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Updated: 04 नवम्बर, 2015 07:35 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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'पेप्सी थी, पी गया...' ये विज्ञापन आजकल टीवी पर बहुत दिखाया जा रहा है. पर क्या आपने गौर किया कि इस विज्ञापन में नारेबाजी कर रहे छात्र किस संस्थान से हैं? नहीं, क्योंकि ऐसा कहीं दिखाया ही नहीं है. पर चर्चा यही हुई कि पेप्सी का ये एड FTII के छात्रों को ध्यान में रखकर बनाया गया. पिछले कई महीनों से FTII के छात्र अध्यक्ष गजेंद्र सिंह को हटाने की मांग कर रहे हैं. मीडिया में आए दिन इनके प्रदर्शन और हड़ताल के चर्चे होते हैं इसलिए विज्ञापन में दिखाए गए छात्रों को उनसे आसानी से रिलेट किया गया. इस विज्ञापन का आशय है कि किसी भी हड़ताल से ज्यादा बड़ी होती है पेप्सी की प्यास, विज्ञापन में एक छात्र पेप्सी देखकर अपनी भूख हड़ताल तोड़ देता है और कहता है- 'पेप्सी थी...पी गया'.

पेप्सी का विज्ञापन-

पर पेप्सी का ये विज्ञापन FTII के छात्रों ने दिल पर ले लिया. उन्हें लगा कि पेप्सी ने उनपर कटाक्ष करने का प्रयास किया है. जो उन्हें जरा भी पसंद नहीं आया. ये FTII छात्र हैं, जो कब से अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं, ऐसे में इस विज्ञापन के माध्यम से छात्रों से पंगा लेना पेप्सी के लिए ज़रा भारी पड़ गया. इन छात्रों ने इस वीडियो का जवाबी वीडियो बनाया, जिसमें पेप्सी की जमकर खिल्ली उड़ाई गई है. इस वीडियो में Pepsi को poopsi  कहा गया है, और पेप्सी के भावहीन और बेपरवाह रवैये पर कहा गया कि 'ऐड था यार.. बना दिया'.  ये वीडियो प्रोडक्शन हाउस 'आरंभ' के बैनर तले बना है जो पेप्सी को अच्छा जवाब देता दिख रहा है. 

जवाब में बनाया गया वीडियो-

मार्केटिंग का पहला फंडा ही प्रोडक्ट बेचने से पहले उसको चर्चा में लाना है. ऐसे में पेप्सी कामयाब हुआ. पेप्सी के इस एड से जो छात्र खफा हुए वे भी कोई और नहीं बल्कि फिल्म मेकिंग की ट्रेनिंग ले रहे देश के सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से हैं. ये बात पेप्सी को भी पता ही होगी और उम्मीद भी की होगी कि उसके एड का जवाब उसी की भाषा में आएगा और आया भी. आधी मार्केटिंग पेप्सी ने की और आधी खुद FTII के छात्रों ने. निगेटिव मार्केटिंग भी मार्केटिंग का ही हिस्सा है. आपने सुना है न, बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा?

#FTII, #छात्र, #पेप्सी, एफटीआईआई, छात्र, पेप्सी

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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