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Updated: 27 जुलाई, 2016 05:39 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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दहेज को लेकर महिलाओं को प्रताड़ित करने की तमाम खबरों के बीच एक खबर ऐसी है जो बहुत सी महिलाओं को प्रभावित करने का दम रखती है. ये खबर नहीं बल्कि समाज की विकृत सोच को बदलने की एक शुरुआत कही जा सकती है.

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के दाहा गांव में रहने वाली 19 साल की मोहसिना ने सोचा भी नहीं था कि शादी की रात ही ससुराल वाले दहेज की मांग रख देंगे. मोहसिना ने अपनी विधवा मां को फोन पर मांग के बारे में बताया, तो मां ने कहा कि सीधे घर आ जाओ. मोहसिना अपनी मां के घर वापस लौट आई.

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शादी होने के बाद की गई दहेज की मांग

एक महीना पहले ही गांव की खाप पंचायत ने दहेज को गैर कानूनी घोषित किया था. लिहाजा पंचायत बैठाई गई. पंचायत दोनों पक्षों के बीच सुलह कराना चाहती थी. इसी सिलसिले में मोहसिना के पति मोहम्मद आरिफ ने वहीं मोहसिना को फोन लगाया और स्पीकर ऑन कर दिया. करीब 500 लोगों के सामने आरिफ ने फोन पर दहेज मांगने के लिए माफी मांगी. दूल्हे की माफी के बाद जब पंचायत ने मोहसिना का जवाब जानना चाहा, तो उसने बेहद कम शब्दों में सधा सा जवाब दिया - 'तलाक-तलाक-तलाक'. और फोन काट दिया. 

पंचायत ने मोहसिना की बात सुनकर तलाक मंजूर कर लिया और ससुराल वालों पर तीन साल तक कोई भी शादी समारोह करने पर बैन लगा दिया.  

अब तक ट्रिपल तलाक पर केवल पुरुषों का ही विशेषाधिकार था. मुस्लिम महिलाओं को कहीं भी, कभी भी तलाक बोलकर अपनी जिंदगी से दूर कर दिया जाता. इसके खिलाफ कई महिला संगठन मुस्लिम कानून में बदलाव की मांग करते आ रहे हैं. ऐसे में गांव की एक मुस्लिम लड़की का इसी हथियार को दहेज मांगने वाले पति के खिलाफ इस्तेमाल करना अपने आप में सराहनीय है. मोहसीना ने न तो पति को माफ किया बल्कि उस इंसान के साथ जीवन बिताने से भी इन्कार कर दिया. वहीं तारीफ करनी होगी मोहसिना की मां की, जिन्होंने मजबूती से अगर अपनी बच्ची को पाला तो उसी मजबूती के साथ उसे घर वापस आने के लिए कह दिया, बगैर ये सोचे कि लोग क्या कहेंगे.

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धर्म कोई भी हो समाज एक ही दिशा में सोचता है, कि एक बार शादी हो जाए तो लड़की वाले हर मांग को पूरा करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. लड़की का जीवन कोई भी परेशानी में देखना नहीं चाहता, इसलिए ससुराल वालों की बेबुनियाद मांगे भी पूरी की जाती हैं और जो न कर पाएं तो लड़की को प्रताड़नाएं झेलनी पड़ती हैं.

लेकिन अगर घरवाले लोकलाज की फिक्र छोड़, लड़की की खुशी के बारे में सोचकर मजबूती से कह दें कि 'घर लौट आ, जो होगा देखा जाएगा'. तो दहेज मांगने वालों के हौसले खुद ब खुद पस्त हो जाएंगे.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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