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Updated: 19 अक्टूबर, 2015 07:43 PM
अल्‍पयू सिंह
अल्‍पयू सिंह
  @alpyu.singh
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ईश्वरप्पा जी, आप कर्नाटक में बीजेपी के बड़े नेता हैं. बहुत दिनों तक सूबे के डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं. जाहिर है ऐसे में आप किसी से जो भी सवाल पूछेंगे, उसमें वजन होगा. आखिरकार आपका काम ही सरकार की खबर लेना है, दबाव बनाना है, उसके कामकाज को कठघरे में लाना है.

ऐसे में जब आपने एक सवाल के जवाब में महिला पत्रकार से पूछ डाला कि अगर उनका ही कोई रेप कर दे तो आप क्या कर सकते हैं? तो आप पर ही उंगलियां उठने लगीं. आपको महिला विरोधी बयान देने वाला बताया गया वगैरह-वगैरह. हालांकि मेरा मानना है कि आपने कुछ गलत नहीं किया. आपने सही ही कहा कि देश की राजधानी दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक में लड़कियां अगर सुरक्षित नहीं हैं तो कोई क्या कर सकता है? ना सरकार, ना पुलिस ना समाज किसी के हाथ में कुछ नहीं. अब राजधानी दिल्ली को ही लीजिए तेजी से तरक्की करने वाले इस शहर की असलियत ये है कि यहां दो साल की दुधमुंही बच्ची को भी उसी नजर से देखा जाता है, जिस नजर से एक 80 साल की बुजुर्ग को. महिलाओं के प्रति नजरिए को लेकर शहर की आबोहवा में एक वर्गविहीन समाजवाद है.
 
2 साल, 5 साल या 80 साल. महिलाओं को लेकर अपराध करने वाले न उम्र देखते हैं, न वर्ग. खैर छोड़िए. अब बात दिल्ली से सटे यूपी की कर लेते हैं, जहां नोएडा पुलिस प्रशासन का ये हाल है कि एक स्कूली लड़की बार-बार छेड़खानी की शिकायत लेकर पुलिस के पास जाती रही लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. हारकर लड़की को अपनी जिल्लत भरी जिंदगी से छुटकारा जान देने के बाद ही मिला. वैसे ये तो पुलिस की बात रही. लेकिन सूबे में जिनकी सरकार है, वो मुलायम सिंह तो पहले ही इस बात की तस्दीक कर चुके हैं कि लड़कों से रेप वगैरह जैसी छोटी-मोटी गलतियां हो ही जाया करती हैं.

वैसे ईश्वरप्पा जी आप लोगों की केंद्र में सरकार है और देश के संस्कृति मंत्री आप ही की पार्टी से हैं. वो भी बार-बार ये जताने से गुरेज नहीं करते कि लड़कियों को तथाकथित भारतीय संस्कृति के दायरे में रहना चाहिए. उनके मुताबिक देर रात बाहर रहना ठीक नहीं. कुछ इसी तरह के बयान बीते कुछ साल पहले आन्ध्र के डीजीपी ने भी दिए थे. उन्होंने तो बकायदा लड़कियों को याद दिलाया था कि उन्हें छोटे कपड़े पहनने से बाज आना चाहिए. भड़काऊ कपड़े ही अपराध की जड़ होते हैं. वैसे दूर ना जाइए, आप ही के राज्य के गृहमंत्री के.जे. जॉर्ज ने हाल ही में गैंगरेप को लेकर अपनी नई परिभाषा गढ़ दी है. तब उनसे किसी ने सवाल किए? नहीं. तो फिर आप ही से सवाल क्यों?

चाहे आप हों, महेश शर्मा हों या मुलायम सिंह हो. आप लोग अनुभवी और बुजुर्ग राजनेता हैं, देश और राज्य के विधायी सदनों में बैठ या तो नीतियां बनाते हैं या फिर विपक्ष में बैठ उन को लेकर बहस करते हैं. जाहिर है आप लोग जो कहेंगे, तथाकथित रूप से सही ही कहेंगे. लेकिन ऐसा क्यों लगता है कि संस्कृति का ढकोसला, पहनावा और अपनी लाचारी दिखाने की आपकी अदाएं उस पर्दे की मानिंद हैं, जिसकी आड़ में पितृसत्तात्मक और मर्दवादी सोच को ढका जाता है. क्यों आपकी सोच भी भारतीय डीएनए की वो झलक दिखा ही देती है, जहां महिलाओं को कमतर समझा जाता है और उनके खिलाफ हो रहे अपराधों के लिए जिम्मेदार भी. यही वजह है कि गाहे-बगाहे आप लोगों के डिप्लोमैटिक बिहेवियर को मात दे ये सोच सामने आ ही जाती है.

इसीलिए मैं कहती हूं ईश्वरप्पा जी, गलती आप की नहीं, उस पत्रकार की है, जिसने आप से ये सवाल पूछा. वो अपनी ड्यूटी के चलते ये भूल गई कि वो महिला है लेकिन समाज की तरह आप भी उसे याद दिलाने से नहीं चूके कि महिला सबसे पहले महिला है. बाद में कुछ और. मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि किसी पुरुष पत्रकार से आप ऐसा सवाल पूछते ही नहीं. हां, गलती उसी की है... उसे आपसे ये सवाल करना ही नहीं चाहिए था.

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लेखक

अल्‍पयू सिंह अल्‍पयू सिंह @alpyu.singh

लेखक आज तक न्यूज चैनल में एसोसिएट सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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