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Updated: 26 मार्च, 2015 06:18 AM
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2011 आईटी अधिनियम के खिलाफ माउथशट.कॉम की लड़ाई दो सिद्धांतों पर आधारित थी: हम लोगों को ऑनलाइन और ऑफ़लाइन अच्छी तरह से अपनी राय व्यक्त करने का पूरा अधिकार है. और हम मौजूदा प्रावधानों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध मानते हैं. ये शेयर की गई पोस्ट की सामग्री को सेंसर करने जैसा है.

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे सैकड़ों उद्यमियों ने बीज लगाए हैं जो मानते है कि इस महान राष्ट्र में युवाओं को रोजगार के लाखों अवसर प्रदान करने के लिए एक डिजिटल तंत्र की जरूरत है. और जैसे ही वो बीज छोटे पौधे की शक्ल में बाहर आया, उसे इस अधिनियम के प्रावधानों ने मार दिया.

मैं बहुत खुश हूँ कि देश की सर्वोच्च अदालत ने हमारी याचिका को सही ठहराया है. अब कोई गिरफ्तारी नहीं होगी. 66A अधिनियम अब मर चुका है. अब किसी की पोस्ट की गई सामग्री को हटाना नहीं पड़ेगा, जब तक अदालत के आदेश नहीं हों. भारत जैसे लोकतंत्र का नागरिक होना सौभाग्य की बात है. यहां एक साधारण नागरिक भी शक्तिशाली अदालत में अपील कर सकता है.

आज अदालत का फैसला एक महान डिजिटल परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण रोल अदा करेगा. पहले भी भारत को डिजिटल बनाने के लिए कई लड़ाइयां की जाती रहीं लेकिन हमारी लड़ाई सबसे ज्यादा मौलिक थी. अब कोई और गिरफ्तारी नहीं. कोई और सेंसरशिप नहीं. हर भारतीय को और भारत के दोस्तों को धन्यवाद. यह आपकी जीत है. भारत आजाद है!

, माउथशट.कॉम, सीईओ, धारा 66A

लेखक

फैसल फारुखी @faisalMouthshut
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