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Updated: 27 मई, 2018 07:39 PM
आईचौक
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हमारे देश में जुर्म की तरह जेल भी गंभीर समस्या है. लगभग सभी जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी हैं. वहीं एक यूरोपीय देश नीदरलैंड में हालात ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं कि अब वहां जेलों की जरूरत ही नहीं है.

2013 में नीदरलैंड की 19 जेलों को बंद कर दिया गया और इस साल 5 और जेलों को बंद किया जा रहा है. वजह है कि जेलें खाली पड़ी हैं. उनमें रखने के लिए कैदी ही नहीं हैं.

तो क्या जुर्म ही नहीं होता? नीदरलैंड में अपराध तो होते हैं, लेकिन उनके लिए सजा के प्रावधान कम कर दिए गए हैं. 2004 के बाद से नीदरलैंड सरकार के उठाए कई कदमों के चलते देश में क्राइम का ग्राफ तेजी से गिरा है. ड्रग्स लेने और रखने के कानून सरल कर दिए गए. सजा की जगह सुधार पर जोर दिया गया. मामूली अपराध करने वाले लोगों को पैरों में एक इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग रिंग डाल दी जाती है और उन्हें रिहा कर दिया जाता है. इससे नॉर्मल जिंदगी जिंदगी जीते हैं और पुलिस की निगाह में भी रहते हैं.

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जेल

फिलहाल नीदरलैंड की जनसंख्या 1.7 करोड़ है और केवल 11,600 लोग जेल में बंद हैं, यानी औसतन 1 लाख जनसंख्या में केवल 69 कैदी. वहीं अमेरिका में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 716 कैदी हैं जो कि विश्व का सर्वाधिक है. वहीं ईरान में प्रति लाख में 290 कैदी हैं और भारत में प्रति लाख जनसंख्या में महज 33 कैदी हैं.

तो अब जेलों का क्या होगा? जेलों में कैदियों की कमी के चलते नीदरलैंड सरकार ने पिछले साल नार्वे से लगभग 240 कैदी इम्पोर्ट कर अपनी जेलों रखे. लेकिन इससे भी जेलें खाली ही रहीं. लिहाजा, हाल में देश के कानून मंत्री ने अपनी पार्लियामेंट को सूचित किया है कि खाली पड़ी जेलों से सरकार के खर्च पर बोझ पड़ रहा है इसलिए उसके पास अब जेलों को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. 

नीदरलैंड में जेल बंद करने से सरकार के सामने दूसरी चुनौती खड़ी हो गई है. इतनी बड़ी संख्या में जेल बंद करने से लगभग 2000 लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इसमें से महज 700 लोगों को नीदरलैंड सरकार दूसरे विभाग में संलग्न कर पा रही है. सरकार के मुताबिक देश में क्राइम के आंकड़ों में 2004 के बाद से बड़ी कमी दर्ज होना शुरू हुई जिससे आज देश की ज्यादातर जेलें खाली पड़ी हैं और उनके रखरखाव पर सरकार को बड़ी रकम खर्च करना पड़ रहा है.

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