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Updated: 20 फरवरी, 2022 07:14 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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यूपी चुनाव 2022 के तीसरे चरण में 59 सीटों पर हुआ मतदान काफी दिलचस्प माना जा रहा है. क्योंकि, यूपी चुनाव 2022 में भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच ही मुख्य सियासी लड़ाई मानी जा रही है. 16 जिलों में से 9 जिलों में यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या की वजह से इसे किसी जमाने में समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता था. लेकिन, 2017 के चुनाव में भाजपा ने इसमें जो सेंध लगाई है, उसका असर अभी भी समाजवादी पार्टी पर साफ नजर आ रहा है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि यादव वोटों को लामबंद करने के लिए खुद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं.

अखिलेश यादव की उम्मीदवारी से करहल विधानसभा सीट यूपी चुनाव 2022 के तीसरे चरण की हॉट सीट बन गई है. वैसे, 2017 के चुनाव में भाजपा ने 59 सीटों में 49 पर जीत दर्ज की थी. वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में 8, कांग्रेस और बसपा ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी एक बार फिर अपने गढ़ में खुद को मजबूत करने की कोशिश में है. तो, भाजपा के सामने पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है. वैसे, तीसरे चरण में केवल अखिलेश यादव ही नहीं, भाजपा के भी कई कद्दावर नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. आइए यूपी चुनाव 2022 के तीसरे चरण की इन हॉट सीट्स पर डालते हैं नजर...

UP Election Third Phase Hot Seats तीसरे चरण में सपा फिर अपने गढ़ को वापस लेने की कोशिश में है. तो, भाजपा के सामने पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है.

करहल में अखिलेश की 'अग्निपरीक्षा' लेंगे एसपी सिंह बघेल

यूपी चुनाव 2022 के तीसरे चरण की सबसे हॉट सीट करहल विधानसभा सीट ही है. अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर यादवलैंड के समीकरणों को साधने की कोशिश की है. लेकिन, भाजपा ने भी अखिलेश यादव की मुश्किलों में इजाफा करने के लिए केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को प्रत्याशी घोषित किया है. एसपी सिंह बघेल के राजनीतिक गुरू सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव रहे हैं. वैसे, एसपी सिंह बघेल से अखिलेश यादव को कितनी चुनौती मिल रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपी चुनाव 2022 में पहली बार मुलायम सिंह यादव को खुद यहां समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार के लिए उतरना पड़ा. जबकि, यह सीट लंबे समय से समाजवादी पार्टी का गढ़ कही जाती है. कांग्रेस ने अखिलेश यादव के खिलाफ किसी को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है.

जसवंतनगर से शिवपाल मैदान में

अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव से पुराने गिले-शिकवे मिटाते हुए गठबंधन किया था. अखिलेश यादव की शिवपाल सिंह यादव से नाराजगी मिटने को भी यादव वोटों को साथ लेने की कवायद के तौर पर ही देखा गया. हालांकि, समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव को कोई खास तवज्जो नहीं मिली. क्योंकि, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव को उनकी पारंपरिक सीट जसवंतनगर से सपा की टिकट पर ही प्रत्याशी बनाया है. वहीं, 100 सीटों की मांग करने वाले शिवपाल सिंह यादव का केवल एक सीट से ही संतोष करना पड़ा है. शिवपाल सिंह यादव के सामने भाजपा ने विवेक शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है. और, बसपा ने बृजेंद्र प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने जसवंतनगर से भी किसी प्रत्याशी को टिकट नहीं दी है.

महाराजपुर में महाना का 'इम्तिहान'

कानपुर नगर जिले की महाराजपुर विधानसभा सीट पर लगातार 35 वर्षों से विधायक और योगी सरकार के मंत्री सतीश महाना 8वीं बार जीत दर्ज करने उतरे हैं. 2012 के परिसीमन में महाराजपुर सीट के गठन के बाद से दोनों चुनावों में सतीश महाना ने जीत दर्ज की है.समाजवादी पार्टी ने महाराजपुर से युवा प्रत्याशी फतेह बहादुर सिंह गिल को प्रत्याशी बनाया है. पिछले दो चुनाव की बात करें, तो इस सीट पर सतीश महाना ने बसपा के उम्मीदवारों को ही पटखनी दी है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो समाजवादी पार्टी यहां बदले समीकरणों से सियासी लड़ाई में आई है. बसपा ने सुरेंद्रपाल सिंह चौहान की प्रत्याशी बनाया है.

सिरसागंज में साइकिल 'पंचर' करने उतरे मुलायम के समधी 

फिरोजाबाद जिले की सिरसागंज विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव ही साइकिल को पंचर करने चुनावी मैदान में उतरे हैं. हरिओम यादव ने भाजपा का दामन थामा है और प्रत्याशी बनकर समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. हालांकि, समाजवादी पार्टी ने भी हरिओम के राजनीतिक चेले रहे सर्वेश यादव को प्रत्याशी बनाकर उनके लिए चुनौती खड़ी कर दी है. बसपा के टिकट पर पंकज मिश्रा यहां से ताल ठोंक रहे हैं. सिरसागंज सीट भी 2012 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी.

भोगांव में क्या दोबारा खिल पाएगा कमल?

मैनपुरी जिले की भोगांव सीट पर योगी कैबिनेट के मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री ने पहली बार 2017 में भाजपा को जीत दिलाई थी. भोगांव सीट पर कई दशकों से समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने रामनरेश अग्निहोत्री के सामने पूर्व मंत्री आलोक कुमार शाक्य पर दांव लगाया है. वहीं, बसपा ने अशोक कुमार सिंह को टिकट दिया है.

इत्र नगरी में असीम अरुण की किस्मत का फैसला

यूपी चुनाव 2022 से ठीक पहले कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्वर असीम अरुण ने वीआरएस लेकर भाजपा का दामन थाम लिया था. भाजपा ने असीम अरुण को इत्र नगरी की कन्नौज सदर सीट से प्रत्याशी बनाया है. असीम अरुण भाजपा के लिए नए दलित चेहरे के तौर पर सुर्खियां बटोर रहे हैं. कन्नौज सदर सीट से समाजवादी पार्टी ने अनिल दोहरे को चुनावी मैदान में उतारा है. बसपा ने समरजीत दोहरे और कांग्रेस ने रीता देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. यूपी चुनाव से पहले यहां हुई छापेमारी ने भी खूब चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया था.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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