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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 24 मार्च, 2020 10:34 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. कुछ स्थानों पर लॉक डाउन (Lockdown) तो कहीं पर कर्फ्यू (Curfew) लोग अपने अपने घरों में रहने को मजबूर हैं. बीमारी कितनी जटिल है, अदांजा इसी से लगा सकते हैं कि पूरे विश्व में 3 लाख से ऊपर लोग इस बीमारी की चपेट में हैं तो वहीं बीमारी 17 से ऊपर लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है. बीमारी को लेकर भारत के भी हालात खराब हैं. 500 से ऊपर लोग यहां कोरोना पॉजिटिव बताए जा रहे हैं. वहीं बीमारी के कारण 10 लोग अपनी जान गंवा (Coronavirus Death in India) चुके हैं. भारत में संक्रमण न फैले इसलिए सरकार की तरफ से लगते प्रयास किये जा रहे हैं और ये सरकार के प्रयास ही हैं जिनके कारण बीते 100 दिन से दिल्ली के शाहीनबाग़ (Shaheenbagh Anti CAA Protest) में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के नाम पर चल रहे धरने को खत्म किया गया है.

Shaheenbagh, Coronavirus, Lockdown, Delhi Police, Twitter  शहीनबाग के धरने ने सोशल मीडिया पर एक नयी बहस का आगाज़ कर दिया है

शाहीन बाग़ के कारण आलोचना का शिकार हो रही दिल्ली पुलिस ने बड़ा कदम उठाते हुए शाहीनबाग़ के धरने को लोगों की परेशानी का सबब बन चुके धरना स्थल से उखाड़ फेंका है.

मामले को लेकर एक बार फिर दिल्ली पुलिस एन्टी सीएए प्रोटेस्टर्स और विपक्ष के निशाने पर है. वो तमाम लोग जो सरकार के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन का समर्थन कर रहे थे उनका इस कार्रवाई को लेकर यही कहना है कि सरकार ने कोरोना वायरस को एक बड़ा हथियार बनाया है और इसके जरिये उन आवाज़ों को दबाने का प्रयास किया है जो मुखर होकर देश की सरकार के विरोध में उठ रही थी.

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीनबाग़ में चल रहे इस प्रोटेस्ट को अन्ना आंदोलन के बाद, एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है इसलिए इसका तूल पकड़ना स्वाभाविक था. मामला सोशल मीडिया पर छाया हुआ है और इसपर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

चूंकि शाहीनबाग़ अब सोशल मीडिया पर शिफ्ट हो गया है तो हमारे लिए भी ये समझना बहुत जरूरी है कि वहां पर विरोध का सुर कैसा है? क्या वहां भी विरोध उतना ही बुलंद है या फिर जैसे जैसे दिन बीतेगा शाहीनबाग वक़्त की भेंट चढ़ जाएगा और फिर कोई इसका नामलेवा नहीं होगा.

पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने इसे आज़ाद भारत का वो मूवमेंट बताया है जिसका उद्देश्य संविधान और लोकतंत्र को बचाना था और जो 100 दिनों से ऊपर चला है. शेरवानी ने शाहीनबाग़ की महिलाओं की तारीफ करते हुए उन्हें सलाम किया है.

पत्रकार राना अय्यूब का शुमार उन लोगों में है जिन्होंने शुरूआती दिनों से शाहीन बाग़ के बाग के धरने का समर्थन किया. राना आज भी प्रदर्शन कर रहे लोगों का समर्थन कर रही हैं. राना ने ट्विटर पर लिखा है कि दोबारा शहीनबाग का निर्माण किया जाए और प्रदर्शन कर रही इन महिलाओं के कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ा हुआ जाए.

तमाम लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस धरने का समर्थन किया है. जिस तरह दिल्ली पुलिस ने बलपूर्वक शहीनबाग और जामिया को खाली कराया है एक बार फिर लोगों को सरकार की आलोचना का मौका मिल गया है.

बताया जा रहा कि जिस वक़्त पुलिस धरना स्थल को खाली करा रही थी उस वक़्त इसका स्थानीय लोगों द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया. मगर क्योंकि दिल्ली पुलिस भी पूरी तरह मुस्तैद थी स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया.

मामले को लेकर जबरदस्त राजनीति की शुरुआत हो गयी है. कम्युनिस्ट पार्टी से जुडी कविता कृष्णन ने इसे एक कायरता पूर्वक काम बताते हुए दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है.

आरजे साएमा का शुमार भी उन लोगों में है जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून पर मुखर होकर सरकार की आलोचना की है. अब जबकि दिल्ली पुलिस ने शाहीनबाग़ के इस धरने को हटा दिया है एक बार फिर साएमा अपने ट्वीट के जरिये सरकार और दिल्ली पुलिस को घेरने का काम किया है.

बता दें कि दिल्ली पुलिस की इस मुहीम को लोगों का समर्थन मिला है. लोगों ने दिल्ली पुलिस को फूल भेंट कर आभार व्यक्त किया है.

जैसा की ज्ञात था इस मामले में भी दिल्ली पुलिस पर तमाम तरह की तोहमत लगेगी हुआ कुछ वैसा ही है. दिल्ली पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि उसने धरने पर बैठी महिलाओं के साथ बदसलूकी की है.

शहीनबाग में धरना कर रहे लोगों की तरफ से ये भी तर्क दिया जा रहा है कि उन्हें पूरी तरह से कोरोना वायरस के खतरे का अंदाजा था और इसलिए धरना स्थल पर एक समय में चार पांच औरतों के ही बैठने की व्यवस्था वहां की गयी थी.

तमाम लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि जैसे ही वायरस जाता है धरने को एक दूसरे लेवल पर लाया जाएगा.

बहरहाल, धरने का सेकंड लेवल क्या होता है? ये हमें आने वाले दिनों में बता चल जाएगा. मगर जिस तरह बीते 100 दिनों से चल रहा ये धरना सोशल मीडिया पर आया है. यूजर्स दो गुटों में बंट गए हैं. एक वर्ग वो है, जिसका मानना है कि जो काम दिल्ली पुलिस ने आज किया वो उसे बहुत पहले कर लेना चाहिए था. वहीं दूसरा वर्ग वो है जिसका एजेंडा स्पष्ट है. ये वर्ग पहले भी सरकार की आलोचना करता था आज भी ये वही कर रहा है और अपनी अपनी छाती पीट रहा है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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