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Updated: 03 फरवरी, 2016 03:16 PM
माजिद नवाज
माजिद नवाज
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दुनिया में कहीं एक मुस्लिम बहुल देश है, जहां एक 15 साल के लड़के ने गलती से धर्मसभा में पूछे गए ‘उल्टे सवाल’ का जवाब देने के लिए अपना हाथ खड़ा कर दिया. सवाल के जवाब में उसे ‘नहीं’ कहना था लेकिन उसने ‘हां’ कहने के लिए अपना हाथ खड़ा कर दिया. लड़के का धर्मगुरू या कह लें उसका ‘मुल्ला’ पूछ रहा था कि ‘आपमें से कौन अपने पैगंबर को प्यार करता है’. लड़के समेत वहां मौजूद सभी लोगों ने अपना हाथ खड़ा कर दिया. इसके बाद मुल्ला ने अगला सवाल किया, ‘वो लोग हाथ खड़ा करें जिन्हें पैगंबर की बातों पर विश्वास नहीं है.’

उस लड़के को लगा कि वह एक बार फिर से पहले ही सवाल का जवाब दे रहा है. लिहाजा, यह सोचते हुए कि उसे पैगंबर से बहुत प्यार है, उसने अपना दाहिना हाथ बड़े गर्व के साथ उठा लिया. जल्द उसे अपनी गलती का एहसास हुआ क्योंकि मुल्ला ने उनसे उल्टा सवाल पूछा था. भरी सभा में उस लड़के को ईशनिंदा का गुनहगार ठहराकर अपमानित किया गया. शर्मसार वह लड़का उस सभा से तुरंत निकल अपने घर जाने लगा. शायद रास्ते भर वह अपनी गलती के बारे में ही सोचता हुआ घर पहुंचा होगा. उसे लग रहा होगा कि हाथ खड़ा करने की गलती ने यह साबित कर दिया कि वह अपने धर्म से भटक गया है. और मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या वह किसी तरह वापस आस्थावान बन सकता है?

इस तनाव भरी मानसिक स्थिति में शायद लड़के को कुरान की वह आयत भी याद आ रही होगी जो कहती है कि फैसले के दिन आस्था कि गवाही इंसान के वे कदम देंगे, जो उसने गलत दिशा में उठाए.

उसे पैगंबर मोहम्मद की कही वह बात भी याद आ रही होगी कि ‘यदि मेरी लड़की फातिमा भी चोरी करते हुए पकड़ी गई, तो मैं उसका हाथ काट दूंगा.’

क्या यही भाव नहीं, जिसके कारण ISIS के एक सदस्य ने धर्म से भटकने पर अपनी मां का भी कत्ल कर दिया था? अब इस लड़के के दिमाग में न जाने क्या चल रहा था कि वह खुद को दोबारा आस्तिक साबित करने के लिए इस समस्या का हल खुद से खोजने का फैसला कर लेता है. इसके बाद जो कुछ हुआ उससे मुझे ज्यादा चोट पहुंचाने वाला, शर्मिंदा करने वाला और अवसाद में डाल देने वाला था. उस लड़के का कृत्य सामूहिक आत्महत्या का प्रतीक है, या कह लें कि उस लड़का के देश ने इस्लाम के नाम पर अपनी बलि चढ़ा दी (Islamicide).

लड़का अपने पिता के वर्कशॉप में गया और उसने वहां रखी घांस काटने की मशीन से अपना दाहिना हाथ काट डाला.

जी हां. पैगंबर के नाम पर उस लड़के ने अपना हाथ काट लिया. बीबीसी को उस लड़के ने बताया, ‘जब अनजाने में मैंने अपना दाहिना हाथ उठा दिया, तब मुझे एहसास हुआ कि मुझसे ईशनिंदा हो गई लिहाजा इसकी भरपाई करना जरूरी था. घर पहुंचने पर मैंने मशीन के पास अंधेरा देखा तो अपने अंकल के मोबाइल फोन की रोशनी में अपना दाहिना हाथ मशीन में डालकर एक झटके में काट दिया.’

इसके बाद खून में लथपथ वह लड़का वापस पैदल चलकर मस्जिद पहुंचा और अपने किए गुनाह के प्रायश्चित में अपना कटा हुआ हाथ मुल्ला के सामने रख दिया. इसके बाद लड़के ने कहा कि जिस हाथ से पाप हुआ हो, उसको कट ही जाना चाहिए.

