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Updated: 03 फरवरी, 2017 01:13 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के तीसरे चौथे चरण में सांसद वरुण गांधी को स्टार प्रचारक के तौर पर उतारने का फैसला किया है. बुधवार को जारी सूची में वरुण गांधी का नाम 39 नंबर पर दर्ज है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह द्वारा सूची में कुल 40 नाम हैं इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, डा. मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ जैसे बड़े नेताओं का नाम है.

तीसरे व चौथे चरण में वरुण गांधी को स्टार प्रचारक बनाने का फैसल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 21 जनवरी के पहले और दूसरे चरण के स्टार प्रचारकों सूची से वरुण गांधी गायब थे. इस सूचि में वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार सरीखे नेताओं को भी नहीं रखा गया था. उस सूची में केंद्रीय और बाहरी नेताओं की तो भरमार थी पर उत्तर प्रदेश के सांसंद वरुण गांधी, मुरली मनोहर जोशी एवं विनय कटियार का न होना काफी चर्चा का विषय बन गया था.

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भाजपा के कुछ नेताओं ने पार्टी के निर्णय का बचाव करते हुए ये भी कहा कि चूंकि वरुण गांधी की मां मेनका गांधी को इस लिस्ट में जगह दी गई इसलिए वरुण का नाम नहीं है. उनके अनुसार मां एवं बेटे दोनों का नाम एक साथ होने से लोगों के बीच अच्छा सन्देश नहीं जाता क्योंकि पार्टी वंशवाद विरोधी है. हालांकि पार्टी का यह बचाव बड़ा ही खोखला है क्योंकि पार्टी ने जब मां-बेटे दोनों को लोक सभा का टिकट दिया तो इसको इस सिद्धांत का ख्याल क्यों नहीं आया. आज दोनों ही भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश से लोक सभा के सांसद हैं.

जब पिछली 21 जनवरी सूची में वरुण का नाम नहीं था तो लोगों को बहुत आश्चर्य नहीं हुआ. भाजपा के वर्तमान शीर्ष नेताओं के साथ वरुण का संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं है. पार्टी की कमान जब से अमित शाह के हाथ में आई तो उन्होंने वरुण गांधी को पार्टी महासचिव से हटा दिया गया. उनको पार्टी में कोई भी महत्वपूर्ण जिममेवारी भी नहीं दी गई. ऐसा माना जाता है की जब पिछले साल भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी तब वरुण के समर्थकों ने अपनी ताकत दिखाई थी, लेकिन यह नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पसंद नहीं आया. इससे उनका सम्बन्ध और भी खराब हो गया.

वरुण गांधी नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य हैं. वो युवा होने के साथ ही साथ लोकप्रिय एवं करिश्माई भी हैं. उनमें एक मजबूत नेता के रूप में उभर सकने की संभावनाएं भी हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के वर्तमान नेतृत्व को वरुण की संभावित ताकत से अपने आप को खतरा भी महसूस होता है. शायद इसीलिए उनको पार्टी को हाशिए पर रखा गया है.

अब देखने वाली बात ये होगी की जब वरुण गांधी भाजपा के स्टार प्रचारक बन गए हैं तो क्या वो पार्टी  के लिए प्रचार करेंगे? और अगर वो प्रचार करते हैं तो क्या वो अपने लोक सभा क्षेत्र सुल्तानपुर तक ही सीमित होगा या वो पूरे उत्तर प्रदेश में चुनाव करेंगे? और अगर वो पार्टी के लिए काम करते हैं तो क्या उनके एवं पार्टी के हाई कमान के बीच की दूरियां कम हो पाएंगी?

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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