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Updated: 30 अप्रिल, 2018 11:05 AM
ताबिश सिद्दीकी
ताबिश सिद्दीकी
  @delhidude
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एक व्यापारी बुद्ध से बहुत नाराज था. क्योंकि उसके बेटे बुद्ध के शिष्य बन चुके थे. व्यापारी को ये समझ नहीं आता था कि कैसे उसके बेटे एक इंसान के पीछे इतना पागल हो सकते हैं जो कुछ भी नहीं करता है और ज़्यादातर समय अपनी आखें बंद रखता है. व्यापारी को लगता था कि उसके बेटे अपना समय खराब कर रहे हैं जबकि इस समय उनको व्यापार करना चाहिए था.

गुस्से में व्यापारी बुद्ध के पास जाता है. गुस्सा इस चरम पर होता है कि पहुंचते ही वो बुद्ध के मुंह पर थूक देता है. जवाब में बुद्ध आंख खोलकर मुस्कुरा देते हैं. बुद्ध के शिष्य मुट्ठी भींच लेते हैं और उसे मारने को तैयार हो जाते हैं. मगर बुद्ध मुस्कुराते रहते हैं और आखें बंद कर लेते हैं. वो आदमी उसी गुस्से में वहां से वापस भाग जाता है. मगर बुद्ध की वो आखें और उनकी वो मुस्कराहट उसका पीछा नहीं छोडती है. रात भर वो बेचैन रहता है और सो नहीं पाता. वो सोचता है कि पूरी उम्र वो बड़े बड़े लोगों से मिला. खूब व्यापार किया. खूब पढ़ा खूब सीखा. मगर किसी के अपमान के बदले में ऐसे मुस्कुरा देना, उसे किसी ने नहीं सिखाया. ये कौन सी विद्या है. वो क्या था उन गहरी आखों के भीतर जो उसे अभी तक भेद रही हैं और वो क्या था उस मुस्कराहट में जिसने उसका सारा गुसा काफ़ूर कर दिया है.

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दूसरे दिन सुबह ही वो बुद्ध के पास जाकर उनके चरणों में गिर जाता है और कहता है "मुझे माफ़ कर दीजिये प्रभु...मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई". बुद्ध कहते हैं कि "वो उसे माफ नहीं कर सकते हैं".

आश्चर्यचकित होकर व्यापारी और बुद्ध के शिष्य बुद्ध को देखने लगते हैं. बुद्ध कहते हैं "जिस व्यक्ति को कल तुमने मारा वो अब यहां नहीं है. अगर वो कभी मुझे मिला तो मैं तुम्हारी क्षमा उस तक पहुंचा दूंगा. मगर ये जो बुद्ध तुम्हारे सामने आज बैठा है ये नया है. एकदम नया. इसलिए ये तुम्हे क्षमा नहीं कर सकता है."

हम प्रतिपल नए हैं. मगर भारत की चेतना का इस समय ये हाल है कि वो एक चुनाव, नेता और राजनीतिक उठापटक में सालों से फंसी हुई है. हम सबकी सोच जैसे जड़ हो गयी है. और ये बड़ी भयावह स्थिति है. इस समय हम सबको बुद्ध को जानने और समझने की बहुत आवश्यकता है.

ये बुद्ध थे जिन्होंने लोगों को वर्तमान में रहने की महत्ता समझाई. ये बुद्ध थे जिन्होंने पूरे मानव चेतना के एक नए युग कि शुरुआत की. बुद्ध दुनिया के हर समाज, हर धर्म और हर जाति के लिए वैद्य जैसे हैं. जब भी आप स्वयं को मानसिक रूप से बीमार महसूस करें तो बुद्ध की शरण में जाइए. बुद्ध की वो गहरी बंद आखें आपकी आखें खोल देंगी.

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