अजनबी युवक के साथ सो रही बेटी को देख पिता ने ये किया...
एक ऐसे देश में जहां अपनी बेटी के प्रेमी को मौत के घाट उतार देने की घटनाएं आम हो, वहां इस पिता की कहानी अजीब लग सकती है. लेकिन यही कहानी पूरी दुनिया में अपना जादू बिखेर रही है.
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किसी भी माता-पिता के लिए ये स्वीकार करना बड़ा ही मुश्किल होता है कि उसकी बेटी का किसी के साथ अफेयर हो. जिस तरह की घटनाएं होती हैं, उससे तो यही मान लेना चाहिए. हमारे समाज में बेटी अगर किसी से प्रेम करती है तो ये बात पिता को सबसे ज्यादा दुखी करती है. पर फर्ज कीजिए अगर एक पिता अपनी बेटी को अपने ही घर में किसी अजनबी के साथ एक ही बिस्तर पर पकड़ ले तो?? आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि उस वक्त ज्यादातर पिता क्या करेंगे.
पर इस पिता की बात सुनकर आप हैरान हो जाएंगे जिन्होंने अपने ही घर में अपनी 17 साल की बेटी को एक अजनबी के साथ एक ही बिस्तर पर पाया. लगभग निर्वस्त्र. अपना अनुभव उन्होंने Reddit पर शेयर किया, जो बहुतों को काल्पनिक लग सकता है, कुछ को अजीब, कुछ को सुखद, और कई प्रेमी जो अपने अफेयर को परिवार के डर से छुपाकर जी रहे हैं, उनके लिए प्रेरणास्रोत.
...तो चलिए पढ़ते हैं, उस पिता की लिखी उस आपबीती को :
बेटी को अजनबी के साथ सोता पाया
''एक सुबह मैं नीचे आया और देखा- मेरी 17 साल की बेटी और एक युवक साथ में सो रहे थे. लगभग निर्वस्त्र. उस सोफे को देखकर लग रहा था जैसे रात वहां काफी मेहनत की गई थी. मैंने शांति से ब्रेकफास्ट बनाया. वापस ऊपर गया और अपनी पत्नी, बेटे और छोटी बेटी को उठाया. और कहा कि वे खामोशी से नीचे आ जाएं, क्योंकि 'कुछ' लोग नीचे अभी भी सो रहे हैं.
हमारी डिनर टेबल नीचे हॉल में सोफे से करीब 20 फीट की दूर, लेकिन उसके ठीक सामने है. हम सब बैठ गए. फिर मैंने आवाज लगाई- 'यंग मैन'. मैंने अपनी जिंदगी में कभी किसी लेटे हुए शख्स को इतनी तेजी से खड़ा होते नहीं देखा. 'नाश्ता तैयार है!' मैंने इस लहजे में कहा कि उसका कलेजा मुंह को आ गया होगा. मैंने अपने सामने रखी कुर्सी उस युवक के लिए खींची और कहा 'बैठो!'. मेरा परिवार चुप था, और सबकी निगाहें एकटक अपनी-अपनी प्लेट्स पर ही गड़ी थीं.
एक नंगे नौजवान के लिए ये 20 फीट पार करना शायद सबसे ज्यादा मुश्किल दूरी रही होगी. डिनर टेबल के पास ही उसके कपड़े पड़े थे. उसने जैसे-तैसे वो कपड़े पहने और बैठ गया. मेरा बेटा जिसकी हाइट 6'4'' है, उसने उसके कंधे पर थपथपाया. उसकी आंखों में देखा, गहरी सांस ली और उसका सिर हिला दिया. अब तक वो बेहद घबरा गया था. मैंने कहा- 'दोस्त, मैं तुमसे एक सवाल पूछने जा रहा हूं. तुम्हारा जवाब बहुत जरूरी है...खुद तुम्हारे लिए'. और इस वक्त उसके पसीने छूट रहे थे.
'क्या तुम्हें बिल्लियां पसंद हैं?'
वो बहुत आकर्षक और एक फ्रेंडली लड़का था. स्पष्ट रूप से पढ़ा लिखा तो नहीं था लेकिन हां बेवकूफ भी नहीं था. उसमें कुछ तो अजीब था. मेरी बेटी ने मुझे आश्वासन दिया था कि वो एक बहुत अच्छा और सभ्य इंसान है. वो उसे पिछले एक महीने से जानती थी. उस सुबह के बाद वो हर रोज आया, लेकिन कभी रात भर के लिए नहीं रुका.
हर सुबह वो अपनी साइकल से मेरी बेटी को स्कूल के लिए पिक करने आता था, और उसके बाद उसे घर ले आता था, और उसके होमवर्क का भी ध्यान रखता था. जब मेरी बेटी बीमार थी तो हम तो काम पर चले जाते थे लेकिन उसने उसका ख्याल रखा. उसने समय भी दिया और उसकी बेहतरी के लिए प्रयास भी किए. जब मेरी बेटी का मूड बहुत खराब हुआ तो उसने धैर्य रखा.
