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Updated: 25 दिसम्बर, 2015 12:22 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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जेसिका लाल और प्रियदर्शिनी मट्टू केस एक जैसे थे. हिट एंड रन केस थोड़ा सा अलग है. जेसिका और मट्टू केस में आरोपी निचली अदालत से छूट गए थे, हिट एंड रन केस में लोअर कोर्ट ने सजा सुनाई थी. जेसिका और मट्टू केस में हाई कोर्ट ने सजा सुनाई और सुप्रीम कोर्ट ने तकरीबन बरकरार रखा. हिट एंड रन केस में हाई कोर्ट ने निचली अदालत में ट्रायल पर सवाल उठाते हुए सजा खारिज कर दी.

फिर गुस्सा क्यों

जेसिका लाल, प्रियदर्शिनी मट्टू और हिट एंड रन केस में एक बात कॉमन है - सभी हाई प्रोफाइल मामले रहे. जेसिका लाल केस में हमलावर एक नेता का बेटा रहा तो प्रियदर्शिनी मट्टू केस में एक पुलिस अफसर का और हिट एंड रन केस में एक बड़ा स्टार - सलमान खान.

जेसिका और मट्टू केस में जब आरोपी बरी हो गए तो लोगों का गुस्सा फूटा. लोग सड़क पर निकल आए. दबाव बना और केस की नये सिरे से पैरवी शुरू हुई. हिट एंड रन केस में भी जब सलमान छूटे तो सोशल मीडिया पर जी भर कर टिप्पणियां की. किसी ने व्यवस्था पर सवाल उठाए तो किसी ने न्याय प्रणाली पर ही. कुछ लोगों की छींटाकशी के शिकार तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक हुए.

लोगों के गुस्से ने यही जताया कि फुटपाथ पर सो रहे नुरुल्ला को न्याय नहीं मिला. हालांकि, उसके बेटे की बातों से ऐसा लगा कि उसका मुआवजे पर ज्यादा जोर रहा.

होम वर्क, मैनेजमेंट

सलमान खान को लोअर कोर्ट से सजा मिलने के कुछ ही देर के अंदर हाई कोर्ट से जमानत मिली तो भी सवाल खड़े किए गए. हालांकि, मुंबई की सड़कों पर जमा हुए सलमान खान के प्रशंसकों का इन बातों से कोई मतलब नहीं दिखा. कोर्ट से घर के पूरे रास्ते सलमान के फैन उनकी एक झलक पाने को बेताब दिखे.

तब हाई कोर्ट से सलमान को जल्द ही मिल गई जमानत पर जाने माने सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा था कि उनके वकीलों ने बहुत बढ़िया होम वर्क किया था और पूरी तैयारी के साथ आए थे.

संजय दत्त को सजा दिलाने से लेकर कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में अहम रोल निभाने वाले निकम ने कहा था, "अंतरिम जमानत इसलिए मिली है क्योंकि ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश की सर्टिफाइड कॉपी जारी नहीं की. यह जमानत की तकनीकी वजह है."

निकम ने साफ किया कि वो सलमान की जमानत के कानूनी आधार और अदालत के फैसले पर सवाल नहीं खड़े कर रहे, लेकिन पूरे मामले के पीछे का मैनेजमेंट ऐसा रहा जो आम लोगों की पहुंच से काफी दूर है.

निकम की राय में जिनके पास मैनेजमेंट की ताकत है, उनके लिए न्याय की परिभाषा अलग हो जाती है. निकम ने ये भी बताया कि जिस दिन सलमान को निचली अदालत से सजा सुनाई गई उनकी एक टीम दिल्ली में भी मौजूद थी ताकि जरूरत पड़ने पर बगैर वक्त गंवाए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सके.

क्या करेगी सरकार

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सलमान को बरी करते हुए कहा था कि सेशंस कोर्ट में केस की सुनवाई गलत तरीके से की गई. हाई कोर्ट ने सुनवाई को लचर बताया था. केस के एक मात्र चश्मदीद रवींद्र पाटिल का बयान हाई कोर्ट को भरोसेमंद नहीं लगा.

महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल करने का फैसला किया गया है. अभियोजन पक्ष को इसके लिए इजाजत भी दे दी है.

सोशल मीडिया पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. लीगल एक्सपर्ट सलमान के वकीलों के होम वर्क और मैनेजमेंट की दाद दे रहे हैं. ऐसे में कुछ सवाल बरबस उठते हैं.

क्या सरकार लोगों के गुस्से से कोई दबाव मसहूस कर रही है? और क्या इस गुस्से के चलते ही हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है?

सरकार का ये कदम सिर्फ रस्म अदायगी है या वाकई इसको लेकर गंभीर है? अगर गंभीर है तो सलमान के लीगल मैनेजमेंट सिस्टम के मुकाबले नुरूल्ला को इंसाफ दिलाने के लिए वो क्या रणनीति अख्तियार करेगी?

इन सवालों के जवाब में ही सरकार की मंशा छिपी हुई है. सवालों के जवाब तो वक्त ही देगा और तभी सरकार की मंशा भी साफ हो पाएगी.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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