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Updated: 09 मार्च, 2021 03:47 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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House wife को कम समझने वाले लोगों का ध्यान शायद उनकी क्वालिटी पर जाता ही नहीं हैं. अक्सर जब दो लोगों की मुलाकात होती है तो ‘कैसे हो’ के बाद ‘क्या काम करते हो’ वाला सवाल जरूर पूछते हैं और इसके बाद सामने वाला जो जवाब देता है उसके हिसाब से उसे जज करना शुरू कर देते हैं. जब किसी महिला से यह पूछा जाता है कि आप काम क्या करती हैं और उसका जवाब अगर हाउस वाइफ (housewife work) होता है तो सामने वाले को लगता है अच्छा मतलब कुछ नहीं.

कई बार हाउसवाइफ जवाब देते समय झेप जाती हैं, क्योंकि उनको यह महसूस करवाया जाता है कि हाउसवाइफ तो कुछ होती ही नहीं हैं. भला घर संभालना भी कोई काम होता है. हमारी मम्मी भी तो घर संभालती थीं तब तो और ज्यादा काम होते थे. आज तो मशीनें हैं, सारा ऐशो आराम है और फिर घर में लोग ही कितने हैं, गिनकर सिर्फ चार. ऐसे में करना ही क्या होता है? बस दो घंटे का काम फिर पूरा दिन आराम. ये हाउसवाइफ तो बस काम का हल्ला मचाती हैं.

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जबकि घर संभालने वाली महिला अगर कुछ दिन के लिए मायके चली जाए तो बुलावा आने लगता है. तब उन्हीं मशीनों को चलाना किसी के बस का नहीं होता और वही दो घंटे और चार लोगों का काम बोझ लगने लगता है. हाउस वाइफ, होममेकर या ओनर ऑफ द हाउस जैसे अंग्रेजी नाम देने से कुछ नहीं बदलता. लोगों के दिमाग में अभी भी वही सोच हावी है कि घर में रहने वाली महिलाओं को कुछ नहीं करना पड़ता और उन्हें खाना बनाने के अलावा कुछ नहीं आता. कई बार तो ससुराल वाले बाहर जाकर काम करने के लिए दबाव भी बनाते हैं. उनका कहना होता है कि एक महिला घर का भी काम संभाले और बाहर नौकरी भी करे. जबकि ऐसा नहीं है, हाउसवाइफ के अंदर इतनी क्वालिटी होती है कि गिनाया जाए तो कम पड़ जाए.

हाउसवाइफ तो चलती फिरती घड़ी हैं. हाउसवाइफ से लाइफस्टाइल के बारे में सबकुछ सीखा जा सकता है. वहीं हॉस्पिटेलिटी यानी सत्कार कैसे करना है यह भी हाउस वाइफ सिखाती हैं. Housewife के कुछ ट्रिक तो इतने स्मार्ट होते हैं कि हम और आप सोच भी नहीं सकते.

1- Super saver: घर संभालने वाली महिलाएं यानी हाउसवाइफ बचत करने में माहिर होती हैं. यह बात कई दफा साबित हो चुकी है. जब भी घर में पैसों की तंगी होती है तो महिलाएं अपने बचाए हुए पैसों से मदद करती हैं. हैरानी की बात यह कि उन्हें जितने पैसे घर चलाने के लिए मिलते हैं उनमें से ही वे बचा भी लेती हैं. इसका एक उदाहरण नोटबंदी से आप ले सकते हैं. उस टाइम महिलाओं ने कितने नोट इकट्ठे कर रखे थे, जिस पर जोक भी बना था. लेकिन यह सीखने वाली कला है. लॉकडाउन के समय भी जब कई लोगों की नौकरी चली गई या बिजनेस बंद हो गया तो महिलाओं ने अपनी बचत के पैसों से घर का मोर्चा संभाला. बात सिर्फ पैसों की बचत तक ही सीमित नहीं है, कम चीजों में काम चलाना भी हाउसवाइफ की क्वालिटी है. कई बार किचन में सामान खत्म हो जाती है ऐसे में ये कई ट्रिक अपनाकर रसोई संभाल लेती हैं. अब यह बात मजे से स्वादिष्ट भोजन करने वाले भला कैसे समझेंगे.

