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Updated: 08 सितम्बर, 2017 07:37 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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यू-टर्न वाली सियासत ट्विटर पर भी पहुंच गयी है. अब तक देखने को मिला है कि अनाप-शनाप बोल देने के बाद कई नेता अक्सर पलट जाते हैं - और बाद में बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की तोहमत मीडिया पर मढ़ देते हैं. ट्विटर पर भी कुछ लोग विवाद खड़ा होने पर अपनी पोस्ट डिलीट करते देखे गये हैं.

दिग्विजय सिंह ऐसा ही एक ट्वीट कर फंस गये तो बहाने बनाने लगे. दिग्विजय सिंह ने गाली लिखा एक फोटो ट्वीट किया और जब ट्रोल होने लगे तो सफाई भी वैसे ही देने की कोशिश की जैसे उनकी बात को तोड़ मरोड़ कर समझा जा रहा है. हालांकि, ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फॉलो करने को लेकर बीजेपी की ओर से जो सफाई दी गयी वो भी किसी के गले नहीं उतरी.

दिग्विजय के बोल और बहाने

ये ट्वीट करते हुए दिग्विजय सिंह ने पहले ही साफ कर दिया था कि ये तस्वीर उनकी नहीं है. 'उस शख्स से मैं माफी मांगता हूं', ये लिखने के बाद दिग्विजय ने लिखा - वो मूर्ख बनाने की कला में बेस्ट हैं.

दिग्विजय के ये ट्वीट करते ही ट्विटर पर बवाल मच गया और #GaaliWaliCongress ट्रेंड करने लगा. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तो कह दिया कि दिग्विजय सिंह बेरोजगार हो गये हैं इसलिए चर्चा में बने रहने के लिए ये तरीका अपना रहे हैं.

जब दिग्विजय ने देखा कि दांव उल्टा पड़ गया तो सफाई देने लगे. कांग्रेस नेता ने कहा, 'मुझे मेरे ट्वीट को लेकर बिलावजह दोषी माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि मैंने पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया.' दिग्विजय ने ये भी साफ करने की कोशिश की कि उन्होंने तस्वीर पर पीएम मोदी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है.

digvijay singh tweetsसफाई दर सफाई...

सफाई देने के क्रम में ही दिग्विजय ने गौरी लंकेश की हत्या को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश भी की. दिग्विजय ने कहा प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के हर मुद्दे पर ट्वीट करते हैं लेकिन गौरी लंकेश पर एक शब्द भी नहीं बोले. दिग्विजय का कहना है कि उन्होंने जिस शब्द का इस्तेमाल किया है वो अमूमन मूर्ख बनाने के लिए इस्तेमाल होता है. दिग्विजय सिंह के ट्वीट में जिस शब्द का इस्तेमाल हुआ है वो गाली की ही कैटेगरी में आता है. दिग्विजय की दलील एक ही हिसाब से फिट बैठती है जिसकी बोलचाल की भाषा गालियों से भरी पड़ी हो वहां शब्दों के मायने बदल ही जाते हैं. दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेता का ये तर्क बचकाना ही लगता है - चाहे वो अपनी सफाई में कुछ भी कहते रहें.

digvijay singh, narendra modiट्विटर पर दिग्विजय का यू टर्न...

आखिरकार दिग्विजय वर्चुअल वर्ल्ड से रियल वर्ल्ड में आये ओर मीडिया में आकर सफाई दी. दिग्विजय ने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ भी अपशब्द नहीं कहा. मैंने सिर्फ कहा कि वह मूर्ख बनाने की कला में महारथी हैं,' और पूछा - 'क्या यह अपमानजनक है?'

इसके साथ ही दिग्विजय ने रीट्वीट का मतलब भी समझाया, 'ट्विटर का बेसिक प्रिंसिपल है कि रीट्वीट का मतलब उसका समर्थन करना नहीं होता. मैंने बस रीट्वीट किया.'

लेकिन इस मामले में दिग्विजय सिंह अकेले नहीं हैं. ट्विटर पर मोदी जिन लोगों को फॉलो करते हैं उनके बारे में बीजेपी की ओर से भी ऐसा ही बयान आया है.

उनका गर्व तो चूर-चूर हो गया

गौरी लंकेश की हत्या के बाद ट्विटर ट्रेंड #BlockNarendraModi को लेकर बीजेपी की सफाई भी काफी कुछ वैसी ही है जैसी बातें दिग्विजय सिंह कर रहे हैं. निखिल दधीच ने गौरी लंकेश को लेकर बेहद आपत्तिजनक ट्वीट किया था और पता चला कि उन्हें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फॉलो करते हैं. इसके बाद ही ट्विटर पर मोदी के खिलाफ ट्रोल शुरू हो गया.

इस बारे में बीजेपी की आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक बयान में बताया गया कि प्रधानमंत्री द्वारा किसी को फॉलो करना कोई कैरेक्टर सर्टिफिकेट नहीं है.

बीजेपी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री का ट्विटर पर किसी को फॉलो करना उस व्यक्ति का कैरेक्टर सर्टिफिकेट नहीं है और किसी भी तरह से इस बात की गारंटी नहीं है कि वह व्यक्ति कैसा बर्ताव करेगा. कहा गया - प्रधानमंत्री एकमात्र नेता हैं जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों के साथ खुल कर संवाद करते हैं.

हो सकता है उन लोगों को निराशा हुई हो जो लोग अपने प्रोफाइल में गर्व से कहा करते हैं कि प्रधानमंत्री उन्हें फॉलो करते हैं. समझाने के लिए कुछ भी चलेगा. चाहे बीजेपी फॉलो का मतलब समझाये या फिर दिग्विजय सिंह रीट्वीट का. लेकिन राहुल गांधी के किसी ट्वीट को जब दिग्विजय रीट्वीट करते हैं तब भी क्या सामने आकर कहेंगे कि वो उनका समर्थन नहीं करते! प्रधानमंत्री मोदी के बारे में जो भी कहें, खुद दिग्विजय सिंह लोगों को मूर्ख बनाने की कला में किसी से कम लगते हैं क्या?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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