मुल्ला ने लड़के को देखते ही उसे आशिक करार दिया- पैगंबर को सच्चे दिल से चाहने वाला. उसके प्रायश्चित का ये तरीका उसके और आसपास के सभी गांवों में विख्यात हो गया. उसके घर पर पड़ोसियों का तांता लगा हुआ है, सभी एक एक कर उसके कटे हुए हाथ को चूम रहे हैं और उसकी जेब में कुछ पैसा डाल दे रहे हैं. वहां आने वाले लोगों का कहना था कि वे ऐसे लड़के से मिलने चाहते थे जो पैगंबर के लिए अपने हाथ की बलि दे चुका है.

यह सबकुछ उसने महज इसलिए किया क्योंकि वह अपने मुल्ला को खुश करना चाहता था.

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बहरहाल, इस लड़के के इसी उत्साही और अशांत देश की राजधानी में एक कानून प्रस्तावित है जो बाल विवाह को गैरकानूनी करार देगा. लेकिन इसी बड़े शहर में ऐसे मुल्ला माफियाओं की बड़ी फौज है जिनकी सोच भी गांव के उस मुल्ला जैसी ही है जो शिष्य के हाथ काटने का जश्न मनाते हैं. यह मुल्ला माफिया कम उम्र की लड़कियों के लिए जन्नत का शुक्रगुजार है.

सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग के नेता मार्वी मेमन उन लोगों के खिलाफ सख्त सजा लाने की कोशिश कर रहे थे जो नाबालिग लड़कियों से शादी करते हैं और इसके साथ ही शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय कराना चाहते थे.

अब 2016 में आपको लग सकता है कि इस पर विवाद नहीं होगा. लेकिन इस देश में ईशनिंदा का आरोप लगने का एक बड़ा डर रहता है क्योंकि आरोप लगाने वाले के पास इतनी ताकत है कि उसे बस किसी को धमकाने भर की जरूरत है. इस मामले में भी ठीक ऐसा ही हुआ.

देश के काउंसिल ऑफ इस्लामिक आईडि‍योलॉजी ने घोषणा कर दी कि नाबालिग लड़कियों से शादी को गैरकानूनी घोषित करना पैगंबर मोहम्मद का अपमान होगा, क्योंकि उन्होंने खुद 9 साल की लड़की आइशा से शादी की थी.

मुल्लाओं ने सर्वसम्मति से बाल विवाह रोकने के इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए घोषणा कर दी कि इस कानून का समर्थन करने वाला ईशनिंदा का गुनाह करेगा. अंत में काउंसिल के चेयरमैन मोहम्मद खान शीरानी ने बयान दिया कि देश की पार्लियामेंट ऐसे कानून को नहीं बना सकती जिसकी इजाजत कुरान या सुन्ना नहीं देती.

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मई 2014 में काउंसिल ने एक बार फिर कहा कि यदि 9 साल कि लड़की जिसमें व्यस्क होने के लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाएं तो उससे शादी करने की कानूनन इजाजत है. आपको याद दिला दें कि सत्तारूढ़ दल के जिन नेताओं ने इस कानून का प्रस्ताव दिया था, उन्हें प्रस्ताव वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया गया.

मुल्ला माफियाओं की एक बार फिर जीत हुई. इस्लाम के लिए यह महान फतेह थी. बच्चों से शादी करना इस्लाम में जायज है. कोई शक नहीं कि इस पर सवाल उठाना ईशनिंदा है और इसकी सजा मौत.

वह लड़का लाहौर शहर के ठीक बाहर रहता था. देश की राजधानी इस्लामाबाद है. पाकिस्तान 2016 में आपका स्वागत है. एक देश जो इस्ला म के नाम पर बलि चढ़ रहा है (Islamicide).

पाकिस्तान, मैं तुम्हारा कैसे शोक मनाऊं. किसी समय में तुम दक्षिण एशिया की शान और उम्मीद थे. मुहम्मद अली जिन्ना ने तुम्हें खोजने के लिए लड़ाई लड़ी, ‘एक ऐसा देश बनाया, जहां मुस्लिम की पहचान मुस्लिम और हिंदू की पहचान हिंदू के रूप में न हो, लेकिन धार्मिक आधार पर नहीं. उस देश के नागरिक के आधार पर.’ लेकिन आज तो तुम्हारे सुन्नी आतंकी ईशनिंदा के आरोप में ‘विधर्मी’ शिया जिन्ना का भी कत्ल कर रहे होते.

