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Updated: 07 अगस्त, 2015 02:11 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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जातीय आधार पर नीतीश कुमार के लिए सपोर्ट बेस कमजोर है. लालू प्रसाद के साथ हाथ मिलाने के पीछे ये एक बड़ी वजह रही. लेकिन जल्द ही अपने लिए एक नया सपोर्ट बेस खोज लिया - महिला वोट बैंक.

फिलहाल नीतीश की कोशिश यही है कि जैसे भी हो अगर उन्हें महिलाओँ का पूरा वोट मिल जाए तो चुनावी वैतरणी पार हो जाए. इसलिए महिलाओं की बात पर कोई भी मौका नहीं जाने दे रहे.

फेस वैल्यू पर वोट दें

1. नीतीश की छवि बेदाग है जिसका उन्हें पिछले चुनाव में फायदा भी भरपूर मिला था. माना जाता है कि जंगलराज से निजात की उम्मीद में ही महिलाओं ने नीतीश को बढ़ चढ़ कर वो दिया था. इसीलिए जब भी लालू से हाथ मिलाने को लेकर सवाल पूछे जाते हैं नीतीश की यही समझाने की कोशिश होती है कि लोग उनकी छवि पर भरोसा कायम रखें. नीतीश के भुजंग वाले ट्वीट के पीछे भी यही वजह मानी जाती है.

2. महिलाओं की कोई भी मांग हो नीतीश फौरन रिएक्ट करते हैं. एक सरकारी कार्यक्रम में जैसे ही कुछ महिलाओं ने शराबबंदी की मांग की नीतीश झट से उठे और एलान कर दिया कि अगली बार सत्ता में आने पर शराब पर पूरी तरह पाबंदी लगा देंगे.

सिर्फ महिलाओं के लिए

1. कामकाजी महिलाओं को लुभाने के लिए नीतीश कुमार ने शहरों में 150 वर्किंग वीमेंस हॉस्टल खोलने की घोषणा की है जहां सुरक्षा के साथ-साथ सारी सुविधाएं होंगी. पहले चरण में ऐसे छह हॉस्टल पटना, गया, मुजफ्फरपुर और मुंगेर में खोले जाएंगे.

2. नीतीश पहले ही कह चुके हैं कि सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. इसके तहत 1.5 करोड़ महिलाओं को महिला स्वयं सहायता समूह से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

3. हाल ही में नीतीश ने सभी कांट्रैक्ट टीचर्स (ट्रेंड और अनट्रेंड) को पक्के किए जाने की घोषणा की थी, जिनमें आधी संख्या महिलाओं की है. मुख्यमंत्री शिक्षा को अपनी राजनीति की गाड़ी आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करने में लगे हैं.

4. स्कूली छात्राओं के लिए साइकिल, यूनिफॉर्म और छात्रवृत्ति और छात्राओं को कैश अवॉर्ड जैसी योजनाएं पहले से ही चलाई जा रही हैं.

5. बिहार पंचायती राज एक्ट - 2006 के तहत महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है. पुलिस फोर्स में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण देने के मामले बिहार पहला राज्य बना.

सबसे बड़ी चुनौती

बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न किए जाने की वजह से नीतीश का सीधा मुकाबला मोदी से है.

लाल किले से अपने पहले संबोधन से ही मोदी महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाते रहे हैं. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अलावा स्कूलों में शौचालय जैसे मामलों में मोदी का खास जोर रहा है. मोदी इस मुद्दे पर नीतीश के लिए अलग से चुनौती पेश कर रहे हैं.

कभी संसद में नीतीश की पार्टी जेडीयू के नेता शरद यादव का विवादित बयान खासा चर्चा में रहा, "महिला आरक्षण बिल पास करवाकर आप 'परकटी महिलाओं' को सदन में लाना चाहते हैं."

खैर, ये बात अब पुरानी हो चुकी है. अब शरद यादव भी महिलाओं के हक में एक प्राइवेट मेंबर बिल लाने वाले हैं. नीतीश कुमार तो महिलाओं से जुड़ी हर छोटी छोटी बात पर गौर फरमाते हैं.

मौजूदा चुनाव में नीतीश के सामने प्रधानमंत्री मोदी हैं तो पीछे से उनके गठबंधन के साथी लालू शासन के जंगलराज की वापसी का खौफ. ऐसे में नीतीश को महिलाओं को ये भी समझाना होगा कि किस तरह वो 'चंदन-शासन' देंगे जो हर तरह के 'भुजंग' से बेअसर होगा.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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