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Updated: 21 दिसम्बर, 2016 10:11 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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तो राहुल गांधी ने भूकंप वाला गुब्बारा फोड़ ही दिया. जो मेहनत में यकीन रखते हैं उन्हें नतीजों की परवाह कहां होती है? भूकंप का असर कितना हुआ या नहीं हुआ? या होना ही नहीं था, ये सब सोचने की जरूरत भी क्या है? लगता है कांग्रेस में युवा जोश आज कल कुछ ऐसे ही अंदाज में सोचता है.

तो क्या मिशन भूकंप के पीछे भी वही टीम काम कर रही थी, जिसने राहुल गांधी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 16 दिसंबर की मुलाकात में सक्रियता दिखाई थी?

भूकंप का क्या हुआ?

राहुल गांधी ने गुब्बारा फोड़ने के लिए जगह तो अच्छी चुनी - मेहसाणा. मेहसाणा गुजरात का वो इलाका जो पाटीदार आंदोलन से अरसे से उबल रहा है - मोदी के खिलाफ माकूल माहौल भी बना हुआ है. तभी तो अरविंद केजरीवाल से लेकर नीतीश कुमार तक हर किसी की नजर में चढ़ा हुआ है. राहुल गांधी की बातों से मेहसाणा या देश के दूसरे हिस्सों में भले ही कोई असर न हुआ हो, लेकिन कांग्रेस में उल्टा असर देखा जा रहा है. भूकंप वाले बयान से गर्माये माहौल के बीचो बीच निहायत ही ठंडे माहौल में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात पर बहस गंभीर होने लगी है, लेकिन ठीकरा किसी के सिर सीधे तौर पर नहीं फोड़ा जा सका है.

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ये तो मालूम पहले ही हो गया था कि कांग्रेस की सीनियर ब्रिगेड की मनाही के बावजूद ये युवा जोश की नादानी रही. अब बहस इस बात पर है कि इस मुलाकात के पीछे असली चाणक्य कौन था?

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और भूकंप...

कांग्रेस से विपक्षी दलों की नाराजगी के बाद अब पार्टी के भीतर भी भारी असंतोष है. वरिष्ठों की सबसे ज्यादा नाराजगी लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर है - क्योंकि माना जा रहा है कि उन्हीं की सलाह और इनिशिएटिव पर राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात का वक्त मांगा था.

राहुल कैंप को भी शिकायत

राहुल और मोदी की इस मुलाकात में साफ तौर पर सत्ता पक्ष की जीत देखी गई. एक छोटी सी मुलाकात का असर ये हुआ कि जो विपक्ष नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ एकजुट नजर आ रहा था - उसमें से चार पार्टियां राष्ट्रपति से मिलने गईं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का साथ देने से पीछे हट गईं.

कांग्रेस के भीतर ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही इस सियासी गलती के लिए मेन विलेन ठहराया जा रहा है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि मोदी कैबिनेट के सीनियर मंत्री अरुण जेटली से दोस्ती के चलते सिंधिया ने इसे अंजाम तक पहुंचाया. माना जा रहा है कि मोदी से मुलाकात कराने में जेटली ने मुख्य भूमिका निभाई - और इस खास इवेंट को ऐसे प्लान किया कि राहुल गांधी की टीम उनके राजनीतिक ट्रैप में उलझ जाए.

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खबरों के मुताबिक कुछ नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लिखित तौर पर अपनी शिकायत दर्ज कराई है. सिंधिया के खिलाफ शिकायत सिर्फ इतनी ही नहीं है - उनके बारे में एक राय ये भी है कि वो सदन में किसी को बोलने नहीं देते.

ऐसे नेताओं की नजर में जेटली ने सिंधिया से दोस्ती का फायदा उठाकर विपक्षी एकता तोड़ दी जो पूरी तरह सरकार के पक्ष में गया. दिलचस्प बात ये है कि शिकायत दर्ज कराने वालों में वरिष्ठों के साथ साथ राहुल कैंप के कुछ युवा नेता भी हैं - यानी खेल बड़ा चल रहा है और दिल्ली में मध्य प्रदेश की भी राजनीति खास रणनीति के तहत हो रही है.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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