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Updated: 17 अप्रिल, 2017 02:28 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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लो जी अब धर्म के नाम पर एक और बवाल शुरू हो गया. सोनू निगम की नींद क्या खराब हुई उन्होंने सारे हिंदुस्तान का चैन ही छीन लिया! अभी स्नैपचैट वाला मामला थमा नहीं था कि एक बार फिर ट्विटर पर लोग भिड़ गए. आखिर सोनू निगम को ये सोचना चाहिए था कि जो भारत स्नैपचैट की सीईओ को एक कथित दो साल पुराने स्टेटमेंट पर इतनी बातें सुना सकता है, एप को 1 स्टार रेटिंग देने की मुहिम छेड़ सकता है वो उनका क्या हाल करेगा.

sonu-nigam_650_041717014659.jpgसोनू निगम की एक ट्वीट बवाल के लिए काफी है

कुछ ऐसी थी सोनू निगम की ट्वीट....

खैर, जो भी हो सोनू निगम की ट्वीट और उसपर बवाल कोई अचंभा नहीं है. अगर आपसे पूछा जाए कि भारत में लोग धर्म के नाम पर कितने कट्टर हैं तो क्या कोई पैमाना बता पाएंगे आप इसे नापने का? हाल ही में इस बारे में PEW रिसर्च की स्टडी सामने आई है. इसमें बताया गया है कि भारत धार्मिक कट्टरता के मामले में चौथे नंबर पर है. भारत से पहले सिर्फ सीरिया, नाइजीरिया और इराक है. यहां तक कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी भारत से पीछे हैं. अफगानिस्तान 8वें नंबर पर और पाकिस्तान 10वें नबंर पर.

इस रिसर्च में अहम रोल निभाने वाले कातायुन किशी एक इंटरव्यू में कहते हैं कि ये स्थान भारत को हिंदू-मुस्लिम रिश्तों के कारण मिला है. 2015 में हिंदुओं ने मुस्लिमों पर अटैक किया था उस समय भी गौरक्षा का मामला सामने आया था और ये पहली बार नहीं था. चाहें हम 2017 को देखें या इससे पहले के किसी भी साल का इतिहास उठा कर देख लें हिंदू-मुस्लिम विवाद सामने आ ही जाएगा.

तो क्या सीरिया की तर्ज पर जा सकता है भारत?

अब एक बार गौर कीजिए उन तीनों देशों को जो इस लिस्ट में भारत से आगे हैं. सीरिया, इराक और नाइजीरिया तीनों ही देश युद्ध की मार से पीड़ित है. या यूं कहूं कि गृहयुद्ध की मार से. सीरिया के हालात किसी से छुपे नहीं है और इराक और नाइजीरिया भी पीछे नहीं है.

अब एक बार भारत को देखिए. सरकारी आंकड़ों की बात करें तो धर्म के नाम पर यहां भी कई फैसले सरकार द्वारा ही लिए जाते हैं. इसके अलावा, सभी बैन उठाकर देखिए भारतीय संस्कृति को बचाने के नाम पर किए गए कामों को देखिए... क्या ऐसा नहीं है कि धर्म के नाम पर यहां नियम और कानून सभी बनाए जाते हैं.

रिपोर्ट को देखें तो 25 ऐसे देश हैं जहां दुनिया की 75% जनता रहती है. इन देशों में धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा बैन रशिया, इजिप्ट, भारत, पाकिस्तान और नाइजीरिया पर लगाए गए हैं.  2015 के डेटा के हिसाब से हर देश में सबसे ज्यादा इसाई और मुसलमानों को हैरेस किया गया है. 74 देशों में यहूदियों को परेशान किया गया है. 18 देशों में हिंदुओं को परेशान किया गया है जो 2014 के डेटा के हिसाब से बढ़ा है.

पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें :

अगर सोनू निगम के मुद्दे को ही ले लिया जाए तो सूनो को लाउड स्पीकर से दिक्कत ज्यादा है या आज़ान से? इस सवाल का जवाब जानते तो सभी है, लेकिन लिब्रल सोसाइटी के लिए अज़ान या पूजा जैसा शब्द कानों में तेज़ाब का काम करता है और यही कारण है कि एक मुद्दा भारत में इतना तूल पकड़ लेता है.

अब खुद ही सोचिए सोनू निगम के मामले में भारत अगर एक ट्वीट से इतना परेशान हो रहा है तो आंकड़ों के हिसाब से ये बिलकुल सही ही साबित होता है. चाहें नेता हो, अभिनेता हो या कोई आम इंसान धर्म के नाम पर बोलने वालों का क्या होता है ये तो सभी जानते हैं. नेता-अभिनेता तो फिर भी बच जाते हैं पिसते बेचारे आम इंसान ही हैं.

"कंकड़ पत्थर जोड़ के मस्जिद लियो बनाए

ता चढ मुल्ला बांग दे क्या बहिरा हुआ खुदा "

कबीर ने सदियों पहले कहा था उन्होंने सभी धर्म अधिकारियों से पूछा था कि खुदा तो हर जगह है फिर मस्जिद बनाकर उपर अज़ान को चिल्लाकर बोलने की क्या जरूरत है. क्या खुदा बहरा हो गया है? अगर आज के समय में कहते तो उनके लिखने पर बैन लगा दिया जाता या उन का भी सिर कलम करने का हुक्म आ जाता. इतना ही नहीं कबीर को सड़कों पर पत्थर या लाठियों से मारकर उनसे बदला भी लिया जा सकता था.

अब अगर भारत में कोई ऐसी हिम्मत दिखा रहा है कि उसने धर्म के खिलाफ ट्वीट कर दी तो यकीनन सोशल मीडिया के जागरुक सिपाहियों के पास एक नए युद्ध पर जाने का मौका तो आ ही गया. जी, सोनू ने तो साहब प्लेट में रखकर जंग का सामान परोस दिया! सुबह से ही सोनू के साथ खड़े सैनिक और विरोधी सेना दोनों ट्विटर पर भिड़े हुए हैं. जरा देखिए क्या नतीजा निकला इस डिबेट का....

 

 

 

 

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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