नीतीश की चिट्ठी भूल सुधार है या बड़ी रणनीति का हिस्सा
नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को एक खुली चिट्ठी लिखी है. बातें कुल मिला कर वही हैं जो फौरी प्रतिक्रिया के तौर पर मीडिया में आ चुकी हैं. फिर इस खुली चिट्ठी का मतलब क्या है?
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नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को एक खुली चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में वैसे तो कुछ नया नहीं है. बातें कुल मिला कर वही हैं जो फौरी प्रतिक्रिया के तौर पर मीडिया में आ चुकी हैं. फिर इस खुली चिट्ठी का मतलब क्या है?
देर आए, दुरूस्त भी आए क्या?
मुजफ्फरपुर की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाना बनाया. मोदी ने लोगों को समझाया कि किस तरह नीतीश ने आगे बढ़ाकर उनसे थाली छीन ली. मोदी ने कुछ और भी बातें की. फिर उन्होंने सबसे घातक तीर चलाए - शायद उनके डीएनए में ही कुछ ऐसा है. बहुत देर नहीं लगी. नीतीश ने खुद पर हुए हमले को बिहार से जोड़ते हुए उसे राज्य के लोगों पर हमला बता दिया. कड़ा प्रतिकार करते हुए कहा कि बिहार के डीएनए में क्या है इसका जवाब चुनाव में दे देंगे.
अब उन्हीं बातों को लिखित तौर पर नीतीश ने पेश किया है. जैसे सरकारी दस्तावेजों में एक पेट-लाइन होती है - ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आए.
सिर्फ एक चिट्ठी के लिए वेबसाइट!
नीतीश ने ट्वीट कर अपनी खुली चिट्ठी को सार्वजनिक किया. अंग्रेजी और हिंदी में बारी बारी से. बाद में ट्विटर पर नीतीश से चिट्ठी को लेकर कई सवाल पूछे गए. डीएनए की बात पर नीतीश ने कहा कि अगर उनके डीएनए की बात है तो वो भी बिहार का ही है. इस तरह नीतीश ने समझाने की कोशिश की कि मोदी ने बिहार के ही डीएनए को निशाना बनाया है. नीतीश के डीएनए की बात करना बचाव का तरीका है. जब नीतीश से पूछा गया कि मोदी को लिखी उनकी खुली चिट्ठी कहीं चुनावी प्रोपेगैंडा तो नहीं? इस पर नीतीश ने कहा कि इसका फैसला जनता करेगी.
बाकी बातें और हैं. खास बात ये है कि इस चिट्ठी के लिए एक डेडिकेटेड डोमेन भी बनाया गया है: ओपन लेटर टू मोदी डॉट कॉम.
क्या खुली चिट्ठियों वाले तरकश से ये निकला पहला तीर है? आगे और कितनी ऐसी चिट्ठियां कतार में हैं? अगर और भी चिट्ठियां कतार में हैं तो क्या सारी नीतीश अकेले लिखेंगे या और भी लोग लिखेंगे?
सवालों का जवाब तो नई चिट्ठियां ही देंगी. भले ही वे मोदी की गया रैली से पहले आएं या उसके बाद.

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