New

होम -> समाज

 |  एक अलग नज़रिया  |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 26 सितम्बर, 2021 08:40 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
  • Total Shares

मजबूरी बहुत बड़ी बात होती है साहब, उससे भी बड़ी मुसीबत होती है पेट की भूख. पेट की भूख में कैसे लोग चोरी करने पर मजबूर हो जाते हैं यह हम इन दोनों सच्ची घटनाओं (Judge acquitted minor boy) से समझ सकते हैं. एक घटना अपने ही देश की है और दूसरी विदेश की, लेकिन दोनों ही सच्ची घटनाओं में एक बात कॉमन है वो है भूख और चोरी.

अब पेट की भूख में लोग चोरी कैसे कर लेते हैं? भगवान ना करें कभी किसी को यह दिन देखना पड़े, क्योंकि गरीबी बहुत बुरी चीज है. जिसके सिर बीतती है वही समझ सकता है. हालांकि दोनों ही मामलों में जज के फैसले ने सभी को भावुक कर दिया. जो लोग भारत के न्यायालय और जज पर सवाल उठाते हैं उन्हें यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए.

बहुत कम ऐसे फैसले होते हैं जो कोर्टरूम में बैठे बुद्दजीवियों को भावुक कर जाते हैं. वो फैसला जिसे सुनाकर जज भी रोने लगे हों, ऐसा बहुत कम होता है लेकिन होता जरूर है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पहली कहानी अमेरिका के फ्लोरिडा के एक किशोर की है तो दूसरी भारत के बिहार की. दोनों में जो कॉमन है वो है भूख, गरीबी, बीमार मां और उनके दर्द की संवेदनशीलता को समझने वाले जज.

minor boy, steal, theft, thief, sweet, butter, lord krishna, Minor, poor, hungry, mother, son, america, india, crime news in india, online crime storiesकृष्ण का दिया उदाहरण देकर मिठाई चुराकर खाने वाले बच्चे को कोर्ट ने किया बरी

चलिए पहले फ्लोरिडा के बच्चे की कहानी आपको बताते हैं, जिसे सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. यह पूछते हुए कि क्या हमारे देश में आज तक ऐसा कोई निर्णय हुआ है? क्या ऐसे संवेदनशील और ईमानदार न्यायिक चरित्रवान जज हमारे देश में नहीं है? यह फैसला उन लोगों के लिए जवाब है जो यह कहते हैं कि “हमारे देश में तो शायद 20-20 और 25-25 वर्ष पश्चात जब कोई इन्सान बेकसूर सिद्ध होता है तो भी उसको सिर्फ और सिर्फ माननीय न्यायालय बाइज्जत बरी करने का उपकार कर देते हैं”.

अमेरिकी के फ्लोरिडा के बच्चे की कहानी-

फ्लोरिडा में एक पंद्रह साल का लड़का स्टोर से चोरी करता हुआ पकड़ा गया, गार्ड की गिरफ्त से भागने की कोशिश में उससे स्टोर का एक शेल्फ भी टूट गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके न्यायालय में पेश किया. जज ने जुर्म सुना और लड़के से पूछा...

तुमने क्या सचमुच कुछ चुराया था..? ब्रेड और पनीर का पैकेट लड़के ने नीचे नजरें कर के जवाब दिया.

जज- क्यों?

लड़का- मुझे ज़रूरत थी

जज- खरीद लेते

लड़का- पैसे नहीं थे

जज- घर वालों से ले लेते

लड़का- घर में सिर्फ मां है बीमार और बेरोजगार है, ब्रेड और पनीर भी उसी के लिए चुराई थी.

जज- तुम कुछ काम नहीं करते? लड़का- करता था एक कार वाश में, मां की देखभाल के लिए एक दिन की छुट्टी की थी तो मुझे निकाल दिया गया.

जज- तुम किसी से मदद मांग लेते.

लड़का- सुबह से घर से निकला था तकरीबन पचास लोगों के पास गया बिल्कुल आखिरी में ये कदम उठाया.

जिरह खत्म हुई और जज ने फैसला सुनाना शुरू किया. चोरी और खुसूसन ब्रेड की चोरी बहुत भारी जुर्म है और इस जुर्म के हम सब जिम्मेदार हैं. अदालत में मौजूद हर शख्स मुझे लेकर हम सब मुजरिम हैं इसलिए यहां मौजूद हर शख्स पर दस-दस डालर का जुर्माना लगाया जाता है, दस डालर दिए बगैर कोई भी यहां से बाहर नहीं निकल सकेगा. यह कह कर जज ने दस डॉलर अपनी जेब से बाहर निकाल कर रख दिए और फिर पेन उठाया लिखना शुरू किया.

