ऐसे माता-पिता को हत्यारा न कहें तो क्या कहें
अमेरिका में माता-पिता ने अपनी 10 महीने की बच्ची को मरने के लिए छोड़ दिया, ईश्वर पर इतना विश्वास था कि डॉक्टर की मदद लेना उन्हें गंवारा नहीं था. लिहाजा कुपोषण और डीहाइड्रेशन से बच्ची की मौत हो गई.
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हम हाल ही में अंधविश्वास से जुड़ी एक बेहद डरा देने वाली घटना का अंजाम देख चुके हैं. दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने एक साथ अपनी जान दी थी. उनसे ये सब करवाया उस अटूट विश्वास ने कि 10 साल पहले मर चुके उनके पिता उन्हें आकर बचा लेंगे. लेकिन ये विश्वास आखिरकार अंधविश्वास ही साबित हुआ.
ऐसे ही अंधविश्वास की एक हैरान करने वाली घटना आई है अमेरिका के मिशिगन से. एक माता-पिता ने अपनी 10 महीने की बच्ची को मरने के लिए छोड़ दिया, ईश्वर पर इतना विश्वास था कि डॉक्टर की मदद लेना उन्हें गंवारा नहीं था. लिहाजा कुपोषण और डीहाइड्रेशन से बच्ची की मौत हो गई.
बच्चे की मौत खाना और पानी न देने से हुई
माता-पिता दोनों पर बच्ची की हत्या और पहले दर्जे के बाल शोषण का मामला दर्ज किया गया है.
क्या था मामला-
पिता ने इमर्जेंसी हेल्पलाइन 911 पर कॉल करके कहा कि उन्हें उनकी बच्ची पालने में मृत मिली है. पोस्टमार्टम करने पर पता चला कि बच्ची की मौत भूखे और प्यासे रहने से हुई, यानी माता-पिता की अनदेखी से.
पिता सेथ वेल्च और मां टाटियाना फुसारी से जब पूछताछ की गई तो दोनों ने माना कि बेटी की मौत के एक महीने पहले वो काफी कमजोर और पतली हो गई थी. लेकिन उन्होंने किसी भी डॉक्टर को संपर्क नहीं किया क्योंकि उन्हें डॉक्टरों पर भरोसा नहीं था, वो चिकित्सा सेवाओं में यकीन नहीं रखते थे, वो एक उदाहरण बनना चाहते थे. उनकी सिर्फ उनके धर्म में ही आस्था थी.
बच्ची के माता-पिता को डॉक्टर से ज्यादा भगवान पर भरोसा
ईश्वर पर था विश्वास, पर वो बच्ची को बचा नहीं पाए
पिता सेथ वेल्च धार्मिक आस्था से संबंधित बातें फेसबुक पर अक्सर पोस्ट किया करता था. उसने हमेशा डॉक्टरों का बहिष्कार किया. उसने ये भी माना था कि वो अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं कराता क्योंकि ईश्वर ही बीमारियों से बचाता है. इनके दो और बच्चे हैं जिनका भी वैक्सीनेशन नहीं कराया गया था. वो अपने दादी-दादा के साथ रहते हैं.
एक वीडियो में उसने कहा था- ''मुझे इसमें बुद्धिमानी नजर नहीं आती कि आप उन्हें बचाते हैं जो फिट नहीं हैं. यदि इवॉल्यूश्न यानी क्रम विकास 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट' में यकीन रखता है तो हम सभी का टीकाकरण क्यों कर रहे हैं? क्या हमें कमजोर को मरने नहीं देना चाहिए जबकि मजबूत को जीवित रहने देना चाहिए?''
अपने किए पर जरा भी अफसोस नहीं
बच्ची की हत्या का चार्ज लगने पर पिता का कहना है कि ''बच्ची की मौत की वजह कुछ और है. उसका वजन कम जरूर हुआ था लेकिन हमने अपने धार्मिक कारणों की वजह से डॉक्टर को नहीं दिखाया था. बाइबल में लिखा है कि अच्छा खाना ही दवा होता है. हम उसे खिलाते थे. हम उसे चिकन, आलू, सेब और चीज़ देते थे. हम उसे अच्छा खाना खिलाते थे. वो मर गई ये बहुत दुखद है. ईश्वर ही देता है, वही ले लेता है.''
जबकि Child Protective Services का कहना है कि इस दौरान बच्चे को न तो खाना दिया गया, न पानी और डायपर भी नहीं बदला गया.
जब इनपर बच्चे की हत्या का चार्ज लगाया गया तो पिता के आश्चर्य की सीमा ही नहीं थी-
इनके घर के बाहर बहुत से संदेश लिखे हुए हैं जो ईश्वर में उनके विश्वास की कहानी कहते हैं.
आध्यात्मिक संदेशों से घर सजा हुआ था
ईश्वर पर विश्वास करना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन इतना विश्वास कि बच्चा बीमार है तो उसे डॉक्टर नहीं ईश्वर ही बचाएंगे इसे अंधविश्वास नहीं तो और क्या कहेंगे. आश्चर्य होता है कि ये भारत के आदिवासी या ग्रामीण इलाके का मामला नहीं बल्कि अमेरिका के पढ़े लिखे लोगों का हाल है जो आज भी इस सोच में जीते हैं. अपनी सोच के आगे जिन्हें कुछ भी सही नहीं लगता. और यही विश्वास उन्हें इतने खौफनाक अंजाम तक पहुंचा देता है जिसकी वो कल्पना भी नहीं करते.
फिलहाल इस मामले पर अभी इन्हें सजा नहीं हुई है लेकिन आरोप साबित होने पर इन क्रूर माता-पिता को आजीवन जेल में रहना पड़ेगा.
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