धारा 370 पर मोदी की सफाई और ईद की बधाई के बीच कई सस्पेंस बाकी है!
राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अग्रिम बधाई दी है और जो लोग बाहर से त्योहार पर घर लौटना चाहते हैं, उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन भी. जो सवाल जम्मू-कश्मीर के लोगों के मन में घूम रहा होगा, प्रधानमंत्री ने उस पर भी तस्वीर साफ करने की कोशिश की है.
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पहले बताया गया कि प्रधानमंत्री चार बजे राष्ट्र के नाम संदेश देंगे. फिर अचानक समय 8 बजे हो जाने की जानकारी आयी. फिर क्या था हर कोई अपने अपने तरीके से कयास लगाने लगा. हर किसी के मन में एक बार 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की याद ने सिहरन ला दिया.
हालांकि, ये भी कयास रहा कि मुद्दा धारा 370 का ताजा ताजा है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का का संदेश जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए हो सकता है. हुआ भी यही.
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को ईद की अग्रिम बधाई दी - और पूरे देश की तरह ही तरक्की और अच्छे दिन लाने का भरोसा दिलाया. लगे हाथ, धारा 370 पर केंद्र की बीजेपी सरकार के फैसले पर सफाई भी दी, लेकिन पूरी तस्वीर साफ नहीं की.
धारा 370 पर मोदी ने दी सफाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए था. इसलिए भी क्योंकि धारा 370 को खत्म किये जाने के बाद लोगों के मन में काफी सवाल होंगे और उस पर प्रधानमंत्री की ओर से आश्वस्ति की महती जरूरत रही भी.
संदेश जम्मू-कश्मीर को लेकर रहा लेकिन प्रधानमंत्री के निशाने पर परिवारवाद की राजनीति ही रही. खास बात ये है कि ये पूरे देश के साथ साथ जम्मू-कश्मीर के मामले में भी काफी सूट करता है. जैसे देश में प्रधानमंत्री एक परिवार के शासन की बात करते हैं, वैसे ही जम्मू-कश्मीर में दो-तीन परिवारों के बीच ही राजनीति सिमट कर रह जाती है.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'दशकों के परिवारवाद ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं को नेतृत्व का अवसर ही नहीं दिया. मैं नौजवानों, वहां की बहनों-बेटियों से आग्रह करूंगा कि अपने क्षेत्र के विकास की कमान खुद संभालें.'
जम्मू-कश्मीर के मामले में परिवारवाद की राजनीति से प्रधानमंत्री मोदी का आशय मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार से रहा - महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला. ये तीनों ही नेता जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
धारा 370 को लेकर अब तक कांग्रेस से लेकर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता जिस तरह जम्मू-कश्मीर के लोगों को समझाया करते रहे, प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी बातों को पलट कर अपने तरीके से समझाने की कोशिश की. प्रधानमंत्री मोदी धारा 370 खत्म होने के बाद इतने सारे फायदे गिना डाले कि लोगों को लगने लगे कि अब तक उसकी वजह से वे कितना नुकसान उठाते रहे.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पहले की सरकारें भी ये दावा नहीं कर पाती थीं कि उनका कानून जम्मू कश्मीर में भी लागू होगा. उन कानूनों के लाभ से जम्मू-कश्मीर के लोग वंचित रह जाते थे. शिक्षा के अधिकार का जो लाभ पूरे देश को मिलता रहा है, जम्मू कश्मीर के बच्चे अब तक वंचित थे.'
जम्मू-कश्मी का का UT स्टेटस अस्थाई तो है, लेकिन कब तक?
बहुत सारी अच्छी अच्छी बातों के बावजूद प्रधानमंत्री ने एक ऐसी बात भी कही, जिससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि बीजेपी नेतृत्व को धारा 370 खत्म किये जाने से भी ज्यादा जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित क्षेत्र घोषित किया जाना लोगों को नागवार गुजर सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को पक्का यकीन दिलाने की कोशिश की कि नयी व्यवस्था से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं जम्मू- कश्मीर के लोगों विश्वास दिलाता हूं आगे भी जनप्रतिनिधि आपके बीच से ही चुने जाएंगे. विधायक आपके बीच से ही होगा, CM आपके बीच से ही होगा.'