इसके अलावा में स्टोर पर एक हजार डॉलर का जुर्माना करता हूं कि उसने एक भूखे बच्चे से गैर इंसानी सुलूक करते हुए पुलिस के हवाले किया. अगर चौबीस घंटे में जुर्माना जमा नहीं करा तो कोर्ट स्टोर सील करने का हुक्म दे देगी. जुर्माना की पूर्ण राशि इस लड़के को देकर कोर्ट ने उस लड़के से माफी तलब करती है.फैसला सुनने के बाद कोर्ट में मौजूद लोगों के आंखों से आंसू तो बरस ही रहे थे, उस लड़के के भी हिचकीया बंध गईं. वो लड़का बार-बार जज को देख रहा था जो अपने आंसू छिपाते हुए बाहर निकल गया. यह फैसला सुनाने के बाद वो जज खुद रो पड़े थे.

भारत के बिहार के बच्चे की कहानी

दूसरी घटना बिहार के नालंदा जिले के हरनौत थाना इलाकी है. यहां एक लड़का अपनी नानी के घर आया हुआ था. उसको जब जोर की भूख लगी तो वह अपनी पड़ोस में रहने वाली मामी के घर चला गया और फ्रीज में रखी सारी मिठाई खा गया. उसके बाद वह फ्रीज के ऊपर रखे मोबाइल से गेम खेलने लगा. अब बच्चों को मोबाइल चलाने का शौक तो होता ही है. इतने में पड़ोस की मामी आई और उस पर चोरी का आरोप लगाते हुए पुलिस के हवाले कर दिया. इसके बाद पुलिस ने उस बच्चे को जुवेनाइल कोर्ट के सामने पेश किया.

जब मामला चीफ मजिस्ट्रेट मानवेंद्र मिश्र ने समाने आया तो उन्होंने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में भगवान की बाल लीला को दर्शाया गया है. भगवान कृष्ण कई बार दूसरे के घर से माखन चुराकर खाते थे और मटकी भी फोड़ देते थे. अगर आज के समाज जैसा उस टाइम होता तो बाल लीला की कथा ही नहीं होती.

उन्होंने इस आदेश में यह भी कहा कि अगर पड़ोसी को भूख लगी है बीमार है, लाचार है तो बजाय सरकार को कोसने के पहले हमें उनकी मदद को आगे आना चाहिए. जज ने कहा की, ‘हमें बच्चों के मामले में सहिष्णु और सहनशील होना पड़ेगा. उनकी कुछ गलतियों को समझना पड़ेगा कि आखिर बच्चे में भटकाव किन परिस्थितियों में आया.एक बार हम बच्चे की मजबूरी, परिस्थिति, सामाजिक स्थिति को समझ जाएं तो उनके इन छोटे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए समाज खुद आगे आने और मदद के लिए तैयार हो जाएगा.’

जज ने यह भी कहा कि बिहार किशोर न्याय अधिनियम 2017 के तहत पुलिस को इस मामले में FIR की बजाय ये केस डेली जनरल डायरी में दर्ज करना चाहिए था. जज ने जब किशोर से बात की तो उसने बताया कि ‘मेरे पिता बस ड्राइवर थे. एक्सीडेंट में उनकी रीड की हड्डी टूट गई, तब से वे बेड पर हैं. मां मानसिक रूप से बीमार हैं. परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है. गरीबी की वजह से मां का इलाज नहीं हो पा रहा. नाना और मामा की मौत हो चुकी है. नानी काफी बुजुर्ग हैं. मेरे माता-पिता कोर्ट नहीं आ सकते. अब मैं आगे से ये गलती नहीं करूंगा’.

इतना सुनने के बाद कोई भी भावुक हो जाएगा. कभी-कभी जो दिखता है वह पूरा सच नहीं होता. बच्चे की बातें सुनने के बाद मजिस्ट्रेट ने बच्चे को बरी कर दिया और कहा कि ‘माखन चोरी बाल लीला है तो मिठाई चोरी अपराध कैसे?’ इतना ही नहीं जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वे इस बात का ध्यान रखें कि किशोर सुरक्षित रहे और फिर दोबारा किसी बदसलूकी या तंगी के कारण वो फिर से अपराध करने के लिए मजबूर ना हो.

जज के इस फैसले को सुनकर लोगों की आंखें खुल गईं है. लोगों को हैरानी हुई, कुछ तो भावुक भी हो गए, हां मगर इन दोनों सच्ची घटनाओं से इतना समझ आ गया कि गरीबी हर जगह एक जैसा दर्द लेकर आती है. कई बार इंसान इतना मजबूर हो जाता कि उसे सही-गलत रास्ते का अंदाजा नहीं होता, खासकर बच्चों को.

इसलिए अगर कोई मजबूर आपसे मदद मांगे तो उसकी सहायता करने की सोचें ना कि उसे जेल भेजने की. साथ ही भारत में हुए इस फैसले ने बता दिया न्याय पर भरोसा रखना चाहिए. भारत में भी ऐसे जज हैं जो इंसानियत को ऊपर रखते हैं...और सही गलत की परख करना जानते हैं.

#कोर्ट, #जज, #अमेरिका, Minor Boy, Theft, Justice

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय