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Updated: 13 फरवरी, 2023 08:57 PM
अशोक भाटिया
अशोक भाटिया
 
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राजस्थान (Rajasthan) में चुनावी साल होने के चलते सियासत गर्म है. भाजपा और कांग्रेस चुनावी मोड में आ रही है, इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Modi) एक बार फिर राजस्थान रविवार को राजस्थान में आना हुआ. माना जा रहा है कि जैसे सूरज पूर्व में उदय होता है, विधानसभा चुनाव में भी सुशासन का सूरज पूर्वी राजस्थान भरतपुर से ही उदय होगा और भाजपा का कमल पूरी शान से खिलेगा’ राजस्थान भाजपा के मुखिया सतीश पूनिया ने हाल ही में भरतपुर में भाजपा की कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए यह बयान दिया.

राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसको लेकर दोनों ही मुख्य राजनीतिक पार्टियां जोर आजमाइश कर रही है जहां कांग्रेस सरकार अपनी योजनाओं और बजट को मास्टरस्ट्रोक मान रही है वहीं भाजपा रणनीतिक तौर पर सूबे की सत्ता फिर से हासिल करने में जुट गई है.राज्य में पार्टियों के दिल्ली नेताओं के दौरे और जनसभा का दौर शुरू हो गया है जहां देखा जा रहा है कि भाजपा का फोकस इस बार पूर्वी राजस्थान में गढ़ फतह करने पर है.

इसी कड़ी में पूर्वी राजस्थान के दौसा जिले में 12 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम हुआ. वहीं इस महीने के आखिर में अमित शाह भी भरतपुर आ सकते हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी के दोनों बड़े नेताओं का दौरा इसी महीने होना है ऐसे में भाजपा पूर्व में कांग्रेस के वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी करना चाहती है.

बता दें कि भरतपुर संभाग की सभी सीटों पर कांग्रेस का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है और यह कांग्रेस का गढ़ बन चुका है.साल 2018 के चुनावों की बात करें तो संभाग की 19 सीटों में से एक सीट धौलपुर शहर भाजपा के खाते में गई थी.वहीं अब धौलपुर से विधायक शोभारनी कुशवाहा भी गहलोत सरकार के साथ है. ऐसे में भरतपुर संभाग में इस बार समीकरण बदलने की कवायद के साथ भाजपा करीब 9 महीने पहले ही यहां पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है.बीते रविवार को भरतपुर दौरे पर पहुंचे सतीश पूनिया ने कार्यकर्ताओं को भी कहा कि हर हाल में संभाग को फतह करना होगा जिसके लिए अभी से कमर कस लो.

Delhi Mumbai Expressway, Delhi Mumbai Expressway Rajasthanइस एक्सप्रेसवे को ना सिर्फ आर्थिक विकास बल्कि सियासी फसल के तौर पर भी देखा जा रहा है

हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा दौसा जिले में हुई और वे दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे के सोहना-दौसा खंड का उद्घाटन करने पहुंचे, लेकिन अब राजनीति में हर बयान के अपने मायने होते हैं. ऐसे में दौसा में प्रधानमंत्री की सभा का असर होना निश्चित है.दरअसल दौसा जिले की सीमा भरतपुर से लगती है ऐसे में सभा से भाजपा पूरे पूर्वी हिस्से को एक बड़ा सियासी संदेश देना चाहती है. प्रधानमंत्री मोदी की सभा में दौसा, जयपुर, सवाईमाधोपुर, करौली, टोंक, अलवर, भरतपुर, धौलपुर एवं जयपुर ग्रामीण आदि जिलों से लोग पहुंचे.

गौरतलब है कि भरतपुर संभाग से भाजपा के खाते में 19 में से 1 सीट आई थी जहां वह भी अब बगावत के चलते कांग्रेस की झोली में चली गई है.2017 में हुए उपचुनाव में धौलपुर शहर की सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी लेकिन वर्तमान में वहां की विधायक को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है.विधानसभा के हिसाब से देखें तो पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, टोंक, सवाई माधोपुर, दौसा में 39 विधानसभा सीटें हैं जहां 2013 में भाजपा को सर्वाधिक 28 सीटें मिली थी और कांग्रेस को 7, डॉ. किरोड़ीलाल

प्रधानमंत्री मोदी यह दौरा राजस्थान के दौसा में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लोकार्पण के लिए आ रहे हैं.प्रधानमंत्री का ये दौरा वैसे तो सरकारी दौरा है, लेकिन भाजपा इसका पूरा राजनीतिक फायदा लेने की तैयारी में है.प्रधानमंत्री मोदी जिस इलाके में आ रहे हैं, वो मीणा बाहुल्य है. राजस्थान में मीणा जाति को मार्शल कौम माना जाता है और इसके राजनीतिक दबदबे को सीधे तौर पर इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य की कुल पच्चीस लोक सभा सीटों में से करीब 10 सीटों पर मीणा वोट निर्णायक साबित होते हैं.राजस्थान के कद्दावर मीणा नेता और भाजपा के राज्य सभा सांसद डॉ.किरोड़ी लाल मीणा खुद जिले-जिले घूमकर अपने समाज के लोगों को प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में पहुंचने का न्यौता दे रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी के इस सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को सीधे इसी बात से समझा जा सकता है कि पिछले तीन महीनों में प्रधानमंत्री मोदी का ये चौथा राजस्थान दौरा होगा.इससे पहले प्रधानमंत्री ने राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर के मानगढ़ धाम पहुंचकर आदिवासी समाज और उसके बाद भीलवाड़ा के आसीन्द में गुर्जर समाज के बीच जाकर उनके धार्मिक आयोजन से जुड़कर बड़ा संदेश दिया था.लेकिन, कांग्रेस को प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से कोई राजनीतिक फ़ायदा होता नहीं दिख रहा.

