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Updated: 24 नवम्बर, 2017 01:40 PM
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फिल्म पद्मावती का विरोध बड़ा ही खौफनाक स्वरूप अख्तियार करने लगा है. हिंसक विरोध के बीच जयपुर में एक युवक का खुदकुशी का फैसला इस मामले में बहुत खतरनाक बात है. दिल्ली हाई कोर्ट की ताजा टिप्पणी भी इस मामले में बेहद अहम है कि फिल्म पर पाबंदी लगाना हिंसा को बढ़ावा देने जैसा होगा.

'हम पुतले ही नहीं जलाते...'

जयपुर के नाहरगढ़ किले के प्राचीर से लटका हुआ एक शव मिलने से सनसनी फैल गयी है. इलाके के लोग सकते में हैं. ये शव एक युवक का जिसकी उम्र 23 साल है. युवक जयपुर का ही रहने वाला है और उसका नाम चेतन कुमार है. युवक की जेब से मुंबई की ट्रेन का टिकट भी मिला है.

किले की दीवार से लटकती शव के आस पास इस घटना से जुड़ी बातें लिखी पायी गयी हैं - जिसे एक तरीके से सुसाइड नोट के तौर पर भी देखा जा रहा है. ये बातें किसी कागज के टुकड़े पर नहीं, बल्कि दीवारों पर लिखी हुई हैं. दीवारों के पत्थर पर खुरच कर लिखा हुआ है.

दीवारों पर लिखा है - 'हम सिर्फ पुतले ही नहीं लटकाते. लोग पद्मावती का विरोध कर रहे हैं, हम खुद को खत्म कर रहे हैं.'

jaipur youth bodyहत्या या आत्महत्या?

मंडल कमीशन के विरोध में दिल्ली में राजीव गोस्वामी की आत्मदाह की कोशिश को याद कर हर कोई सिहर उठता है. किसी भी बात का लोकतांत्रिक विरोध तो ठीक है, लेकिन विरोध के नाम पर ऐसा जानलेवा कदम तो खतरनाक संकेत है.

एकबारगी लटकते शव को देख कर खुदकुशी मानना भी जल्दबाजी होगी. पुलिस इसे प्राइमा फेसी खुदकुशी भले मान ले, लेकिन सच जांच पूरी होने पर ही सामने आ पाएगा.

पुलिसिया जांच के हिसाब से मौके से मिला शव, आस पास लिखे नोट्स और मौजूदा माहौल - खुदकुशी बताने की गुंजाइश जरूर बताते हैं, मगर ये सिर्फ आरम्भिक अनुमान ही होगा. पुलिस को ये इसमें किसी असामाजिक तत्व का हाथ भी लगता है. पुलिस भी हत्या के हिसाब से जांच को आगे बढ़ा रही है.

अक्सर देखा गया है कि ऐसे आंदोलनों के कुछ तत्व भोले भाले युवकों को ऐसे कदम उठाने के लिए मोटिवेट करते रहते हैं. क्या ये संभव नहीं है कि किसी ने मौके का फायदा उठाकर दुश्मनी निकालने का उपाय खोज डाला हो. संभव तो ये भी है कि आंदोलन को हिंसक बनाने के लिए किसी शैतानी दिमाग ने ये खेल खेलने की कोशिश की हो.

पुलिस को ऐसी तमाम बातों पर विचार करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक होगा. वरना, उस युवक को कभी इंसाफ नहीं मिल पाएगा.

बैन से बढ़ेगी हिंसा

दिल्ली हाई कोर्ट ने पद्मावती पर पाबंदी लगाने संबंधी एक याचिका खारिज करते हुए बड़ी माकूल टिप्पणी की है, 'पाबंदी की मांग कर आप हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं.'

padmavatiफिल्म के विरोध में हिंसक मोड़

सुप्रीम कोर्ट पहले ही फिल्म पद्मावती पर पाबंदी लगाने से इंकार कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट का कहना रहा कि जब फिल्म को सेंसर बोर्ड से क्लिअरेंस मिली ही नहीं फिर हवा में ऐसी अपीलों का क्या मतलब.

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती इसी 1 दिसंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन निर्माताओं ने उसे टाल दिया. अब इसे फरवरी में रिलीज करने की बात चल रही है. भारत में तो कई राज्य सरकारों ने फिल्म के रिलीज पर रोक लगा दी है, लेकिन ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने इसे पास कर दिया है. फिर भी निर्माताओं का कहना है कि फिल्म को भारत के साथ ही लंदन में भी रिलीज किया जाएगा.

पद्मावती विरोध में अगुवा करणी सेना ने भी युवक की कथित खुदकुशी की घटना पर दुःख जताया है. हालांकि, करणी सेना का कहना है कि तारीख टाल देने के बाद जब भी फिल्म रिलीज होगी वो विरोध करेगी. करणी सेना के प्रमुख ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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