लालू को खतरा है तो मीडिया से पहले तेजस्वी को कोर्ट को बताना चाहिये
लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सजा सुनाये जाने के बाद तेजस्वी ने आरजेडी नेता की जान पर खतरे की आशंका जतायी है. बेहतर होता तेजस्वी मीडिया से पहले ये बात कोर्ट को बताते जिससे जरूरत के हिसाब से एक्शन होता.
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जब से लालू प्रसाद जेल भेजे गये हैं, सिर्फ दो बातें ऐसी हुई हैं जिनसे उनका परिवार राहत महसूस कर सकता है. एक, लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही का बंद होना - और दो, छोटे बेटे तेजस्वी के नेतृत्व में अररिया उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार की जीत. बाकी जो भी हुआ उसकी लालू और उनके परिवार ने न तो कल्पना की होगी, न तो उम्मीद रही होगी.
अब तक की सबसे बड़ी सजा
लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े 6 मामले दर्ज हैं और अब तक इनमें से 4 में सजा आ चुकी है. खास बात ये है कि चौथे मामले में अब तक की सबसे बड़ी सजा सुनायी गयी है. इनके अलावा लालू के खिलाफ डोरंडा ट्रेजरी केस और भागलपुर ट्रेजरी केस में सुनवाई चल रही है.
लालू को अब तक सबसे बड़ी सजा
1. सितंबर 2013 में लालू को चाईबासा ट्रेजरी केस में पहली बार 5 साल की सजा हुई. इस केस में लालू को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली हुई है.
2. देवधर ट्रेजरी केस में लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा हुई है.
3. चाईबासा ट्रेजरी के ही दूसरे केस में लालू को 5 साल की सजा हुई है.
4. अब दुमका ट्रेजरी केस में लालू को 7-7 साल की डबल सजा सुनायी गयी है. खास बात ये है कि ये दोनों सजायें अलग अलग काटनी होंगी यानी कुल 14 साल की सजा हुई.
अब तक लालू को जो भी सजा हुई वो साथ साथ चल रही थी. सजा तो दो 5-5 साल की और एक साढ़े तीन साल की थी, लेकिन साथ होने के कारण 5 साल में ही पूरी हो जाती.
अब सवाल ये है कि लालू प्रसाद को 14 साल की जो सजा सुनायी गयी है वो साथ काटनी होगी या अलग अलग? लालू के वकील इस बारे में हाई कोर्ट में अर्जी देने वाले हैं. अब ये सब हाई कोर्ट के रुख पर निर्भर करता है. अगर सजा एक साथ ही काटनी होगी तो 14 साल में ही पूरी हो जाएगी - और अलग अलग काटनी पड़ी तो 19 साल हो जाएगी.
चुनाव की तारीख नजदीक और वक्त बहुत कम
लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार में हिस्सेदार होने के साथ साथ केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी पर लगातार हमलावर रहे हैं. तेजस्वी के साथ ही लालू प्रसाद के ट्विटर अकाउंट से भी उनका ऑफिस सक्रिय रहता है. दोनों ही अकाउंट के टाइमलाइन पर एक-एक ट्वीट पिन किये हुए हैं - और दोनों का लब्बोलुआब एक ही है.
अगर लालू जी BJP से हाथ मिला लेते तो वो आज हिंदुस्तान के राजा हरीशचंद्र होते।तथाकथित चारा घोटाला दो मिनट में भाईचारा घोटाला हो जाता अगर लालू जी का DNA बदल जाता।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 26, 2017
लालू चोर होता तो जेल नहीं बीजेपी में होता
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) January 8, 2018
लालू की तबीयत ठीक नहीं होने के कारण उन्हें रांची के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. लालू को सबसे बड़ी सजा भी वहीं वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनायी गयी. अस्पताल में भर्ती होने के बाद तेजस्वी ने तो उनसे मुलाकात की ही, बीजेपी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी उनसे मिलने पहुंचे थे.
Bihari Babu “once again” not invited to his home on "Bihar Divas"- for reasons best known to all of us. On Bihar Divas I was at Ranchi to meet & greet d most popular, son of soil, mass leader LaluJi. My best wishes & prayers for a healthy & long life. Get well soon. Jai Bihar!
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) March 24, 2018
दुमका ट्रेजरी केस में सजा सुनाये जाने के बाद तेजस्वी यादव ने लालू के जान पर खतरे की आशंका जतायी है - और इसमें वो बीजेपी की साजिश देख रहे हैं. पटना में पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी ने कहा, 'हम इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे और चारों फैसलों को पढ़ने के बाद इस पर कानूनी कार्रवाई की रणनीति तैयार की जाएगी... मुझे आशंका है कि अब लालू जी की जान को खतरा है और बीजेपी इसकी साजिश रच रही है.'
लालू के खिलाफ केस को तेजस्वी और आरजेडी नेता राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं जबकि जवाबी हमले में बीजेपी नेता कह रहे हैं - जो लालू प्रसाद ने बोया है वही फसल वो और उनका परिवार काट रहा है.
हाल के दिनों में जब लालू प्रसाद को कोर्ट ने पहली सजा सुनायी तो तेजस्वी यादव सहित पांच नेताओं ने कड़ा ऐतराज जताया था. कोर्ट ने इसे संज्ञान में लेते हुए सभी अवमानना का नोटिस भी दिया. जब उसके बाद सजा सुनाई गयी तो तेजस्वी और उनके साथ चुप रहे और उच्च न्यायालय में अपील की बात करते रहे. अब जब सजा सुनायी गयी है कि तो तेजस्वी यादव लालू के जान को खतरा बता रहे हैं.
आखिर तेजस्वी को क्यों ऐसे खतरे की आशंका सता रही है. ये सही है कि लालू की तबीयत ठीक नहीं है और रांची के डॉक्टरों ने उन्हें एम्स में इलाज कराने की सलाह दी है, लेकिन जान पर खतरे की बात तो बेहद गंभीर है. अगर तेजस्वी को वाकई ऐसा लगता है तो ये बात भी कोर्ट को बतानी चाहिये. अगर कोर्ट को ऐसा लगेगा तो उसका भी इंतजाम करेगा. ये काम तेजस्वी को मीडिया को बताने से भी पहले करना चाहिये.
लालू का परिवार भी जानता था और आरजेडी नेता भी चाहते थे कि लालू को सजा तो हो लेकिन उतने ही साल की जिससे जमानत मिलने में दिक्कत न हो. मालूम हुआ कि इसके लिए कोर्ट में तमाम तरीके के अनुनय विनय और कानूनी दलीलों के साथ ही जज को भी फोन किये गये. कई बार लालू और जज के बीच बातें बड़ी ही हल्के फुल्के माहौल में हुई. जज ने भी लालू यादव को भरोसा दिलाया, घबराइये नहीं जो भी होगा कानून के हिसाब से ही होगा. हुआ तो वही जो कानून के हिसाब से सही है, लेकिन जिसका डर था बेदर्दी वही बात हो गयी.
अब लालू प्रसाद, उनके परिवार और आरजेडी नेताओं की मुश्किल ये है कि 2019 के आम चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है - और कानूनी लड़ाई के लिए वक्त बहुत ही कम बचा है.
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