जिस तरह सभी सड़े हुए गैंगस्टर लोगों को डराकर ताकत बटोरते हैं, उसी तरह हर नई जीत के साथ पाकिस्तान के मुल्ला माफिया अपनी जड़ें फैला रहे हैं. ईशनिंदा की उनकी परिभाषा का दायरा बढ़ता ही जा रहा है, जिसकी शुरुआत बेइज्जती से होते हुए विधर्मी संप्रदाय जैसे शिया और अहमदियों तक पहुंचता है. और बाल यौन शोषण को संरक्षण दे रहे है.

सभी खुश हैं. मुल्ला माफिया अजेय है. उनका अपमान करना पैगंबर का अपमान करने जैसा ही है. और सबसे दयालू ईश्वकर का अपमान करने वाला तो मौत का ही हकदार है. इतना जरूर है कि इन सबका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है.

शायद 1974 में ही सब कुछ खत्म हो गया था जब प्रगतिशील नेता जुल्फीकार अली भुट्टो, मरहूम बेनजीर भुट्टो के पिता, ने मुल्ला माफियाओं से हार मानते हुए पाकिस्तान के कानून में फिरकापरस्तीै को मान्यता दे दी थी और जिसके बाद अहमदी संप्रदाय को काफिर घोषित कर दिया गया था. लेकिन 1977 में अंत ही हो गया, जब जनरल मुहम्मद जिया उल हक ने सत्ता पर काबिज होने के लिए अपने विरोधियों का सफाया इस्लाम का सहारा लेकर किया और सदियों पुराने सरेआम कोड़ा मारने के कानून को फिर से लागू कर दिया.

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इस खत्मेा पर अंतिम मोहर 2007 में लगी जब जेहादी आतंकियों ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का कत्ल कर दिया.

या फिर 2011 में मेरी बचीखुची उम्मीद तब खत्म हो गई जब पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर को ईशनिंदा के आरोपों के चलते उन्हीं के सुरक्षाकर्मी ने गोली मार दी थी. या फिर जब उसी साल अल्पसंख्यकों के मंत्री शाहबाज भाटी को उन्हीं कारणों से कत्ल कर दिया गया था.

हम सब जो अभी तक उस सेक्युलर पाकिस्तान की याद को अपने गले से लगाए बैठे हैं, के लिए अब उम्मीद छोड़ देने का वक्त आ गया है.

लेकिन फिर मैं इस लड़के के बारे में सोचता हूं. मैं उन सभी लड़कियों के बारे में सोचता हूं जिनकी कम उम्र में शादी हुई है, उन सभी लोगों को सोचता हूं जिनके चेहरे तेजाब से जले हैं और साहस से भरी उन सभी आवाजों- सैनिक और नागरिक- के बारे में सोचता हूं जिन्होंने इस पागलपन के खिलाफ लड़ाई में अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी है, जब मैं कत्ल किए गए गवर्नर सलमान तासीर के बेटे शाहबाज तासीर और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ गिलानी के बेटे अली हैदर, जिनका फिरौती के लिए अपहरण हुआ है और अभी तक लापता हैं, के बारे में सोचता हूं तो मेरा साहस बिखर जाता है.

जब मैं लिबर्टी चौक पर प्रदर्शनकारियों को हर बड़े आतंकी हमले के बाद मोमबत्ती जलाते देखता हूं, जब मैं साहस से भरी पाकिस्तान की वह नई आवाज सुनता हूं जो कट्टरपंथियों के विरोध में उठ रही हैं, जब मैं फोटोग्राफ में मलाला के बाईं ओर के लकवाग्रस्तट चेहरे को देखता हूं तब वह पलटकर मुझे देख रही होती है. और मैं तनावों के बावजूद मजबूर हो जाता हूं यह कहने के लिए- पाकिस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान अमर रहे.

लेखक

माजिद नवाज माजिद नवाज @maajidnawazfanpage

लेखक ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट, लेखक, स्‍तंभकार हैं.

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