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Updated: 07 मार्च, 2017 06:02 PM
रिम्मी कुमारी
रिम्मी कुमारी
  @sharma.rimmi
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एम्मा वॉटसन. नाम तो सुना ही होगा आपने. अरे वही हैरी पॉटर वाली प्यारी सी, चुलबुली लड़की. 26 साल की ये ब्रिटिश अभिनेत्री हमेशा से सुर्खियों में रही हैं. खासकर महिला अधिकारों यानी कि फेमिनिज्म पर अपनी बेबाक राय के लिए. यहां तक की 2014 में यूएन ने इन्हें यूएन वूमन गुडविल एम्बेसडर भी बनाया था. इसके तहत् इन्होंने ही फॉर शी कैंपेन भी चलाया था. इस कैंपेन में जेंडर इक्वॉलिटी यानि लैंगिक समानता की बात की गई थी.

ब्यूटी एंड द बीस्ट की इस हॉट अभिनेत्री ने फिर से मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है. इस बार एम्मा वैनिटी फेयर मैगजीन के लिए अपनी टॉपलेस फोटोशूट के बाद चर्चा में हैं. संस्कृति के ठेकदारों के साथ-साथ फेमिनिज्म के फरमाबरदार भी इन्हें आड़े हाथों लेने से नहीं चूक रहे. 26 साल की एम्मा सिर्फ क्रोशिया से बनाए गए एक स्टोल में नजर आईं, जिसमें उनके ब्रेस्‍ट की साफ झलक दिख रही है.

12_650_030617061127.jpgये अश्लीलता है, माई बॉडी माई च्वाइस नहींफिर क्या था, सोशल मीडिया पर लोग एम्मा पर पिल पड़े. उनका कहना है कि फेमिनिज्म की बात और अपने शरीर का प्रदर्शन कर लोगों के लिए एक हॉट केक बनना एक साथ नहीं किया जा सकता. लोगों ने फेमिनिज्म के उनकी बातों और प्रयासों को खोखला बताया तो एम्मा ने भी पलटकर उन्हें करारा जवाब दिया.

बीबीसी को दिए अपने इंटरव्यू में एम्मा ने कहा कि टॉपलेस पोज देना उनकी पसंद है और इसका फेमिनिज्म से कोई लेना देना नहीं हैं. ना ही ऐसा करके उन्होंने कहीं से भी फेमिनिज्म को कमजोर किया है.

एम्मा ने इंटरव्यू में कहा- फेमिनिज्म कोई छड़ी नहीं है जिसका इस्तेमाल दूसरी महिलाओं पर किया जाता है. फेमिनिज्म का मतलब स्वतंत्रता से है, मुक्ति से है, समानता से है. मुझे ये समझ नहीं आता कि इस सब का मेरे ब्रेस्‍ट से क्या लेना-देना.

सही कहा एम्मा आपकी बात से हम भी सहमत हैं. लेकिन एक बात जो मुझे ये समझ नहीं आई कि अगर आप टॉपलेस नहीं भी होतीं तो क्या बिगड़ जाता! जहां तक मेरी समझ है, स्वतंत्रता का मतलब मनमर्जी के कपड़े पहनने से भी है. आप स्वतंत्र हैं किसी भी तरह के कपड़े पहनने के लिए. चाहे आप जीन्स पहनें, स्कर्ट, हॉट पैंट या बिकनी. लेकिन आपने जो किया अगर वही काम कोई पुरुष कर दे तो उसे न्यूडिटी कहा जाएगा. क्योंकि मैं भी ब्रेस्‍ट को प्राइवेट पार्ट ही मानती हूं.

अगर ये प्राइवेट की गिनती में नहीं आते तो छातियों पर हाथ मारने वालों या घूरने वालों को दोषी नहीं कहना चाहिए. पुरुष अपनी छातियां दिखाते चलते हैं लेकिन वो शिकायत भी नहीं करते कि किसी महिला ने उनके 'प्राइवेट पार्ट' को घूरा. वो शायद अपनी छाती को प्राइवेट नहीं पब्लिक पार्ट समझते हों! खैर वही पुरुष अगर नंगा, बिना कपड़ों के सड़क पर निकले या फोटो खिंचवाए तो उसे अश्लील कहेंगे, लेकिन आपने इसे अपनी पसंद और स्वतंत्रता से जोड़ लिया.

फैशन की दुनिया में न्‍यूडिटी से एक कदम आगे जाकर विज्ञापनों की दुनिया आती है, जहां महिलाओं का इसी तरह इस्‍तेमाल होता है. उन्‍हें अजीब अजीब विज्ञापन करने के ऑफर आते हैं. मॉडल उन्‍हें पैसों के लिए ही सही, करती हैं. और बाद में बहस शुरू होती है महिलाओं को वस्‍तु की तरह उपयोग करने की. तो एम्‍मा की कोशिश, उस बहस में महिलाओं के पक्ष को कमजोर ही करती है.

ये कैसा फेमिनिज्म, ये कैसी स्वतंत्रता एम्मा? बराबरी की मांग हम लड़कियां अगर करती हैं तो हर जगह होनी चाहिए. हमारे आपके पसंद- नापसंद के हिसाब से नहीं. आपको अपने ब्रेस्‍ट दिखाने पसंद हैं पर लड़कों को अपने प्राइवेट पार्ट छुपा कर रखने चाहिए. आई एम सॉरी टू से एम्मा ये फेमिनिज्म नहीं है.

लेखक

रिम्मी कुमारी रिम्मी कुमारी @sharma.rimmi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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