2- Recycling machine: हम और आप शायद जिन चीजों को कबाड़ समझकर फेंक देते हैं, उसपर काम करके हाउसवाइफ घर सजाने लायक बना देती है. घर के यूजलेस सामान को रिसाइकल करके काम लायक कैसे बनाना है यह कोई हाउसवाइफ से सीखे. प्लास्टिक के डब्बे या कांच की बोतल और बेकार पड़ी प्लेटों को डेकोरेट करके पौधे लगाने से लेकर घर की दिवार के लिए सीनरी तक तैयार हो जाती है. पुराने कपड़ों को कभी पोछा तो कभी झालर के रूप में इस्तेमाल कर लेती हैं. बच्चों के स्कूल के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट की सारी तैयारी घर में जुगाड़ से हो जाती है. अगर कभी खाना बच जाए तो वह अगली बार नई डिश के रूप में हमारे सामने होती है. जैसे बचे हुए चावल का फ्राइड राइस और रोटी का रोल. यह तो हर घर में फेमस है और अब खाना फेंकने से बेहतर है.

3- Multi tasker: हाउसवाइफ को अगर सुपर वुमन कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि हम सच में सुपरवुमेन को देख रहे हैं. जो एक साथ इतने सारे काम बड़े आराम से हैंडल कर लेती हैं. मतलब टाइम मैनेजमेंट और इतनी मल्टीटास्किंग किसे कहते हैं यह हमें हाउसवाइफ से सीखना चाहिए. सुबह चाय से शुरू होकर रात को खाने के बाद सबको मिल्क देने तक. नाश्ता, लंच और डिनर सब टाइम पर. पति के ऑफिस निकलने से पहले उसका टिफिन, बच्चे को स्कूल के लिए नहलाना, तैयार करना और बस तक छोड़ना. सास-सुसर का ध्यान रखना. इसी बीच सब्जी वाले को डील करना. टीवी देखते हुए सब्जी काटना. खाना बनाते-बनाते बच्चों को पढ़ाना और रात को ही अगले दिन के नाश्ते की तैयारी करना. मतलब बहुत कम समय होता है जब ये आराम से फ्री बैठी हों.

4- Bargaining boss: बारगेनिंग के मामले में हाउसवाइफ का कोई तोड़ नहीं है. हम जिस सामान को पांच सौ में लाकर खुद को तीस मार खां समझते हैं वही चीज मम्मी 200 में ले आती हैं. मतलब खरीदारी कैसे करनी है और दुकानदार से पैसे कम कैसे कराने है, इस मामले में हाउसवाइफ का कोई तोड़ नहीं है. चाहे सब्जी वाला हो या फिक्स रेट वाला दुकानदार उसे पैसे कम करने ही होंगे. फ्री की धनिया और मिर्च खरीदने का गुण तो कई लोगों ने हाउसवाइफ से सीख भी लिया है. शॉपिंग कैसे करनी है, हाउसवाइफ का यह ट्रिक भी कमाल का है. हाउस वाइफ हमारी तरह नहीं होती कि एक दुकान पर गईं और जो मिला खरीद लिया. हाउसवाइफ एक चीज को खरीदने के लिए कई दुकानों पर जा कर मोलभाव करती हैं और फिर जहां सस्ता और बढ़िया सामान मिलता है वहीं से खरीदारी करती हैं. यानी दाम कम लेकिन सामान बढ़िया. इसके अलावा housewife को घर से ही कुछ ना कुछ इनकम (housewife income at home) के लिए करती हैं क्योंकि उन्हें खाली बैठना पसंद नहीं. तो अब किसी हाउसवाइफ को कम समझने से पहले एक बार सोचिएगा जरूर.

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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