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Updated: 15 जून, 2017 02:39 PM
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सुबह-सुबह अखबार उठाते ही शर्मा जी के सामने एक ऐसी खबर आई जिसे पढ़कर उनके होश उड़ गए. आनन-फानन में उन्होंने अपने पुराने मित्र को फोन लगाया और करीब 15 मिनट तक चिंता व्यक्त करने के बाद कहीं जाने की तैयारी करने लगे. पत्नी और बच्चों को ले जाने का कोई फायदा न था क्योंकि जहां जा रहे थे वहां बच्चों को ले जाना वो सही नहीं समझते थे और न ही पत्नी के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर डाल सकते थे.

तैयारियों के बीच बार-बार अखबार में पढ़ी खबर की हेडलाइन उनके जहन में आ रही थी. हेडलाइन थी.. 'बदल जाएंगे खजुराहो के मंदिर'. खबर में आगे दिया गया था कि 950 से 1050 सदी के बीच चंदेल वंश द्वारा बनाए गए ये मंदिर अब वैसे नहीं रहेंगे जैसे दिखते हैं. हिंदू और जैन धर्म के ये मंदिर भले ही दो धर्मों के प्रति एकता का विषय हों, लेकिन ये कामुकता का प्रचार खुलेआम करते हैं. ऐसे में देश की विभिन्न हिंदू और जैन धार्मिक संस्थाओं ने मिलकर ये फैसला लिया है कि ये मंदिर बदल दिए जाएंगें. सभी मूर्तियों को कपड़े पहना दिए जाएंगे.  

खजुराहोखजुराहो जाने का अहम कारण आपकी नजर में क्या होगा?

मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाले शर्मा जी ने जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही मन में एक सपना पाल लिया था कि वो खजुराहो के मंदिर जरूर देखने जाएंगे और वहां मौजूद मूर्तियों का गहन विश्लेषण करके आएंगे.

सालों का सपना शर्मा जी के सामने था और उन्हें लग रहा था कि अब ना देख पाए तो इन मंदिरों की खूबसूरती वो कभी ना देख पाएंगे. रंगीन टी-शर्ट और खाकी पैंट चुपके से बाजार से लाई गई और अपने दोस्त के घर छुपाई गई. घर पर बहाने बना दिए गए और शर्मा जी अपने दो दोस्तों के साथ निकल पड़े खजुराहो की सैर करने.

मन में उमंग थी और सालों की इच्छा पूरी होने की खुशी भी. शर्मा जी के मन में कई सारे ख्याल थे जिन्हें बस असलियत की शक्ल मिलने वाली थी. जैसे ही शर्मा जी उन मंदिरों के सामने पहुंचे वहां की शक्लोसूरत बदल चुकी थी. सामने कुछ लोग धरने पर बैठे थे. मंदिर परिसर के अंदर शॉर्ट्स पहन जाने की मनाही कर दी गई थी. अब शर्मा जी की मंडली में एक दोस्त ने तो घुटने तक के शॉर्ट्स पहने हुए थे. लिहाजा उसे अंदर जाने की इजाजत तब ही दी गई जब उसने धरने पर बैठे लोगों से धोती ली.

अब तक एक दोस्त को संस्कारी होने ना होने की सजा मिल चुकी थी. आखिर विदेशी परिधान पहनने की भी एक हद होती है. शर्मा जी ने चुपचाप अपनी टीशर्ट का कॉलर ठीक कर लिया और आगे बढ़ गए. पहले से सुनते आए हैं कि खजुराहो के मंदिर में कामासूत्र की किताब भी मिलती है. तो आसानी से उसे खरीदने का इससे अच्छा साधन तो ना था. जैसे ही दुकान पर जाकर किताब के बारे में पूछा जनाब दुकानदार ने शोर मचा दिया. दूसरे गुट के कुछ लोग आए और शर्मा जी और उनके दोस्तों को घेर लिया. कारण? हुआ कुछ यूं था कि मंदिर के अंदर कामासूत्र बिकनी बंद हो गई थी. तो क्या हुआ अगर वो हमारे देश के किसी ऋषि ने लिखी है, पर सिखाती तो वो काम के बारे में ही है ना. भले ही मंदिर में ऐसी ही मूर्तियां लगी हों, लेकिन किताब का बेचना वहां सरासर गलत है.

यकीन मानिए शर्मा जी की पिटाई होते-होते बची. बेचारे मन मसोस कर रह गए और जैसे-तैसे मामला सुलझाकर आगे बढ़े. आगे जाकर देखते हैं कि उनका सबसे बड़ा डर सामने खड़ा है. सभी मूर्तियों को कपड़े पहना दिए गए हैं. मंदिर परिसर में भजन होने लगे हैं. जो मूर्तियां ज्यादा ही कामुक थीं उन्हें सर से पांव तक ढक दिया गया है. शर्मा जी की सारी आशाएं मिट्टी में मिल गईं और वो अपनी यात्रा खत्म करके घर की ओर चल पड़े.

सपना खत्म और असलियत शुरू...

अभी तक तो मजाक की बात थी, लेकिन खजुराहो के मंदिरों में ऐसी स्थिती बन जाए तो आश्चर्य की बात नहीं रहेगी. कारण? हाल ही में बजरंग सेना ने इन मंदिरों में कामासूत्र की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है. वो इसलिए क्योंकि इन किताबों में कामुकता दिखती है और एक पवित्र जगह पर ऐसी किताबें नहीं बेची जानी चाहिए.

खजुराहोकहीं शर्मा जी का खजुराहो वाला सपना सच ना हो जाए

जो जगह अपनी एरॉटिक मूर्तियों के कारण ही दुनिया भर में चर्चित है वहां कामुकता किसी भी प्रकार ना दिखे ये कहना है खजुराहो यूनिट की बजरंग दल की प्रेसिडेंट ज्योती अग्रवाल का. अग्रवाल जी का कहना है कि उन्हें किसी भी मूर्ती से कोई आपत्ती नहीं है क्योंकि वो आदीकाल में बनाई गई थीं, लेकिन उनका प्रचार अभी क्यों किया जाए.

कामासूत्र की किताब ही नहीं मूर्तियों की तस्वीरें और ऐसी ही अन्य सामग्री के मंदिर परिसर में बिक्री से उन्हें बहुत परेशानी है. उनके अनुसार आने वाली जनरेशन को ऐसी कैसी शिक्षा दी जाएगी. यहां शिव जी की मूर्ती भी है तो कैसे कोई भी कामुक वस्तु बिक सकती है यहां.

इस मामले में अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और टूरिस्ट डिपार्टमेंट से भी बात की जाएगी. तो क्या भरोसा की आने वाले समय में शर्मा जी वाली ये खबर भी सच ही हो जाए.

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