बिहार में नीतीश कुमार को मिलेगी जीत - ये है प्लान
बिहार में बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ये तीसरी पारी होगी, बशर्ते जो उन्होंने सोचा है, वह उसी तरह से हो जाए. नीतीश ने इसके लिए सियासत के सभी दांव एक साथ झोंक दिए हैं.
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बिहार में बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ये तीसरी पारी होगी, बशर्ते जो उन्होंने सोचा है, वह उसी तरह से हो जाए. नीतीश ने इसके लिए सियासत के सभी दांव - साम, दाम, दंड और भेद - एक साथ झोंक दिए हैं. महागठबंधन के लिए जहर पीनेवाले उनके साथी लालू प्रसाद ने भी ब्रह्मास्त्र चला ही दिया है. आइए देखते हैं जीत पक्की करने के लिए क्या है नीतीश कुमार का प्लान -
1. नीतीश कुमार हर वोटर के दिमाग में रजिस्टर हो जाएं. खुद नीतीश और उनकी चुनाव कैंपेन टीम की यही पहली और आखिरी कोशिश है. इसी मकसद से बड़े बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं, जिन पर लिखा है - 'आगे बढ़ रहा बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार.' लोक सभा चुनाव में मोदी की सफलता में इसी की बड़ी भूमिका रही. मोदी के पहुंचने से पहले ही उनकी सभा में और आस पास उनका फोटो इस कदर सजा दिया जाता था, यहां तक कि उनके जाने के बाद भी लोगों को हर तरफ मोदी ही नजर आते रहें - ऐसी कोशिशें रहीं. जिस तरह दिल्ली में केजरीवाल ने ऑटोरिक्शा पर पोस्टर लगाए थे, नीतीश के प्रचार में भी वैसा ही किया जा रहा है. ये तरीका ज्यादा भरोसेमंद भी है - और कारगर भी.
2. युवा वोटरों का ध्यान नीतीश की ओर खींचने के लिए सोशल मीडिया और मोबाइल की मदद ली जा रही है. एक चुनावी गीत भी तैयार किया गया है - 'फिर से एक बार हो, बिहार में बहार हो, फिर से एक बार हो, नीतीश कुमार हो.' मोबाइल फोन के जरिए युवाओं तक पहुंचने के लिए इसका रिंगटोन भी रिलीज किया गया है. फेसबुक पर भी उनकी टीम बेहद सक्रिय है. विकास और सुशासन - ये दोनों बातें युवाओं को खास तौर पर आकर्षित करती हैं. नीतीश युवाओं को भी इसी बात का भरोसा दिलाने की कोशिश में हैं.
3. बिहार में 5.5 करोड़ महिला वोटर हैं. निश्चित रूप से महिलाओं का वोट निर्णायक साबित होने वाला है. नीतीश कुमार ये बात भली-भांति समझ चुके हैं. इसीलिए जैसे ही एक कार्यक्रम में कुछ महिलाओं ने शराबबंदी की मांग की नीतीश ने झट से उठ कर एलान कर दिया कि अगली बार सत्ता में आने पर शराब पर पूरी तरह रोक लगा दूंगा. इसके अलावा भी महिलाओं का वोट पाने के लिए प्रचार के अन्य तरीके अपनाए जा रहे हैं. नीतीश पहले ही कह चुके हैं कि बिहार सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए कोशिशें कर रही है. नीतीश कुमार के मुताबिक सरकार का मकसद 1.5 करोड़ महिलाओं को महिला स्वयं सहायता समूह से जोड़ना है.
4. आम मतदाताओं से सीधे कनेक्ट होने के लिए घर घर दस्तक अभियान चलाया जा रहा है. 2 जुलाई से शुरू हुआ ये अभियान 31 जुलाई तक चलेगा और इस दौरान जे़डीयू के 10 लाख कार्यकर्ता 3 करोड़ लोगों से उनके घरों पर संपर्क करने वाले हैं. नीतीश के चुनाव अभियान का हिस्सा बने प्रशांत किशोर चाहते हैं कि सीधे संपर्क के जरिए आम मतदाताओं से भावनात्मक रिश्ता बनाया जा सके. इसीलिए मोदी के चुनाव कैंपेन में इस्तेमाल थ्री-डी प्रोजेक्शन जैसे प्रयोगों से बचा जा रहा है.
5. नीतीश कुमार जानते हैं कि बगैर जातीय समीकरणों के जीत तो मिलने से रही. नीतीश की यही एक कमजोर कड़ी रही है - और इसी बात के लिए उन्हें आरजेडी नेता लालू प्रसाद का मुंह देखना पड़ रहा है. खैर, लालू ने भी जातीय राजनीति का ब्रह्मास्त्र मंडल बनाम कमंडल का राग छेड़ ही दिया है. जातीय जनगणना के आंकड़ों को लेकर लालू ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए पर जोरदार हमला बोला है.
ये सब तो ठीक है. सब कुछ हो जाए और लोग वोट डालने ही न पहुंचें, फिर तो सारा किया धरा बेकार रह जाएगा. इसके लिए बूथ लेवल मैनेजमेंट सबसे ज्यादा जरूरी होता है. इस काम में जेडीयू के मुकाबले आरजेडी के बूथ लेवल एजेंट बेहतर हैं. इस मोर्चे पर जेडीयू को जोर देने की जरूरत है. अगर नीतीश और लालू का महागठबंधन अपने एक और साथी कांग्रेस के कार्यकर्ता भी मन से साथ हो जाएं तो नीतीश इस फ्रंट पर भी बीस साबित होंगे.
सबसे खास बात. नीतीश कुमार ने मान लिया है कि विधान परिषद चुनाव के नतीजे उनके लिए 'अलर्ट' हैं. जंग में सबसे जरूरी होता है वक्त रहते सचेत हो जाना और जरूरत के हिसाब से रणनीति की समीक्षा कर उसमें बदलाव करना. नीतीश की इसी सूझ-बूझ और विवेक के चलते उन्हें बिहार का 'चाणक्य' बताया जाता है. हैट्रिक चांस सबसे मुश्किल होता है. फिलहाल 'चाणक्य' की सबसे बड़ी चुनौती भी यही है.

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