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का दावा है कि उनकी सरकार अपनी लोक कल्याणकारी योजनाओं के दम पर सत्ता में वापसी करेगी.कांग्रेस भले ही अपनी सरकार की वापसी का दावा करे, लेकिन सच्चाई यही है कि प्रधानमंत्री मोदी के पूर्वी राजस्थान के दौरे से मीणा वोट बैंक का भाजपा की तरफ़ रुझान होगा.खुद मीणा समाज के लोग प्रधानमंत्री के दौसा दौरे को लेकर खासे उत्साही हैं.

गौरतलब है कि दिल्ली से मुबंई के बीच बन रहे एक्सप्रेसवे का सोहना दौसा स्ट्रेच 12 फरवरी 2023 से आम लोगों के लिए खोल दिया गया है .बता दें सोहना दौसा स्ट्रेच के बनने से दिल्ली से जयपुर के बीच की दूरी लगभग 2 घंटे में तय हो जाएगी.हरियाणा के सोहना से राजस्थान के दौसा तक है ये सड़क नई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का पहला खंड हरियाणा के सोहना से राजस्थान के दौसा तक है.जिसकी दूरी लगभग 270 किलोमीटर की है. बता दें कि पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इसका उद्घाटन 4 फरवरी को ही किया जाना था लेकिन बाद में इसकी तारीख को बदल कर 12 फरवरी कर दिया गया.

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 फरवरी को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के सोहना दौसा स्ट्रेच का उद्घाटन किया गया. इससे भी जरुर राजस्थान में भाजपा का समर्थन बढ़ने वाला हैं.

भाजपा के पक्ष में माहौल इस कारण भी बन रहा है कि अब तक गहलोत-पायलट विवाद के बाद कांग्रेस सरकार पर आए संकट के दौरान वसुंधरा पूरी तरह चुप थीं.अब वे इस मामले में एक्टिव दिख रही हैं. इसकी बड़ी वजहें हो सकती हैं. पहली भाजपा की सहयोगी पार्टी रालोपा के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने आरोप लगाए थे कि वसुंधरा गहलोत सरकार को बचाने की कोशिश कर रही हैं.

कुछ भाजपा नेताओं ने भी इन आरोपों को हवा दी. वसुंधरा इन आरोपों को लेकर नाराज हैं और इसको लेकर पार्टी नेतृत्व से दो टूक बात करना चाहती हैं.वसुंधरा खेमे में 45 से ज्यादा विधायक बताए जाते हैं. ऐसे में आलाकमान उनकी उपेक्षा नहीं कर सकता है.

वसुंधरा की नाराजगी का असर यह हो सकता है कि भाजपा में उनके विरोधी धड़े को शांत रहने को कहा जा सकता है. आगे की रणनीति की कमान वसुंधरा के हाथ में आ सकती है.जिसके बाद बहुत कुछ उनके रुख पर निर्भर होगा. दूसरी राजस्थान के इस पूरे सियासी संकट से वसुंधरा इसलिए दूर रहीं, क्योंकि पार्टी आलाकमान ने उन्हें विश्वास में नहीं लिया.

पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ वसुंधरा के मतभेद जगजाहिर हैं. गहलोत सरकार गिरने की स्थिति में मुख्यमंत्री पद के लिए जिन नामों की चर्चा चल रही थी, उनमें वसुंधरा का नाम नहीं था. पायलट के साथ कम विधायक टूटने और गहलोत की आक्रामक रणनीति के चलते अभी भी यह साफ नहीं कि कांग्रेस सरकार गिर ही जाएगी. जिसके कारण भाजपा आलाकमान ने अपनी रणनीति बदल ली.

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि वसुंधरा की सक्रियता की वजह यह भी हो सकती है कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें इशारा कर दिया हो कि गहलोत सरकार गिरने पर वे मुख्यमंत्री होंगी.

अब इस एक्सप्रेसवे पर किस दल की सियासी गाड़ी सरपट दौड़ेगी उसका गवाह बनने के लिए नतीजों की इंतजार करना होगा.लेकिन इस एक्सप्रेसवे को ना सिर्फ आर्थिक विकास बल्कि सियासी फसल के तौर पर भी देखा जा रहा है.

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लेखक

अशोक भाटिया अशोक भाटिया

अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक एवं टिप्पणीकार पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड – 2023 से सम्मानित, वसई पूर्व - 401208 ( मुंबई ) फोन/ wats app 9221232130 E mail – vasairoad.yatrisangh@gmail।com

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