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि जब से सूबे गवर्नर शासन लगा है जम्मू-कश्मीर का प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के संपर्क में है - और अब ये केंद्र की जिम्मेदारी है कि जम्मू कश्मीर के लोग भी वैसे ही तरक्की करें जैसे पूरे देश के लोग करते हैं - और उन्हें भी वैसी ही सुविधाएं मिलें जैसे देश के बाकी हिस्सों के लोगों को मिला करती हैं.
साथ ही, प्रधानमंत्री ने मोदी ने जम्मू-कश्मीर को UT कैडर में तब्दील किये जाने को लेकर बड़ी ही सावधानी से सरकार के पक्ष को भी रखा, 'केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के साथ कुछ कालखंड के लिए जम्मू कश्मीर को सीधे केंद्र सरकार के शासन में रखने का फैसला बहुत सोच समझकर लिया है.'
राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री का ये कहना कि जम्मू-कश्मीर को एक स्पेशल स्टेटस वाले राज्य से UT कैटेगरी में बदलने की व्यवस्था स्थाई नहीं है - बल्कि, वो महज 'कुछ कालखंड' के लिए ही है.
लेकिन, ये 'कुछ कालखंड' कितना छोटा या लंबा होगा - प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारे में कोई भी संकेत या ऐसी कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया.
पीएम मोदी के वादे कश्मीरियों को कितना लुभाएंगे?
राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में धारा 370 के खात्मे के बदले कुछ वादे ही तोहफे के रूप में राज्य की जनता दिये. सवाल ये है कि क्या क्या ये वादे लोगों को संतुष्ट कर पाएंगे?
1. पुलिस और अन्य कर्मचारियों को अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारियों के समान लाभ दिलाएंगे.
2. सेना-अर्धसैनिक बलों के लिए भर्ती रैलियां होंगी.
3. राज्य के रिक्त पदों को स्थानीय नौजवानों से भरेंगे.
4. केंद्र सरकार और प्रायवेट सेक्टर की बड़ी कंपनियों को रोजगार के अवसर देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
5. सरकार द्वारा प्रधानमंत्री स्कॉलरशिप योजना का विस्तार मिल सके.
6. जम्मू-कश्मीर के राजस्व घाटे को कम करने के उपाय करेगी.
7. पहले की तरह ही विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री चुने जाएंगे.
8. 1947 में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को राज्य के चुनाव में मतदान करने के अधिकार मिल सकेंगे.
9. ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के गठन का काम किया जाएगा, जो कि दशकों से लंबित है.
10. हिंदी, तेलुगू और तमिल फिल्म इंडस्ट्री से कश्मीर में निवेश करने का आग्रह.
11. लद्दाख में पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियां संजीवनी की तरह हैं. इनको दुनिया भर में बिकना चाहिए.
मोदी का भाषण कश्मीरियों को अच्छे दिन दिखा रहा है
मोदी के भाषण में सबसे ज्यादा इस्तेमाल शब्दों का विश्लेषण उनके इरादे जाहिर करता है: जम्मू-कश्मीर (69), लेह लद्दाख (28), विकास (19), पंचायत (10), आर्टिकल 370 (9), सुरक्षा (8), युवा (8), रोज़गार (5), पाकिस्तान (5), वंचित (4), अलगाववादी (4), ईद (4), आतंकवाद (4), शांति (4), बीआर अंबेडकर (3), शहीद (3), परिवार (2), पटेल (1), श्यामा प्रसाद मुखर्जी (1), हिंसा (1), श्रीनगर (1), संविधान (1)
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में सेना की तैनाती को लेकर कुछ नहीं कहा, और यही सबसे बड़ा सस्पेंस है.
सस्पेंस यही है कि कर्फ्यू में ढील और नेताओं की रिहाई कब तक?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में इस बात का कोई इशारा नहीं किया कि कश्मीर में सेना की सख्त तैनाती कब तक रहेगी? कब तक कश्मीर के नेता हिरासत में रहेंगे? इंटरनेट और टेलीफोन सेवाओं की बहाली कब होगी?खैर, एक प्रधानमंत्री के नाते इतनी बारीकी की उम्मीद तो उनसे नहीं की जाती. लेकिन उनका भाषण सुनकर यही लगता है कि जब तक हालात सामान्य दिखाई नहीं पड़ जाते हैं, मोदी सरकार किसी भी तरह की रियायत की पक्षधर नहीं है. धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में नए निजाम की बहाली वे किसी तनाव में नहीं करना चाहते. चाहे इसमें थोड़ा वक्त ही क्यों न लग जाए.
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