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Updated: 08 मार्च, 2018 07:52 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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International Women's Day यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस. एक ऐसा दिन, जो महिलाओं के लिए है, महिलाओं को समर्पित है. साल के 365 दिनों में बर्थडे, एनिवर्सरी, एंगेजमेंट डे, हल्दी डे, मेहंदी डे, ये डे वो डे के बाद ये एकमात्र ऐसा डे है जब महिलाओं को अलग और स्पेशल फील दिया जाता है. अच्छा, सबसे अच्छी बात ये है कि किसी और दिन के मुकाबले महिलाओं को भी इस दिन का इन्तेजार बड़ी ही बेसब्री से रहता है. रहे भी क्यों न बुके, चॉकलेट, कार्ड, फूल, गिफ्ट सब इस दिन मिलता है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को अगर ध्यान से देखें एक बार तो ऐसा लगता है कि शायद ये एक ऐसा दिन है जब दुनिया की सभी महिलाएं खुश रहती है. मगर हकीकत और फसाने में फर्क है. कह सकते हैं कि फसाना है International Women's Day और हकीकत है वो अपमान और तिरस्कार जो एक महिला लगभग रोज झेलती है. अपने आस पास होते इन अत्याचारों को देखते हुए भी हम मदद करने के बजाए चुप रहना या अपने काम से काम रखना पसंद करते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस,सम्मान, महिला, बदलाव   कहा जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के साथ एक बड़ा छलावा है

ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्क प्लेस से लेकर घर तक लगभग सभी जगहों पर कहीं न कहीं एक महिला के साथ अन्याय हो रहा है. हां वो महिला जो कभी बस, ट्रेन या मेट्रो में अनवांटेड टच का शिकार होती है. तो कभी ससुराल में दहेज़ के लिए मारी और जलाई जाती है. कभी इसकी खूबसूरती इसकी जान की दुश्मन बन जाती है, और इसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया जाता है. तो कभी अपनों और करीबियों द्वारा ही इसका बलात्कार कर दिया जाता है.

हो सकता है कि पहली नजर में किसी भी सम्मानित महिला और उसकी खुशी को ये लेख नारी विरोधी लगे या फिर वो अपसेट हो जाए कि भले ही एक दिन के लिए सही, मगर हमारी खुशी लोगों को बर्दाश्त नहीं है. तो बात ऐसी बिल्कुल नहीं है. जब धैर्य के साथ आप अवलोकन करेंगी तो जो बातें निकल कर आएंगी वो स्थिति स्पष्ट कर देंगी. इस बात को एक उदाहरण के जरिये भी समझा जा सकता है. मान लीजिये साल भर आपको कोई परेशान करे , आपके साथ छेड़ छाड़ करे, आपको घूरे, आपके साथ शारीरिक मानसिक हिंसा करे और अंत में आपको एक दिन दे, जिंदगी जीने के लिए तो ये कहां तक जायज है. आपको खुद महसूस होगा कि आपको ठगा गया है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मद्देनजर ये कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति न होगा कि, असल में इस डे के नाम पर और कुछ नहीं, बस औरतों के साथ एक भद्दा मजाक किया गया है. अफ़सोस, ग्लैमर के चोगे में परोसे गए इस मजाक को एक महिला भी समझ नहीं पाई और उसने साल भर अपने साथ हुई व्यथा को नकार दिया और इस एक दिन को अपना लिया.

हमें बिल्कुल इस डे का स्वागत करना चाहिए मगर तब जब हम मुश्किल घड़ियों में महिलाओं के साथ बराबरी से खड़े हुए हों. उनके साथ हो रहे अन्याय पर अपनी आवाज़ बुलंद की हो. उनके साथ हो रही हिंसा पर जवाबी कार्यवाई की हो. चॉकलेट बांटना या फिर फिर देना बहुत आसान है और इससे भी आसान है फेसबुक या ट्विटर पर हैशटैग चलाना और लिखना कि "महिला ये है, महिला वो है. महिला ऐसी है, महिला वैसी है".

महिलाओं को सवाल करना चाहिए और पूछना चाहिए कि जब महिला इतनी ही सम्मानित है तो फिर ये एक दिन वाली इज्जत तब कहां जाती है जब उनके साथ वो होता है जो नहीं होना चाहिए. आज जो चॉकलेट और गिफ्ट दे रहे हैं तब इनका साथ कहां गया था तब क्यों ये मुंह पर ताला जड़े बैठे थे. अंत में ये कहते हुए हम अपनी बात खत्म करेंगे कि हैप्पी विमेंस डे हमनें तुम्हारी साल भर की परेशानियों के लिए तुम्हें एक दिन दे दिया. जाओ और दिल खोल के इसे एन्जॉय करो.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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