस बदलाव की जरूरत तो बहुत पहले से थी. वैसे भी आजकल के युवा को साथ देने वाला पार्टनर चाहिए दिखावा नहीं.

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दरअसल, आजकल लोग भीड़-भाड़ की जहग सिंपल शादियां पसंद करते हैं. कपल के बीच माइक्रो वेडिंग ट्रेंड (Micro Wedding Trend) काफी फेमस हो रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि ये माइक्रो वेडिंग कपल के लिए किस तरह से फायदेमंद है.

असल में इस तरह की शादी में दूल्हे और दुल्हन के अलावा उनके परिवार के बेहद करीबी मेहमान ही शामिल होते हैं. इस शादी में कम से कम लोगों को बुलाया जाता है. इस तरह की शादी में ज्यादा से ज्यादा 50 से 100 लोग ही शामिल हो सकते हैं. वैसे ज्यादातर 20 से 25 लोग ही शामिल होते हैं. हां, लेकिन शादी शानदार तरीके से ही होती है.

1- इंडियन मैरिज में शादियों पर बहुत खर्चा किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जिस शादी में जितने अधिक लोग शामिल होंगे वो शादी उतनी ही शानदार कहलाएगी. वहीं अब माइक्रो वेडिंग के ट्रेंड में आते ही इस तरह की शादी का चलन कम हो गया है. अब लोग कम मेहमानों की मौजूदगी में शादी करना पसंद कर रहे हैं. भले ही दिखावे के नाम पर खूब पैसा बहाया जाता है, लेकिन कमी निकालने वाले तो इसके बाद भी बुराई खोज लेते हैं.

2- शादियों में लोग कम होते हैं तो सबकी खातिरदारी भी अच्छे से हो जाती है. असल में ग्रेंड शादियों में गेस्ट लिस्ट काफी लंबी होती है. ज्यादा लोग होने की वजह से अगर किसी रिश्तेदार की खातिरदारी में कोई कमी रह जाए जाती है तो वह नाराज हो जाता है. भारतीय शादी में मेहमानों का रूठना आम बात है. वहीं अब माइक्रो वेडिंग के कारण कम से कम गेस्ट होते हैं. जिस वजह से लोगों के नाराज होने की चिंता कम रहती है और सभी खुलकर शादी को एंजॉय कर पाते हैं.

3- हमारे यहां की शादियों में लोग कर्ज में डूब जाते हैं, खासकर लड़की की शादी में. लोग क्या कहेंगे, यह बात इस कदर हावी रहता है कि घरवाले अपना सबकुछ शादी पर खर्च कर देते हैं. बाद में सालों तक कर्ज भरा जाता है. असल में दिखावे के चक्कर में लोग शादी पर इतना खर्च कर देते हैं कि वे कर्ज में डूब जाते हैं. वहीं मगर माइक्रो वेडिंग में लोग अपनी शादी एकदम बजट फ्रेंडली तरीके से कर रहे हैं. इस कारण शादी के बाद वे बिना टेंशन के आराम से जीते हैं.

4- माइक्रो वेडिंग में लोग कम रहते हैं इसलिए छोटी सी जगह में भी सुंदर सजावट हो जाती है. लोगों की गेद्रिंग के लिए भी छोटी जगह की ही जरूरत पड़ती है और कम से कम खर्च में पूरी वेडिंग डेस्टिनेशन की सजावट पूरी हो जाती है. सजावट में ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ते. लोगों के लिए थीम प्लान करना आसान हो जाता है.

लॉकडाउन में कई शादियां हुईं है. पहले इस तरीके से शादियां करने पर समाज के लोग बाते बनाते थे कि जरूर कोई बात है. वहीं लॉकडाउन और कोरोना ने शादी करने के ट्रेंड को ही बदल दिया है. जिन लोगों को पहले माइक्रो वेडिंग बकवास लगता था अब खुद वही लोग तारीफ कर रहे हैं. आज के जमाने के लड़के-लड़कियां कहीं फालतू पैसा खर्च करने के मूड में नहीं हैं. उन्हें यह लगता है कि जो पैसा बचेगा वही भविष्य में काम आएगा.

कई लोग तो यह भी कह रहे हैं कि शादियों को हमेशा के लिए ऐसे ही कर देना चाहिए, सिर्फ कोरोना काल में ही क्यों...वहीं कई लोगों ने तो सोच भी लिया है कि भले शादी कभी भी करें, लेकिन करेंगे तो सिंपल तरीके से ही. अब जब कम लोग होंगे तो मेहमानों के साथ-साथ दूल्हा-दुल्हन भी और अच्छे से अपनी शादी के खास पल को एंजॉय करेंगे, वरना हजार लोगों की भीड़ में सबकी फिक्र होती है सिवाय दूल्हा-दुल्हन के...क्यों, आपकी क्या राय है?

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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