पंचायत चुनाव बताएंगे 2019 में बंगाल ममता का रहेगा या बीजेपी आने वाली है
पश्चिम बंगाल में लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस को होने वाले नुकसान का फायद अब तक ममता बनर्जी उठाती रहीं. अब बीजेपी उसमें सेंध लगा रही है. देखा जाये तो पंचायत चुनाव सेमीफाइनल का मैच साबित होने वाला है - जो जीतेगा 2019 भी उसी का होगा.
-
Total Shares
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी उपचुनाव तो दोनों जीत चुकी है, लेकिन बीजेपी उसे पहले से ज्यादा खतरनाक लग रही होगी. मुकुल रॉय के बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर ममता ने भले ही अहमियत न दी हो, मगर उपचुनावों में बीजेपी ने हार कर भी ममता की टेंशन जरूर बढ़ा दी होगी. राजस्थान के नतीजे बीजेपी के लिए निश्चित रूप से चिंताजनक हैं. मगर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की हार में बड़ा फर्क है. बंगाल में तो बीजेपी पहले तो सिर्फ पैर जमाना चाहती है और चुनाव दर चुनाव वो इस रास्ते पर आगे बढ़ रही है. ममता के लिए चिंता की बात पश्चिम बंगाल के दोनों उपचुनावों में बीजेपी का टीएमसी के ठीक बाद दूसरे नंबर पर होना है.
पंचायत चुनाव 2019 का सेमीफाइनल
ममता बनर्जी और अमित शाह दोनों ही जोर शोर से पंचायत चुनावों की तैयारी में जुटे हैं. पंचायत चुनावों की तारीख तो नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है कि अप्रैल तक चुनाव कराये जा सकते हैं. एक रिपोर्ट से मालूम हुआ है कि अगस्त तक पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
टीएमसी के खिलाफ बीजेपी लगातार हमलावर है और ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्लोगन 'सबका साथ सबका विकास' के बावजूद बीजेपी के विरोधी सांप्रदायिकता का आरोप लगाते रहते हैं. बीजेपी के कोर वोट बैंक पर इससे फर्क नहीं पड़ता. जब भी मौका मिलता है बीजेपी नेता अपने वोटबैंक को 'श्मशान' और 'कब्रिस्तान' का फर्क समझा कर विरोधियों के सारे काम को कारनामा बता देते हैं - और बीजेपी के वोटर खुले दिल से ऐसी बातें स्वीकार कर लेते हैं.
ममता के लिए चुनौती बनती जा रही बीजेपी
लेकिन बीजेपी का हमला ममता पर भारी पड़ रहा है. बीजेपी भले ही मुस्लिम सम्मेलन कर रही है लेकिन ब्राह्मण और पुरोहित सम्मेलन के बावजूद ममता की बैचनी थम नहीं पा रही है. किसी भी सूरत में ममता बनर्जी खुद को उन तमाम इल्जामात के दायरे से बाहर निकालना चाहती हैं जिनमें उन पर हिंदुओं और उनके हितों के प्रति उनके असंवेदनशील होने की बात होती है.
अगर ताजा उपचुनावों की तरह ही पंचायत चुनाव के भी नतीजे आते हैं तो बीजेपी को पक्का यकीन हो जाएगा कि पश्चिम बंगाल में भी उसके अच्छे दिन आने वाले हैं. मुकुल रॉय को बीजेपी में लाने का अमित शाह का मकसद अपनी ट्रैक पर है - ऐसा वो मान कर चल रहे होंगे.
कछुआ चाल से बढ़ रही बीजेपी
पश्चिम बंगाल के दोनों उपचुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी को बीजेपी को कोसने का मौका जरूर मिला है, लेकिन बीजेपी खुद की इस हार में भी जीत देख रही है. बीजेपी के लिए सीधे मुकाबले में आना ही बड़ी बात है. अब कम से कम बीजेपी ये तो कह ही सकती है कि उसने लेफ्ट फ्रंट को तीसरे और कांग्रेस को चौथे स्थान पर भेज दिया है.
ममता बनर्जी के करिश्मे में अभी मुकुल रॉय को क्रेडिट लेने से भले ही रोक दिया हो पर आगे के लिए संकेत बहुत अच्छे नहीं हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुआपाड़ा सीट पर 23 हजार वोट मिले थे. इस बार उपचुनाव में 38, 711 वोट मिले हैं. इसी तरह उलूबेरिया लोक सभा सीट पर भी बीजेपी ने वाम मोर्चे को तीसरे स्थान पर धकेल दिया है.
2016 विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को छह सीटें मिली थीं, जिनमें आधी बीजेपी के खाते की रहीं. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 फीसदी वोट हासिल किये जिसमें छह फीसदी इजाफा दर्ज हुआ.
पिछले साल अगस्त में पश्चिम बंगाल में नगर निगम के चुनाव हुए थे. उस चुनाव में भी जीत तो टीएमसी की ही हुई थी, लेकिन ज्यादातर जगह बीजेपी दूसरे नंबर पर रही.
अब तक हालत ये रही कि लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस को जो नुकसान हुए ममता की टीएमसी उसका फायदा उठाती रही. अब बीजेपी टीएमसी को हो रहे नुकसान का लगातार फायदा उठाने लगी है. ये तो कहा ही जा सकता है कि पंचायत चुनाव टीएमसी और बीजेपी के लिए सेमीफाइनल का मैच साबित होने वाला है - जो जीतेगा वही 2019 में लीड लेगा.
इन्हें भी पढ़ें :
राजस्थान-बंगाल के उपचुनाव नतीजे बीजेपी के लिए आगे भी गुजरात जैसे संघर्ष का संकेत दे रहे हैं
राहुल गांधी के बाद ममता बनर्जी को भी समझ आ गयी हिंदुत्व की चुनावी ताकत
2019 में ममता बनर्जी का मुकाबला मोदी के अलावा राहुल गांधी से भी है
आपकी राय