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Updated: 15 सितम्बर, 2015 07:17 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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भारत में पोर्न देखने के शौकीनों को यह खबर रोमांचित कर सकती है. जिस देश में हाल ही में पोर्न साइटों पर बैन लगाया हो वहां अगर यह पता चले कि ज्यादा पोर्न देखना भी अच्छी बात है और इससे इंसान महिलाओं को ज्यादा सम्मान करने वाला बनता है तो शायद एकबारगी यकीन नहीं होगा, लेकिन यह सच है. जी हां, जानिए क्या कहती है ये स्टडी और कैसे कोई इंसान पोर्न देखने से बेहतर बन सकता है.

ज्यादा पोर्न मतलब ज्यादा बेहतर इंसानः स्टडी के मुताबिक ज्यादा पोर्न देखने वाले पुरुषों को महिलाओं के अधिकारों के प्रति ज्यादा सकारात्मक पाया गया. ऐसे पुरुषों का रवैया गर्भपात और महिलाओं के काम करने के प्रति कम नकारात्मक था. साथ ही पोर्न देखने वाले पुरुषों में लैंगिक भेदभाव करने की प्रवृत्ति कम देखी गई. पोर्न देखने वाले पुरुष महिलाओं को बराबरी के नजरिए से देखते हैं. यह स्टडी जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च में छपी है. इस स्टडी की मानें तो ज्यादा पोर्न देखने वाले पुरुष महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर कहीं ज्यादा सकारात्मक होते हैं और कामकाज की जगहों में उनके संघर्ष में ऐसे पुरुष मददगार होते हैं. इस स्टडी के नतीजों पर सवाल तो खड़े किए जा सकते हैं लेकिन इसने पोर्न शौकीनों को अपनी बात मजबूती से रखने का अवसर जरूर प्रदान कर दिया है.

पोर्न से नहीं बढ़ता है रेपः भारत में अक्सर मोरल पुलिसिंग करने वाले लोग पोर्न को रेप के बढ़ने की वजह बताते रहे हैं. उनका कहना है कि पोर्न पुरुषों को रेप के लिए उकसाने का काम करते हैं. अतुल अंजान जैसे नेताओं ने तो पोर्न स्टार को ही बढ़ते हुए रेप का जिम्मेदार बता दिया था. लेकिन इस स्टडी की मानें तो पोर्न देखने से पुरुष महिलाओं को सिर्फ सेक्स ऑब्जेक्ट समझने की सोच से बाहर आता है और वह लैंगिक भेदभाव से उबरता है. वह महिला अधिकारों के प्रति पोर्न न देखने वाले से ज्यादा सजग रहता है और उनके हक के लिए लड़ने के मामले में भी आगे रहता है.
    
पोर्न ने ली वन नाइट स्टैंड की जगहः इससे पहले आई एक और स्टडी में कहा गया था कि आज के युवा वन नाइट स्टैंड की जगह पोर्न को तवज्जो दे रहे हैं. बड़े शहरों में अकेलेपन को दूर करने और सेक्शुअल जरूरतों को पूरा करने के लिए वन नाइट स्टैंड के चलन ने तेजी से जोर पकड़ा था लेकिन क्षणिक सुख के लिए बनने वाले ऐसे संबंधों से बाद में पनपने वाला पछतावे का अहसास इंसान का जीना दूभर कर देता था. इसलिए इसके विकल्प के तौर पर युवाओं ने वासना के आवेश से निपटने के लिए पोर्न की तरफ रुख करना शुरू किया. जोकि निश्चित तौर पर वन नाइट स्डैंट जैसे संबंधों की अपेक्षा कहीं ज्यादा बेहतर साबित हुआ. पोर्न से सुख-चैन छीन लेने वाले उस पछतावे के अहसास से मुक्ति मिल जाती है जो कैजुअल सेक्स से पनपता है.

इस स्टडी के नतीजों पर भले विवाद हो लेकिन भारत जैसे देश जहां लोगों द्वारा पोर्न पर बैन लगाने की जोरदार मांग उठती रहती हो वहां पोर्न के शौकीनों के लिए यह राहत भरी खबर है और इसके बैन के खिलाफ उन्हें एक मजबूत आधार मिल गया है. अब ये लोग कम से कम यह तो कह ही सकते हैं कि पोर्न समाज को भ्रष्ट तो नहीं ही बना रहा है बल्कि यह पुरुषों की सोच को कहीं बेहतर बना रहा है. तो पोर्न के शौकीनों अब जमकर पोर्न देखिए और एक बेहतर इंसान बनने की तरफ कदम बढ़ाइए!

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लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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