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Updated: 28 जनवरी, 2017 04:29 PM
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जैसे साहित्य में मिलने वाले रस के दो भाव होते है- कुछ स्थाई और कुछ संचारी. हर स्थायी भाव के साथ कुछ संचारी भाव लगे चले आते हैं. ऐसे ही हर स्त्री के कई पति होते हैं. एक स्थायी पति और बाकी के ‘संचारी पति’.

पति मतलब, जिसमें पतिपन हो. स्थाई पति तो अपने भाषा व व्यवहार को पतिपन की धार देता ही रहता है. संचारी पति भी मौका पड़ते ही मत चूको चौहान हो जाते हैं. जिस वक़्त स्त्री जिस पुरुष के साथ हो उतने वक़्त के लिए वह पति हो जाता है.

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ड्राइवर के साथ हो तो वह आपको अपना कर्तव्य समझने लगता है. रास्ता वह तय करेगा, बेचारी मैडम को क्या मालूम. पेट्रोल भरवाते चौकस रहेगा, मैडम मूर्ख बनाई जा सकती हैं. इस पेट्रोल पम्प से न लीजिए मैडम, बेईमान है. गाड़ी बैक करते हुए तो कोई भी राह चलता आपकी चिंता करने लगता है, मानो वह मदद न करे तो आप कभी गाड़ी न लगा सकें.

यहां तक कि दुकानदार भी चिंतित रहता है, मैडम ये आपके स्टैण्डर्ड का नहीं, ये वाला ब्रांड ले जाइए आपके 4 काम और करेगा. गुस्सा तब आता है जब आप उससे लार्ज साइज़ का कुरता मांगें और वह कहे- अरे, आपको तो मीडियम ही आ जाएगा, मेरी बात मानिए!

कोई दोस्त हो तो जितने वक़्त साथ हो वही पति हो जाता है, संचारी वाला. आपकी भूख प्यास सुरक्षा उसे अपना कर्तव्य लगने लगती है. इसमें भी कभी-कभी तो आनंद है, लेकिन कभी-कभी लगता है यह स्टॉकिंग है.

पति पूछे तो पूछे, चलो वह खर्चा पानी दे रहा है, हालांकि खर्चा पानी लेने और खर्चा पानी देके किसी की ज़िंदगी को अपनी वस्तु मान लेने के भी मैं कतई खिलाफ हूं. जो खर्चा पानी नहीं दे रहे वे भी निगाह रखने लगते है कब कहां थी, किसके साथ इतनी देर तक क्या किया. कभी कभी इससे स्त्री को अपनी अहमियत का अंदाजा लगाने और खुश होने की ट्रेनिंग काम करती है और उसे सब सामान्य लगता है.

मुझे अक्सर हंसी आती है इस पर तब तक जब तक कि संचारी पति आई गई का हिसाब न मांगने लगे. बेशक पतियों से जीवन की बहुत सी मुश्किल बातें हल भी हो जाती हैं. लेकिन कभी-कभी हम स्त्रियां आपकी इस अदा से वीआईपी कम और बच्चा ज़्यादा फील करती हैं.

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लेखक

सुजाता सुजाता @sujata.chokherbali

लेखक दिल्ली यूनिवर्सिटी में लेक्चरर हैं

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