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Updated: 01 जुलाई, 2015 06:23 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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क्या तरक्की का रास्ता तलाक से होकर गुजरता है? बाकियों की राय चाहे जो भी हो चीन के विशेषज्ञों का तो यही मानना है. हालांकि, उनकी ये राय सिर्फ महिलाओं के बारे में है.

सामाजिक प्रगति का प्रतीक

चीन सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में 36 लाख से ज्यादा शादियां टूटीं. तलाक की ये दर 2.7 प्रति हजार रही. साल 2013 में ये दर 2.6 प्रति हजार थी. पता चला है कि साल 2003 के बाद से चीन में तलाक की दर काफी बढ़ गई है.

सैद्धांतिक तौर पर चीन के विशेषज्ञ इसे दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में नारीवाद के उत्थान और महिलाओं की सामाजिक प्रगति का प्रतीक मान रहे है. सेंट्रल चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पेंग शियाओहुई कहते हैं, "तलाक की बढ़ती दर दिखाती है कि अब ज्यादा महिलाओं ने अपने समानता के अधिकार के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया है. यह सामाजिक प्रगति का प्रतीक है."

शियाओहुई तर्क देते हैं, "समाज तब प्रगति करता है, जब महिलायें शादी के बाहर खुश रह पाती हैं या जब वे अपने बच्चे खुद पालती हैं और उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता." शियाओहुई के मुताबिक शादी एक ऐसी सामाजिक शर्त रही है, जिसमें पुरुष का वर्चस्व रहा है.

दोबारा शादी आसान

एक रिपोर्ट के अनुसार तलाक के मामले में शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र पहले स्थान पर है. यहां तलाक दर 4.61 प्रति हजार है जो मुल्क में सबसे ज्यादा है. यहां तलाक लेने वाले अधिकतर दंपतियों में उइगर समुदाय के लोग हैं. उइगर समुदाय अपने धार्मिक मतों से काफी प्रभावित होते हैं. इस धार्मिक मत की खासियत है कि ये एक पति को कई पत्नियां रखने की इजाजत देता है.

इसके साथ ही शिनजियांग की स्थानीय संस्कृति तलाकशुदा महिलाओं के प्रति ज्यादा सहिष्णुता और सहयोग की भावना दिखाती है. इसके कारण यहां महिलाएं आसानी से दोबारा शादी कर सकती हैं.

हालांकि, तलाक के लिए अर्जी देने वाले ज्यादातर लोग पर्सनॉलिटी क्लैश, मां-बाप का दखल और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बताते हैं. इसके साथ ही लोगों की सोच में भी बदलाव हुआ है. पहले तलाक को लोग अपमानजनक मानते थे. अब ऐसा नहीं है. शादी को लोग उस नजरिए से नहीं देखते जिस तरह उनके माता-पिता देखते हैं. वे अब ये नहीं मानते कि तलाक का निर्णय कहीं से भी एक गलत फैसला है.

पश्चिम की दुनिया में तलाक आम बात मानी जाती है. लेकिन भारतीय समाज में अब भी विवाह को सबसे ऊंचा और तलाक को सबसे निचला दर्जा हासिल है. शादी की सालगिरह फोटो के साथ फेसबुक पर लोग बड़े गर्व से शेयर करते नजर आते हैं. कोई 10 साल तो कोई 25 साल तो कोई और भी ज्यादा साल की बात करता है. नीचे कमेंट बॉक्स देखें तो बधाइयों की भरमार होती है.

तलाक बेहद तकलीफदेह है

आबादी के मामले में चीन के बाद भारत का ही नंबर आता है. ऐसा नहीं है कि भारत में तलाक नहीं होते. तलाक होते हैं. निश्चित रूप से होते हैं, लेकिन कम. जो लोग तलाक लेते हैं, चाहे जिस वजह से, वे फेसबुक पर शेयर करना तो दूर उसका जिक्र भी शायद ही पसंद करते हों.

हाल की ही बात है. हम लोग फिल्म तनु वेड्स मनु रिटर्न्स देखने गए थे. हमारे एक मित्र जिनका पिछले साल ही तलाक हुआ था वो भी साथ थे. शादी के छह महीने ही बीते होंगे कि ऐसी नौबत आ गई. तलाक का वो दौर उनके लिए बहुत ही खर्चीला और पीड़ादायक रहा. खैर, फिर से उन्होंने शादी कर ली है. संयोगवश, फिल्म देखने वो अकेले आए थे. फिल्म के एक सीन में नायिका कंगना रनौत अपने हीरो आर माधवन से कहती है, "शर्मा जी! आप क्यों बदल गए, मैं तो ऐसी थी ही?"

फिल्म खत्म होने के बाद जब इस सीन का जिक्र हुआ तो उन्हें बीते दिन याद आ गए, "आखिर तक एक उम्मीद बंधी थी. कई ऐसे मौके भी आए जब कोर्ट में उससे भेंट हुई. लगता था लौट आएगी, लेकिन... "

तलाक की तकलीफ कितनी भयावह होती है? उनकी आंखें साफ बयां कर रही थीं.

आंसू निकले नहीं थे फिर भी आंखे भरी नजर आ रहीं थीं. वैसे ये देखने का एक नजरिया भी हो सकता है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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