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Updated: 17 मार्च, 2015 11:07 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव की महिलाओं की सुंदरता पर टिप्पणी के बाद संसद से लेकर सोशल मीडिया तक बहस चल रही है. सोमवार को शरद यादव ने यहां तक कह दिया कि वो अपने बयान पर क़ायम हैं और उसके लिए माफी नहीं मांगेंगे, "गांधी से लेकर लोहिया तक मेरे पास सभी के रिकॉर्ड हैं कि महिलाओं के बारे में क्या-क्या कहा गया है. सांवली महिलाओं के लिए ढेर सारे संघर्ष किए गए हैं." शरद यादव की बात पर मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी बोलीं, "कृपया ऐसा न करें. गांधी और लोहिया का नाम लेते हुए महिलाओं पर टिप्पणी न करें."महिलाओं को लेकर शरद यादव का ऐसा बयान न तो पहली बार आया है, न ही वो अकेले ऐसा नेता हैं. ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है. कुछ मिसाल आप भी देखें.

शरद यादव के बयान

1. ‘‘दक्षिण भारत की महिलाओं का शरीर भी उतना ही सुंदर होता है जितनी वह सुंदर होती हैं. वे हमारे क्षेत्र में उतनी सुंदर नहीं मानी जाती जबकि उन्हें नाचना भी आता हैं.’’

2. "महिला आरक्षण बिल पास करवाकर आप 'परकटी महिलाओं' को सदन में लाना चाहते हैं."

3. "हममें से कौन है जिसने लड़कियों का पीछा नहीं किया है. पीछा करने और घूरने को अपराध की श्रेणी में रखने के प्रावधान का गलत इस्तेमाल हो सकता है."

कोई किसी से कम नहीं 1. "कल तक टेलीविजन पर ठुमके लगा रही थीं... अब नेता बन गई हैं... राजनेता बन के घूम रही हैं" - संजय निरूपम, कांग्रेस नेता [स्मृति ईरानी से एक टीवी बहस में]

2. "मैं राजनीति का पुराना जौहरी हूं और मीनाक्षी जी का काम देख कर मैं यह कह सकता हूं कि वह 100 टका टंच माल हैं." - दिग्विजय सिंह, कांग्रेस नेता

3. "डेंटेड-पेंटेड महिलाएं सड़कों पर विरोध कर रही हैं. दिन में विरोध करेंगी रात में डिस्को जाएंगी." - अभिजीत मुखर्जी, कांग्रेस सांसद

4. "ये महिलाएं लिपस्टिक पाउडर लगाकर क्या विरोध करेंगी?" - मुख्तार अब्बास नकवी, केंद्रीय मंत्री

5. "महिला आरक्षण विधेयक पास होने से ऐसी महिलाएं सदन में आएंगी जिन्हें देखकर लोग सीटियां मारेंगे." - मुलायम सिंह यादव, अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी

6. "लड़कियों को इतना ऐडवेंचरस नहीं होना चाहिए कि देर रात को अकेले घर से बाहर निकलें." - शीला दीक्षित, पूर्व मुख्यमंत्री, दिल्ली

शरद यादव के बयान पर दिल्ली चुनावों में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार रह चुकीं किरण बेदी ने एक ट्वीट के जरिए अपने गुस्से का इज़हार किया, ''कुछ लोगों को सुधारा नहीं जा सकता, शरद यादव उनमें से एक हैं.''

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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