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Updated: 13 जनवरी, 2020 08:00 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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2017 में उत्तर प्रदेश में जब योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) ने सत्ता संभाली कानून व्यवस्था (Law and Order in UP) एक बड़ी चुनौती थी. गुज़रे तीन सालों में योगी आदित्यनाथ ने यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर भांति भांति के प्रयोग किये और शायद यही वो कारण है जिसके अंतर्गत यूपी में पहली बार पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Police Commissioner System) लागू हुआ है. ध्यान रहे कि यूपी में पहली बार पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Commissioner System in UP) लागू करने को योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंजूरी दे दी है. फिलहाल दो शहरों नोएडा और लखनऊ (Noida and Lucknow to have Commissioner System) में ये सिस्टम लागू किया जाएगा. ऐसा बिलकुल नहीं है कि ये सिस्टम यूपी में यूं ही लागू कर दिया गया. इसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी. बता दें कि यूपी में योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के फौरन बाद इस सिस्टम के लिए कवायद शुरू मगर ये ब्यूरोक्रेसी का दबाव था कि इसे अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका.

योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश पुलिस, कमिश्नर, लखनऊ, Yogi Adityanath माना जा रहा है कि कमिश्नर सिस्टम के बाद यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार होगा

बात अगर इस नए सिस्टम की हो तो इसपर सरकार का यही तर्क है कि इससे बेहतर और स्मार्ट पुलिसिंग को बल मिलेगा. साथ ही सरकार ने ये भी कहा है कि इस सिस्टम के लागू होने के बाद अपराध को बेहतर ढंग से नियंत्रित किया जाएगा.

माना जा रहा है कि इस सिस्तम के बाद पुलिस के अधिकारों में इजाफा होगा और उसे बल मिलेगा. चूंकि अभी नोएडा और लखनऊ में इस सिस्टम को लागू किया गया है. तो ये कहना भी हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि इन दोनों ही जिलों में इस सिस्टम को लागू करके योगी आदित्यनाथ ने एक टेस्ट की शुरुआत की है. शायद योगी ये समझना चाह रहे हों कि इसका असर क्या होता है.

पहले कमिशनर के लिए क्यों हुआ नोएडा का चयन

एनसीआर क्षेत्र होने के कारण हमेशा से ही उत्तर प्रदेश के सामने नोएडा का एक अलग मर्तबा रहा है. बात अगर यहां होने वाले अपराध की हो तो जैसा यहां का माहौल है. यहां होने वाला अपराध न सिर्फ उत्तर प्रदेश को बल्कि राजधानी दिल्ली तक को प्रभावित करता है और मीडिया के गलियारों में भी खूब सुर्खियां बटोरता है.

क्योंकि इंडस्ट्री और बिज़नस के लिहाज से नोएडा एक बड़ा हब है, इसलिए उत्तर प्रदेश के बाकी शहरों के मुकाबले यहां अपराध का ग्राफ थोड़ा ऊपर है. इस बात के बाद ये खुद ब खुद स्पष्ट हो जाता है कि नोएडा में अपराध करने वाले अपराधियों की मोडस ऑपरेंडी अलग रहती है. यानी यहां का लॉ एंड आर्डर लंबे समय से उत्तर प्रदेश के शासन के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है.

अब जबकि नोएडा में कमीशन सिस्टम लागू होने वाला है तो साफ़ है कि यहां पुलिस और कानून व्यवस्था के बीच में कोई नहीं आएगा जिस कारण बढ़ते हुए अपराध में लगाम लगेगी.

कमिशनर सिस्टम के लिए लखनऊ का चयन तो होना ही था.

लखनऊ यूपी की राजधानी तो है ही साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र भी है. लखनऊ में ये सिस्टम लागू किया जाना क्यों जरूरी था इसे हम बीते दिनों CAA protest के दौरान हुए बवाल से भी समझ सकते हैं. CAA protest के दौरान कैसे उपद्रवियों ने पुलिस की मौजूदगी में तांडव मचाया वो हमारे सामने हैं. चौकियों को आग के हवाले किया गया पुलिस के वाहनों को जलाया गया.

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में तक पुलिस इसलिए भी कुछ नहीं कर पाई क्योंकि कहीं न कहीं उसके हाथ बंधे हुए थे. लखनऊ पुलिस को इतनी जगह से डायरेक्शन मिल रहे थे कि उसके लिए उन निर्देशों में काम करना वाकई बड़ा मुश्किल था.

अब जबकि स्वयं योगी आदित्यनाथ ने इन सारी बातों का संज्ञान लिया है तो कहा ये भी जा सकता है कि कहीं न कहीं इस फैसले के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जनता और विपक्ष दोनों को लखनऊ पुलिस का पॉवर दिखाना चाह रहे हैं.

खैर अब जबकि अपराध ख़त्म करने के लिए योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा फैसला ले ही लिया हो तो सूबे के मुखिया के इस फैसले के बाद कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि जब योगी आदित्यनाथ इस बात को जानते थे कि जो सिस्टम अभी है उसमें समन्वय की कमी थी जो ये व्यवस्थागत बदलाव पहले क्यों नहीं किया गया. आखिर क्यों सरकार ने इस चीज को पहले कभी गंभीरता से नहीं लिया.

इसके अलावा जिस तरह बीते दिनों यूपी में एसएसपी सिस्टम की खामियां उजागर हुईं और कई बड़े नाम हमारे सामने आए उसने भी इस बात की तस्दीख कर दी कि पुलिस का मौजूदा सिस्टम तमाम खामियों से भरा था और अपराध को नियंत्रित करने में नाकाम हैं. और एक ऐसे वक़्त में जब यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हों यूपी में इस सिस्टम की बड़ी जरूरत थी और ये फैसला बिलकुल सही समय पर लिया गया है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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