उसने बताया कि न उसके पास परिवार है, न शिक्षा है और न ही कोई पक्की नौकरी. पर मेरी बेटी उसे प्यार करती है और वो मेरी बेटी को. मैं कौन होता हूं उसे अपनी गलतियों से सीखने से रोकने वाला?
ये सब 8 महीने तक चलता रहा, फिर मेरा बेटा मेरे पास आया. उसने उसके बारे में पूछ-ताछ की थी. और पता ये चला कि उस लड़के के पास कोई घर नहीं था. उसके पिता ने आत्महत्या की थी. मां नशा करती थी, और इसके तीन हफ्ते बाद कहीं चली गई थी. वो किसी किराए के ट्रेलर में रहते थे. तब वो केवल 15 साल का था और उसने 3 साल सड़कों पर, पार्क में सोकर, दोस्तों के साथ, सस्ते होटल में रहकर बिताए और उसने कंस्ट्रक्शन के कामों में नौकरी की.
अब मैं 18-19 साल के एक ऐसे बंदे को जानता था जो विनम्र है, जो आता है तो मुस्कुराता है, जाता है तो मुस्कुराता है, जो परवाह करता है, बिना मांगे मदद करता है, जो मेरी बच्ची को खुश रखता है. ये वो बच्चा है जिसे कभी बच्चा होने का मौका ही नहीं मिला.
अब जब कभी काम की वजह से वो नहीं आ पाता है तो हम उसे मिस करते हैं. मेरा बेटा ओर वो दोस्त नहीं है लेकिन उन दोनों की अच्छी जमती है. मेरी छोटी बेटी उसपर बेहद भरोसा करती है. और मेरी पत्नी की ममता अब और भी बढ़ गई है. और मैं? मुझे कभी-कभी उसकी फिक्र होती है, मैं चाहता हूं कि वो खुश रहे.
मैंने अपनी पत्नी और छोटी बेटी को वो सब बताया जो मुझे पता लगा था. वो रोने लगे. मुझे उन्हें बताते हुए बुरा लग रहा था. मैं अपनी बड़ी बेटी से निराश था. उसे ये सब पता था. उसे हमें ये बताना चाहिए था. वो उससे प्यार करती है और हर रात उसे जाने देती है...लेकिन कहां?
अगले दिन मैंने उसे हमारे घर की एक चाबी दी. मैंने उससे कहा कि मैं हर रात उसके घर आने की उम्मीद करता हूं. 'हां घर'. अगले कुछ ही सप्ताह में हमने अपने घर का खाली कमरा ठीक करवा लिया. और फर्नीचर लाने के लिए उसे शॉपिंग पर ले गए. वो बातें करने में काफी अच्छा था. वो खुद अपनी दुनिया बनना चाहता था. उसे कंस्ट्रक्शन के काम पसंद हैं. हमने देखा कि जो भी शिक्षा उसने पाई थी, ये सब उसी का नतीजा था. ये 2000 की बात थी.
अब 15 साल बाद मेरे इस बेटे और मेरी बेटी का शानदार बिज़नेस है. इन्होंने हमें 3 सुंदर सुंदर पोते-पोती दिए. पिछले साल, जुड़वां 1 लड़की, 1 लड़का!"
(यह एक रूसी पिता के अनुभव हैं जो अंग्रेजी में प्रकाशित हुए हैं. iChowk ने अपने पाठकों के लिए इसका हिन्दी अनुवाद किया है. उस पिता की भावना के मूल तत्व को बरकरार रखते हुए)
ये कहानी जो शायद आक्रामक हो सकती थी, एक खूबसूरत अंजाम तक आ गई जिसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता. खासकर भारत के परिपेक्ष्य में देखें तो ये कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो जानी थी. पिता ने जब बेटी को उस लड़के के साथ पकड़ा था तब ही उस लड़के और लड़की के जीवन का फैसला कर दिया जाता. हम किसी ऑनर किलिंग की एक कहानी पर बात कर रहे होते.
हाल ही में दिल्ली के 23 साल के फोटोग्राफर अंकित सक्सेना की एक दूसरे धर्म की लड़की से प्रेम करने पर ही तो हत्या कर दी गई थी. अंकित की तरह न जाने कितने प्रेम करने वाले अपनी जान से जाते हैं. भारत में ऑनर किलिंग के आधिकारिक आंकड़े तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन एक रिसर्च से पता चला है कि हर साल हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कम से कम 900 कत्ल होते हैं. इनमें से ज्यादातर के बारे में तो शिकायत ही दर्ज नहीं होती.
ये किस्सा इस तरह की हर ऑनर किलिंग के लिए एक जवाब है, एक सीख है. झूठे अहंकार और झूठी शान में धुत्त लोगों के मुंह पर एक तमाचा है. क्या हम ऑनर किलिंग की घटनाओं को ऐसे प्रसंगों में नहीं बदल सकते, हमें जरूरत है वक्ती तैश और गुस्से की जगह थोड़े से भरोसे, धैर्य और प्यार की. अगर हम सौ में से एक भी ऐसा प्रसंग निर्मित कर सकें तो यकीन मानिए ये एक नए जीवन का सृजन होगा.
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